1971 में बांग्लादेश के गठन के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच 16 मई, 1974 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्ररहमान कि अगुवाई में भूमि-सीमा समझौता हुआ था. 41 साल पहले शुरू हुए इस समझौते को अंतिम वैधानिक रूप देना न सिर्फ दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक जगत की एक अहम घटना के तौर पर देखा जा रहा है.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय बांग्लादेश यात्रा ने दोनों देशों के बीच परस्पर संबंधों में एक नया अध्याय शुरू किया है. सबसे पहले नरेंद्र मोदी ने ही पिछले साल अपने शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों को आमंत्रित कर पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को प्रगाढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की थी. इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए बांग्लादेश के साथ ऐतिहासिक भूमि समझौता किया गया. मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान भारत की विदेश नीति में पड़ोसी देशों के साथ सद्भावना का व्यवहार करने की एक बार फिर पुष्टि की है. नरेंद्र मोदी की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 22 द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग, मानव तस्करी और जाली भारतीय करेंसी के प्रसार को रोकने जैसे कई मसलों पर सहमति हुई, लेकिन इसमें सबसे अहम बात यह हुई कि 41 साल से चल रहे सीमा विवाद का आखिरकार अंत हो गया. यह दोनों देशों के बीच रिश्तों में प्रगाढ़ता का एक ऐतिहासिक पल था. इस भूमि समझौते को भारतीय संसद में पहले ही मंजूरी मिल चुकी है. इस विवाद का खत्म होना इस बात का साफ संकेत है कि दोनों देश भाईचारे और सहयोग की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं. भारतीय मालवाहक जहाजों के लिए चीन द्वारा निर्मित चिटगांव और मोंगला बंदरगाहों को खोलने का निर्णय भी सहयोग की इसी दिशा की ओर इशारा करता है. अब तक भारतीय जहाजों को अपना माल सिंगापुर के बंदरगाहों में उतारना पड़ता था. इस प्रकार माल को बांग्लादेश पहुंचाने में 42 दिन लग जाते थे, लेकिन इस समझौते के बाद केवल एक सप्ताह लगेगा.
1971 में बांग्लादेश के गठन के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच 16 मई, 1974 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्ररहमान कि अगुवाई में
भूमि-सीमा समझौता हुआ था. 41 साल पहले शुरू हुए इस समझौते को अंतिम वैधानिक रूप देना न सिर्फ दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक जगत की एक अहम घटना के तौर पर देखा जा रहा है. दोनों देश अब चाहते हैं कि विवादों को दूर रखकर एक दूसरे के विकास में सहयोग किया जाये. दोनों देशों के बीच हुए इस भू-समझौते में 1947 में देश के विभाजन के बाद उपजी इस दुःखती रग का न सिर्फ इलाज किया गया है, बल्कि एक बड़ी मानवीय समस्या का भी निवारण किया गया है. भू-सीमा समझौते के तहत अब भारत बांग्लादेश को 111 बस्तियों सौंपेगा. गौरतलब है कि बांग्लादेश में 111 भारतीय बस्तियों में कुरीग्राम जिले में 12, नीलफामरी में 59 और
पन्हागर में 36 शामिल हैं. इन कॉलोनियों की कुल जमीन 17,160 एकड़ के करीब है. वहीं बांग्लादेश भी 51 कॉलोनियां इस समझौते के तहत भारत को सौंपेगा. इन कॉलोनियों की कुल जमीन 7,110 एकड़ के करीब है. गौरतलब है कि बांग्लादेश की कॉलोनियों में अभी 14 हज़ार लोग रहते है, वहीं भारत की कॉलोनियों में भी अभी 37 हज़ार लोग गुज़र-बसर कर रहे हैं. समझौते के मुताबिक अब इन कॉलोनियों के लोगों को नागरिकता चुनने का विकल्प होगा. वे चाहें तो दोनों में से किसी एक देश की नागरिकता ले सकते हैं. इसके अलावा भी 6.1 किलोमीटर अनिश्चित सीमा का सीमांकन इस समझौते के बाद अब पूर्ण हो जाएगा. इससे पूर्व इस जमीन पर किसी तरह की सीमा निर्धारित नहीं थी. दोनों देशों के बीच समुद्री सीमा का निपटारा इस समझौते से पहले हो चुका है. हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने सात जुलाई, 2014 को दोनों देशों के बीच समुद्री सीमा की रूपरेखा पेश कर दी थी. इस समझौते के तहत भारत को जो 51 बस्तियां मिलने वाली हैं, उनमें 4 जलाईपाईगुड़ी और 47 कूच बिहार में हैं. वहीं, भारत की जो 111 बस्तियां बांग्लादेश को मिलेंगी, उनमें 36 पंचागढ़, चार निलफमडी, 59 लालमोनिरहट और 12 कुरीग्राम में हैं. हाल में की गई जनगणना में पता चला कि इन 162 बस्तियों में कुल 51,549 लोग रहते हैं. भारत में मौजूद 111 बस्तियों में करीब 37,334 लोग रहते हैं, जबकि 51 बांग्लादेशी बस्तियों में 14,215 लोग रहते हैं. इस समझौते के बाद दो देशों की राजनीति के बीच पिस रहे लोगों को राहत मिली है.
इन बस्तियों में रह रहे लोगों को अबतक मूलभूत सुविधायें भी नहीं मिल पा रही थीं. उनकी नागरिकता के बारे में हर कदम पर विवाद रहा है, लेकिन इस समझौते के बाद यहां रहने वाले लोगों ने राहत की सांस ली है. जब 1971 में पाकिस्तान से जंग के बाद बांग्लादेश आजाद हुआ तो दोनों देशों के बीच सीमाएं साफ तौर पर तय नहीं हो सकी थीं. तीन साल बाद यानी 1974 में इंदिरा गांधी और शेख मुजीबुर्रहमान के बीच सीमा समझौता हुआ था. इसके तहत भारत के 5 राज्यों पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के कुछ हिस्सों को बांग्लादेश को सौंपा जाना है. बदले में बांग्लादेश से कुछ हिस्से भारत में शामिल होने वाले हैं. हाल ही में संसद के दोनों सदनों में यह 100वां संविधान संशोधन बिल पास किया गया. चूंकि यह संविधान संशोधन विधेयक है, इसलिए कम से कम आधे राज्यों की विधानसभा से भी इस बिल को मंजूरी की जरूरत होगी. चूंकि पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम को इस पर आपत्ति नहीं है, इसलिए बिल को अमल में लाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी. भारत ने बांग्लादेश को दो अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज देने का भी ऐलान किया. साथ ही दोनों देश के बीच व्यापार घाटे को कम करने के लिए दो विशेष आर्थिक जोन (एसईजेड) बनाने पर भी बातेंे हुईं. यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग, सुरक्षा, विज्ञान एवं तकनीक, शांतिपूर्ण संबंध जैसे विषयों पर भी समझौते हुए हैं. दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करने का वादा किया है.
इस यात्रा के दौरान भारत को चीन द्वारा निर्मित चिटगांव और मोंगला बंदरगाहों को भारत के लिए खोलने के लिए समझौता हो गया है. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि बांग्लादेश की भूमि का इस्तेमाल कर भारत अपने उत्तर पूर्व के इलाके में विकास का काम तेजी से कर सकता है. बांग्लादेश के चटगांव पोर्ट के जरिए उत्तर पूर्व के राज्यों को मदद मिल सकती है और इन इलाकों में सामान आसानी से भेजे जा सकते हैं. इस क्षेत्र के विकास से इम्फाल-तामू-यंगुन-सिंगापुर पैसेज का तेजी से विकास हो सकता है.
मोदी ने भारत और बांग्लादेश के बीच बस सर्विस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. यह बस सर्विस कोलकाता-ढाका-अगरतला, ढाका-शिलांग-गुवाहाटी के बीच होगी. अगर किसी को कोलकाता से सीधे अगरतला जाना हो तो फिलहाल यह दूरी 1650 किलोमीटर की होती है, जो समझौते के बाद घटकर 500 किलोमीटर रह जाएगी. लिहाजा, नई बस लिंक के चलते ज्यादा फायदा भारतीयों को है. वहीं, ढाका-शिलॉन्ग-गुवाहाटी के बीच बस सेवा शुरू होने से दोनों देशों के लोगों को फायदा मिलेगा.
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने कॉर्डिनेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट प्लान को लागू करने पर जोर दिया, जिससे की दोनों देशों के बॉर्डर पर होने वाली आपराधिक और गैर-कानूनी गतिविधियों, हिसांत्मक गतिविधियों और जानमाल की हानि पर रोक लगाई जा सके. दोनों देशों की अक्षय ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की. दोनों प्रधानमंत्रियों ने सिविल न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में खासकर तकनीकी प्रशिक्षण की दिशा काम करने पर सहमति जताई है.
क्या है तीस्ता विवाद
दोनों देशों के बीच तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे का मुद्दा अहम है. इस मुद्दे पर 18 साल से बातचीत जारी है. दिसंबर से मार्च के बीच इस नदी में पानी का बहाव कम हो जाता है. इस वजह से बांग्लादेश में मछुआरों और किसानों को कुछ महीनों तक रोजगार के दूसरे विकल्प तलाशने पड़ते हैं. बांग्लादेश दोनों देशों के बीच नदी के पानी का 50-50 प्रतिशत बंटवारा चाहता है, लेकिन ममता बनर्जी की सरकार अपने बांध से अतिरिक्त पानी छोड़ने को राजी नहीं हैं.
समझौतों पर हस्ताक्षर
- 1974 के भूमि सीमा समझौते के उपकरणों और 2011 के प्रोटोकॉल की अदला बदली.
- 1974 के सीमा समझौते के कार्यान्वयन के तौर-तरीकों पर पत्रों और अपने 2011 के प्रोटोकॉल की अदला बदली.
- द्विपक्षीय व्यापार समझौते का नवीनीकरण
- भारत-बांग्लादेश के बीच समुद्री यातायात
- अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार पर प्रोटोकॉल
- स्टैंडराइजेशन के क्षेत्र में सहयोग के लिए लिए भारत के ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) और बांग्लादेश स्टैंडर्ड एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूशन (बीएसटीआई) के बीच सहयोग समझौता.
- कोलकाता-ढाका-अगरतला बस सेवा के लिए समझौता
- ढाका-शिलांग-गोवाहाटी बस सेवा के लिए समझौता
- दोनों देशों के कोस्ट गार्ड के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर
- मानव तस्करी पर रोक लगाने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर
- जाली भारतीय करेंसी की तस्करी पर रोक लगाने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर
- भारत बांग्लादेश को दो अरब डॉलर की ऋण सहायता देगा.
- बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में नीली क्रांति( मत्स्य क्रांति) और समुद्री सहयोग समझौता
- चिटगांव और मोंगला बंदरगाहों को भारत के लिए खोलने का समझौता.
- सार्क के आईईसीसी (जलवायु परिवर्तन के लिए भारत बंदोबस्ती) के तहत एक परियोजना के लिए समझौता.
- भारतीय आर्थिक क्षेत्र पर समझौता.
- साल 2015-17 के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के लिए समझौता.
- बांग्लादेश-भारत शिक्षा सहयोग पर समझौता (गोद लेने पर)
- अखौरा में इंटरनेट के लिए अंतरराष्ट्रीय बैंडविड्थ लीज पर देने के लिए बांग्लादेश सबमरीन केबल कंपनी लिमिटेड (बीएससीसीएल) और भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के बीच समझौता.
- बंगाल की खाड़ी में मरीन साइंस के क्षेत्र में साझा रिसर्च के लिए के ढाका विश्वविद्यालय, बांग्लादेश विज्ञान और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और भारत के बीच समझौता.
- बांग्लादेश के राजशाही विश्वविद्यालय और भारत के जामिया मिलिया इस्लामिया के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर.
- बांग्लादेश बीमा विकास एवं नियामक प्राधिकरण (आईआरडीए) और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के बीच बांग्लादेश में शुरुआत करने के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर.