समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश इकाई की भंग कार्यकारिणी का पुनर्गठन कर नई कार्यकारिणी की सूची जारी की. दो दिनों बाद ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विदेश यात्रा से लौटे और उन्होंने भी कार्यकारिणी की एक समानांतर सूची जारी कर दी. यह समाजवादी पार्टी का बेजोड़ नमूना है, जहां लोकतंत्र और अराजकता का संपूर्ण घालमेल साफ़-साफ़ दिखता है. पार्टी कार्यकर्ता कहते हैं कि पूरक सूची ही जारी करनी थी, तो वह भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के ज़रिये जारी होती, तो फैसलों की गरिमा बनी रहती. प्रदेश कार्यकारिणी में एक भी वरिष्ठ या कद्दावर नेता को शामिल नहीं किया गया है. यह भी कह सकते हैं कि एक भी कद्दावर नेता प्रदेश कार्यकारिणी में आने के लिए तैयार नहीं हुआ.
बहरहाल, यह उत्तर प्रदेश है, जहां महत्वपूर्ण सवालों के उत्तर नहीं मिलते. समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अखिलेश यादव लंदन की सैर कर रहे होते हैं और यहां उनके पिता मुलायम सिंह यादव उन्हें प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत करते हुए प्रदेश कार्यकारिणी गठित कर देते हैं. मुलायम सिंह ने अगर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से प्रदेश कार्यकारिणी गठित की थी, तो प्रदेश अध्यक्ष ने लंदन से लौटते ही कार्यकारिणी में फिर से एक सूची और क्यों जोड़ दी? अगर कार्यकारिणी में कुछ और नाम जोड़ने ही थे, तो वे राष्ट्रीय अध्यक्ष के हवाले से ही क्यों नहीं जारी हुए? इसका मतलब यह भी है कि कार्यकारिणी के गठन को लेकर कोई मंत्रणा नहीं हुई या पूर्व-मंथन नहीं हुआ या फिर वैचारिकी में आपस में ही घनघोर अंतर्विरोध है. इस तरह के कई सवाल हैं, लेकिन उनके आधिकारिक जवाब नहीं मिलने हैं. 2017 का विधानसभा चुनाव सामने रखकर अगर यह कार्यकारिणी बनाई गई है, तो आप यकीन मान लें कि सपा ने अपने कंधे से जुआ उतार दिया है. प्रदेश कार्यकारिणी में किसी गांभीर्य और परिपक्वता के दर्शन नहीं होते. किसी वरिष्ठ नेता को प्रदेश कार्यकारिणी में आमंत्रित सदस्य के बतौर भी शामिल नहीं किया गया है.
सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में और उसके पहले भी मुलायम सिंह यादव अखिलेश सरकार के मंत्रियों की करतूतों के बारे में बार-बार कहते और मुख्यमंत्री को आगाह करते रहे. इस पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ताकतवर मंत्रियों पर कार्रवाई करने के बजाय दर्जा प्राप्त राज्य मंत्रियों की भारी-भरकम सूची में कटौती कर दी थी. अखिलेश ने दर्जा प्राप्त मंत्रियों को हटाकर मुलायम सिंह का सम्मान रखने का संदेश देने की कोशिश की और लालबत्ती के बोझ पर अदालत की नाराज़गी दूर करने का काम भी कर लिया. लेकिन, प्रदेश कार्यकारिणी में उन्हीं लालबत्ती-वंचित लोगों में से अधिकांश को शामिल कर बेतालों को फिर उसी डाल पर लौटा लिया गया है. महिला कल्याण निगम की अध्यक्ष लीलावती कुशवाहा दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री के पद से वंचित लोगों में थीं. लंदन यात्रा से लौटते ही अखिलेश यादव ने उन्हें प्रदेश कार्यकारिणी में सचिव बनाकर शामिल कर लिया. इसी तरह उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम के अध्यक्ष उज्ज्वल रमण सिंह भी दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री के सुख से वंचित किए गए थे. उन्हें भी अखिलेश ने प्रदेश कार्यकारिणी का सदस्य बना दिया.
अखिलेश यादव की सूची लीलावती कुशवाहा-सचिव, राधेश्याम सिंह पटेल- सचिव, दिनेश कुमार सिंह-सचिव, डॉ. रक्षपाल सिंह- सदस्य, हीरा ठाकुर-सदस्य, रविदास मेहरोत्रा-सदस्य, अर्चना राठौर-सदस्य, रंजना सिंह-सदस्य, प्रदीप दीक्षित-सदस्य, नारद राय-सदस्य, उज्ज्वल रमण सिंह- सदस्य, राकेश पाल-सदस्य, विश्वनाथ विश्वकर्मा-सदस्य, राम किशोर अग्रवाल-सदस्य, अजित प्रसाद-सदस्य, संजय लाठर-सदस्य, राजपाल सिंह-सदस्य, श्रीमती सुशीला सरोज-विशेष आमंत्रित सदस्य, अशोक चंद्र शुक्ला-विशेष आमंत्रित सदस्य, प्रेम प्रकाश वर्मा-विशेष आमंत्रित सदस्य, जय गोपाल सोनी-विशेष आमंत्रित सदस्य, समरजीत सिंह-विशेष आमंत्रित सदस्य, लाखन सिंह पाल-विशेष आमंत्रित सदस्य, सुधीर रावत-विशेष आमंत्रित सदस्य.
फूलपुर लोकसभा क्षेत्र के चुनाव प्रभारी रहे राधेश्याम सिंह पटेल को अखिलेश यादव ने अपनी सूची में सपा का प्रदेश सचिव बनाया है. अपना दल से जाने के बाद राधेश्याम सिंह पटेल अखंड देशम नामक एक पार्टी चलाते थे. उन्होंने अपनी पार्टी का सपा में विलय करा दिया था. इतनी प्रभावशाली पार्टी का विलय कराने के लिए समाजवादी पार्टी पटेल का अनुग्रह मानती है. अखिलेश ने डॉ. रक्षपाल सिंह को कार्यकारिणी का सदस्य बनाया है. मुजफ्फरनगर के दंगों को लेकर हुए नुक़सान की भरपाई की कोशिश में पार्टी के ज़िलाध्यक्ष डॉ. रक्षपाल सिंह ने छेड़खानी और बलात्कार पर ऐसे विवादास्पद बयान दिए थे, जिससे पार्टी को और भी नुक़सान उठाना पड़ा था. अखिलेश ने उन्हें उसका पुरस्कार दे दिया. हीरा ठाकुर भी दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री के रूप में पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सलाहकार बनाए गए थे. अखिलेश ने हीरा ठाकुर को भी कार्यकारिणी का सदस्य बनाया है. बसपा से सपा में आए हीरा ठाकुर सार्वजनिक मंच से मायावती को अपशब्द कहने के कारण सपा नेताओं की ओर से भी निंदित हुए थे. अखिलेश ने उस निंदा का उन्हें पुरस्कार दिया. राज्य महिला आयोग की सदस्य रहीं अर्चना राठौर को अखिलेश ने कार्यकारिणी का सदस्य बनाया है. अनुशासनहीनता के आरोप में समाजवादी युवजन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाए गए संजय लाठर को भी अखिलेश ने प्रदेश कार्यकारिणी का सदस्य बनाया है. मुलायम सिंह ने प्रदेश कार्यकारिणी की जो सूची जारी की थी, उसमें उन्होंने अखिलेश सरकार के मंत्री अरविंद सिंह गोप को महासचिव बनाया. अखिलेश ने जब अपनी सूची जारी की, तो उसमें उन्होंने अपने कैबिनेट मंत्री नारद राय को सदस्य के बतौर शामिल किया. नारद राय अखिलेश के विश्वासपात्र माने जाते हैं. अखिलेश ने रविदास मेहरोत्रा को कार्यकारिणी में शामिल करने की सार्थकता भी दिखाई है. मेहरोत्रा सपा के पुराने जुझारू नेता है. उधर, राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की तरफ़ से जारी सूची में पूर्वांचल के कद्दावर नेता एवं अखिलेश सरकार के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सिंह का नाम नदारद है. ओमप्रकाश सिंह के स्थान पर अरविंद सिंह गोप को महासचिव बनाया गया है. मुलायम सिंह ने 74 सदस्यीय राज्य कार्यकारिणी घोषित की. इसमें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को फिर से प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करते हुए नरेश उत्तम को उपाध्यक्ष, अरविंद सिंह गोप को महासचिव, राजकिशोर मिश्रा को कोषाध्यक्ष और राजेंद्र चौधरी को प्रवक्ता सह सचिव बनाया गया. एसआरएस यादव सहित 21 अन्य लोग भी सचिव बनाए गए हैं. कार्यकारिणी में प्रदेश के विभिन्न ज़िलों से 47 सदस्य भी शामिल किए गए हैं. दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री के पद से हटाए गए सुनील सिंह साजन, राजपाल कश्यप, अनीस मंसूरी जैसे लोगों को भी प्रदेश कार्यकारिणी में जगह मिली. वे मुलायम सिंह की सूची के ज़रिये कार्यकारिणी में दाखिल हुए.
लोकसभा चुनाव में हार के बाद समाजवादी पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी भंग कर दी गई थी, जो नौ महीने के बजाय आठ महीने बाद फिर से पैदा हुई, लेकिन बेहद कमजोर हालत में. पिछले साल 22 मई को राज्य कार्यकारिणी भंग की गई थी. इसी के साथ 15 राज्यस्तरीय प्रकोष्ठों को भी उनके अध्यक्षों को हटाकर भंग कर दिया गया था. सब कुछ भंग चल रहा था, लेकिन अखिलेश यादव प्रदेश अध्यक्ष के पद पर यथावत चल रहे थे. लिहाजा, मुलायम सिंह द्वारा उन्हें फिर से अध्यक्ष बनाए जाने की औपचारिकता निभाने का कोई औचित्य नहीं था. पिछले साल 27 अक्टूबर को ही अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष नियुक्त हो गए थे और उन्हें जल्द ही कार्यकारिणी गठित करने की हिदायत दी गई थी. उसी समय सपा संसदीय बोर्ड का गठन हुआ था, जिसके अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, सचिव प्रो. राम गोपाल यादव और सदस्य के रूप में आजम खान, किरणमय नंदा, रवि प्रकाश वर्मा और शिवपाल यादव मनोनीत किए गए थे. मुख्यमंत्री अखिलेश को भी संसदीय बोर्ड का स्थायी आमंत्रित सदस्य बनाया गया था.
अखिलेश यादव की अध्यक्षता वाली प्रदेश कार्यकारिणी में किसी भी वरिष्ठ नेता को स्थायी आमंत्रित सदस्य के बतौर शामिल करने की ज़रूरत महसूस नहीं की गई. नई कार्यकारिणी में नए अपरिपक्व चेहरों की भरमार है और इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि नई कार्यकारिणी में कोई नेता ऐसा न शामिल हो जाए, जो अखिलेश के लिए भविष्य में कोई भी मुश्किल पैदा करे. इसलिए अखिलेश के प्रति निष्ठा रखने वालों को ही कार्यकारिणी में जगह मिली. मुलायम सिंह को छोड़कर पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं से जुड़े लोगों को कार्यकारिणी में कहीं कोई स्थान नहीं दिया गया. 2017 के विधानसभा चुनाव में जाने के पहले समाजवादी पार्टी का यही लोकतांत्रिक चेहरा सामने आया है. अखिलेश यादव को आगे कर गठित कार्यकारिणी के बूते समाजवादी पार्टी स्वयं के युवा पार्टी होने का दावा भले करे, लेकिन पार्टी के भीतर का असली युवा संगठन ही नदारद है. सपा के चारों युवा संगठन जैसे समाजवादी छात्रसभा, समाजवादी युवजन सभा, लोहिया वाहिनी और मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड भंग हैं, पार्टी के युवा कार्यकर्ता भटक रहे हैं, लेकिन इन संगठनों के गठन को लेकर कोई कवायद नहीं हो रही है. इन संगठनों को नेतृत्व कौन दे, यह भी एक बड़ा सवाल है.
मुलायम सिंह यादव की सूची
अखिलेश यादव-अध्यक्ष, लखनऊ. नरेश उत्तम-उपाध्यक्ष, फतेहपुर. अरविंद सिंह गोप-महासचिव, बाराबंकी. राज किशोर मिश्रा-कोषाध्यक्ष, लखनऊ. राजेंद्र चौधरी-प्रवक्ता सह सचिव, लखनऊ. एसआरएस यादव-सचिव, लखनऊ. अनीस मंसूरी-सचिव, लखनऊ. मीना राजपूत-सचिव, फिरोजाबाद. मुजाहिद किदवई-सचिव, अलीगढ़. एसएन सिंह-सचिव, इलाहाबाद. श्यामलाल पाल-सचिव, इलाहाबाद. अशोक पटेल, पूर्व सांसद-सचिव, फतेहपुर. समरनाथ सिंह चौहान-सचिव, जौनपुर. हंसराज ध्रुवे गौड़-सचिव, चंदौली. राम दुलार राजभर-सचिव, आजमगढ़. सनातन पांडेय-सचिव, बलिया. पीएन चौहान-सचिव, कुशीनगर. हाजी मुहम्मद अनवर खां-सचिव बहराइच. विद्यावती राजभर-सचिव, अंबेडकर नगर. डॉ. आरए उस्मानी-सचिव, लखीमपुर खीरी. डॉ. राजपाल कश्यप-सचिव, हरदोई. उमाशंकर चौधरी-सचिव, उन्नाव. सोहन लाल त्यागी-सचिव, गाजियाबाद. सतेंद्र उपाध्याय-सचिव, जौनपुर. प्रो. जाहिद खां-सचिव, बरेली. नईमुल हसन-सचिव, बिजनौर. रमेश प्रजापति-सचिव, मेरठ. आनंद भदौरिया-सदस्य, सीतापुर. सुनील सिंह यादव-सदस्य, उन्नाव. महाराज सिंह धनगर-सदस्य, आगरा. श्रीमती कृष्णा सिंह-सदस्य, आगरा. अश्विनी यादव-सदस्य, आगरा. मिश्रीलाल राजपूत-सदस्य, आगरा. श्रीमती ओमवती यादव-सदस्य, हाथरस. राघवेंद्र तोमर-सदस्य, फिरोजाबाद. नीलम रोमिला सिंह-सदस्य, कानपुर नगर. अमिताभ बाजपेयी-सदस्य, कानपुर नगर. गोपाल यादव-सदस्य, इटावा. पम्पी जैन-सदस्य, कन्नौज. मोहम्मद इरफानुल हक़ कादरी-सदस्य, कन्नौज. दीपमाला कुशवाहा-सदस्य, झांसी. अच्छे लाल निषाद-सदस्य, बांदा. श्रीमती अंबेश कुमारी जाटव-सदस्य, हमीरपुर. निर्भय सिंह पटेल-सदस्य, चित्रकूट. मुश्ताक काजमी-सदस्य, इलाहाबाद. पंधारी यादव-सदस्य, इलाहाबाद. दलजीत निषाद-सदस्य, फतेहपुर. बहादुर सिंह यादव-सदस्य, वाराणसी. कन्हैया लाल गुप्ता-सदस्य, वाराणसी. जगदंबिका सिंह पटेल-सदस्य, मिर्जापुर. जनार्दन बिंद-सदस्य, भदोही. राम निहोर यादव-सदस्य, सोनभद्र. नफीस अहमद-सदस्य, आजमगढ़. संग्राम सिंह यादव-सदस्य, आजमगढ़. नथुनी कुशवाहा-सदस्य, कुशीनगर. कृष्णभान सिंह सैंथवार-सदस्य, गोरखपुर. अवधेश सिंह यादव-सदस्य, गोरखपुर. राम ललित चौधरी-सदस्य, बस्ती. लक्ष्मीकांत पप्पू निषाद-सदस्य, संत कबीर नगर. श्रीमती जानकी पाल-सदस्य, सुल्तानपुर. शकील अहमद-सदस्य, सुल्तानपुर. धनंजय उपाध्याय-सदस्य, लखीमपुर खीरी. राम कुमार कश्यप-सदस्य, पीलीभीत. वीरेंद्र सिंह गंगवार-सदस्य, बरेली. मिथिलेश कुमार कठेरिया-सदस्य, शाहजहांपुर. बुद्ध सिंह यादव-सदस्य, अमरोहा. डॉ. एसटी हसन-सदस्य, मुरादाबाद. विक्रम सिंह भाटी-सदस्य, गौतम बुद्ध नगर. मांगे राम कश्यप-सदस्य, सहारनपुर. बख्तावर सिंह-सदस्य, सहारनपुर. श्याम लाल बच्ची सैनी-सदस्य, मुजफ्फर नगर. सत्यवीर सिंह प्रजापति-सदस्य, मुजफ्फर नगर. मुकेश चौधरी-सदस्य, मुजफ्फर नगर. श्रीमती सुनीता चौहान-सदस्य, बुलंदशहर.