यह अखबार की न्यूज़ हमारे देश के संविधान को लेकर ,संघ परिवार का हमारे संविधान बनाने के समय से ही यह स्टैण्ड रहा है कि भारत के , यह जो भी संविधान सभा की तरफ से संविधान तैयार हो रहा है , वह संविधान मे भारत की संस्कृति, सभ्यता और भारतीत्व का कुछ भी झलक नहीं है ! और सबसे अहम बात है कि ॠषी मनूने हजारों साल पहले बनाया संविधान रहते हुए इस देश-विदेश के संविधानों की नकल कर के गुदड़ी जैसे संविधान की कोई आवश्यकता नहीं है!

और यह तर्क 26 नवम्बर 1949 के दिन डॉ बाबा साहब अंबेडकर ने संविधान सभा में पेश करने के दुसरे ही दिन संघ की अंग्रेजी पत्रिका ऑर्गनायझर मे संविधान की आलोचना करने वाले लेख लिखकर सबसे हैरानी की बात हमारे राष्ट्रीय ध्वज के तीन रंगों से लेकर अशोक चक्र के बारे मे भी आलोचना की है ! यह है हमारे एकमात्र वर्तमान देशभक्त होने का दावा करने वाली संघ परिवार के लोगों की असलियत ! और सबसे हैरानी की बात अभी-अभी तक संघ परिवार ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज को अपनी शाखाओं तथा नागपुर स्थित मुख्यालय में फहराने का शुरू नहीं किया था ! उल्टा भगवा ध्वज ही असली राष्ट्र ध्वज को अपनी शाखाओं तथा नागपुर स्थित मुख्यालय में फहराने का काम होता था ! लेकिन सुनने मे आया है कि गत कुछ दिनों से उन्होंने राष्ट्रीय झंडा फहराने की शुरुआत की है !

वैसे भी संघ परिवार आजादी के आंदोलन मे तयशुदा पालिसी के अंतर्गत शामिल रहने के बजाय अंग्रेज सरकार की तारीफ करते हुए ! अंग्रेजी सेना के लिए भर्ती करने के लिए रातदिन लगे हुए थे ! और इस काम मे तथाकथित स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर की भी भुमिका कोई अलग नहीं थी ! बैरिस्टर जिन्ना भी शुरूआती दिनों में छोड़ कर के मुख्यतः महात्मा गाँधी के भारत के आगमन के बाद अंग्रेजों के हिमायती हो गये थे ! क्योंकि उनका लक्ष्य मुसलमानो का एक अलग राष्ट्र बनाने का तयशुदा होने के कारण ! और उनसे भी तीन साल पहले विनायक दामोदर सावरकर की हिंदुत्व नाम की किताब जो अंदमान की सेलुलर जेल से चोरी छुपे बाहर भेजी गई थी और 1917 में छप चुकी थी ! कि हिंदू-मुस्लिम दो अलग-अलग राष्ट्र है ! उसके तेईस साल बाद मुस्लिम लिग का लाहौर प्रस्ताव है ! और संघ की स्थापना होकर 1946-47 मे बीस साल से भी ज्यादा समय हो गया था !

तो मेरे जैसे बटवारे के विरोधी को बार-बार कौंधता रहता है कि ! महात्मा गाँधी के हत्या का षड्यंत्र करने वाले लोगों को देशके बटवारे के समय क्या हो गया था ? सीधा मैदान में उतर कर बटवारे के विरोधी एक घटना याद नहीं है ! आजादी के आंदोलन मे तयशुदा पालिसी के अंतर्गत शामिल नहीं रहने वाले, आजादी के बाद भारत के संविधान को नकार ने वाले लोगों को और बटवारे के समय चुप-चाप रहे ! आज दुसरो को आनन-फानन में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर के ,और देशभक्ति का पेटेंट जैसे संघ परिवार ने ही करके रख लिया है ? और उपरसे उसे हिंदू राष्ट्र जाहिर करने की मांग कर रहे हैं! और यह भारत के तीसरी बटवारे की तैयारी कर रहे हैं ! और वह भी देशभक्ति के नाम पर ?

इन बावलो को क्या एक साधारण सी बात समझ में नहीं आती कि ,भारत के वर्तमान अल्प संख्यक समुदाय के लोगों की जन संख्या कम-से-कम एक चौथाई से भी ज्यादा है ! और सिर्फ मुसलमानों को दो बच्चे पैदा करने की बात कर रहे हैं ! अगर जनसंख्या यही भारत की सभी समस्याओं की जड है तो टोटल जनसंख्या कंट्रोल करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम चलाए ! (आपातकाल के समय संजय गांधी जैसे नहीं !) लेकिन गाहे बगाहे सिर्फ मुसलमानों को दो बच्चे पैदा करने से लेकर ,गोहत्या बंदी, लव-जेहाद, कोरोनाके फैलाने जैसे बेहूदा ,आरोप करके कौन सी राष्ट्रभक्ती का काम कर रहे हैं ? और यह भारत हजारों साल से क्या किसी खास कौम या जाति की जागीर है ?

यह विश्व का एकमात्र देश है जहाँ विश्व के सभी धर्मों के लोग सदियोंसे रह रहे हैं ! लेकिन 1909 ,और 1925 ,1950,1980 और छोटे मोटे कुकुरमुत्ता जैसे संगठनों को लेकर गत सौ साल से भी ज्यादा समय हो रहा है ! भारत के मुख्य सवालों को छोड़ कर सिर्फ हिंदू-मुस्लिम में पूरी बहस उलझाने का एक मात्र उद्देश्य है, कि भारत के लोग देश बेचा जा रहा वह नहीं देखे ! भारत के लोग बीजेपी दुनिया की सबसे अमीर पार्टी बनाली है वह नहीं देखे ! और उनके मातृ संघटन रजिस्टर्ड नहीं होने के कारण उसे भी जवाबदेही नहीं है !

और विदेशी एन आई आर से लेकर भारत के धन्नासेठो से बेशुमार दौलत इकट्ठा कर के भारत के सर्व सामान्य आदमी के रोजमर्रा की जिंदगी के सवालों पर बात न होकर ! मंदिर-मस्जिद, गाय, लव-जेहाद, दो बच्चे, इस तरह के बेतुकी और बेमतलब की बातें करने के लिए रोज एक नमूना पेश करते रहते है ! और सबसे हैरानी की बात आज भी भारत की सबसे बडी आबादी अस्सी प्रतिशत हिंदूओ की होने के बावजूद हिंदू राष्ट्र जाहिर करने की मांग करने की बात कितनी हास्यास्पद है ?

माफीविर सावरकर 13 मार्च 1910 अंग्रेजी शासन ने गिरफ्तार किया था और वह अंदमान की सेलुलर जेल मे पहुचने के एक साल के भीतर ही उन्होंने माफी नामे मांगने की शुरुआत की है ! और हर साल इंग्लैण्ड की महारानी को लंबे-लंबे माफी नामो मे मै महान ब्रिटिश शासन की क्या-क्या सेवा कर सकता यही बार-बार लिखते रहे ! 11 साल रहे हैं !और उसके बाद रत्नागिरी 1924 तक ! अंतमे रिहा कर दिए गए हैं ! 1937 के हिंदू महासभा के अधिवेशन के अध्यक्ष की हैसियत से हिंदू और मुस्लिम दो राष्ट्र है ! यह अपनी 1917 में जेल से लिखी हुई हिंदुत्व नाम की किताब का तर्क ,मुस्लिम लिग का लाहौर प्रस्ताव के तीन साल पहले ही उन्होंने खुद कहा है !

तो फिर बटवारे को लेकर इतना बवाल मचाने का क्या मतलब ? उल्टा महात्मा गाँधी अंतिम समय तक बटवारे के खिलाफ रहे ! बैरिस्टर जिन्ना के साथ कितनी-कितनी वार्तालाप के प्रयास किया ! लेकिन जिन्ना को भी भले छोटे से टुकडे का फादर ऑफ नेशन बनने का भुत सवार था ! और अंग्रेजी शासन से और हिंदू महासभा से तो उनके पाकिस्तान बनने के लिए मददगार साबित होने के बावजूद गाँधी को गुनाहगार मानते हैं !

और उनके हत्यारे को यही पट्टी उम्र के पंद्रह साल के भी कम उम्र का था तबसे नाथूराम गोडसे विनायक दामोदर सावरकर की सोहबत मे रत्नागिरी में रहा है ! और बैरिस्टर सावरकर ने शायद ही कभी वकालत की होगी ! पर अपनी बैरिस्टर की शिक्षा का उपयोग कम-से-कम एक दर्जन से अधिक काॅन्स्पिरसी के मामले सावरकर के नाम पर जमा होने के बावजूद अंतिम मामला गाँधी हत्याकांड की केस मे वह बरी कर दिए गए !

लेकिन मुझे रह-रह कर सरकारी वकील को कैसे सही लगा कि नाथूराम गोडसे बोलता है कि मैंने कभी भी सावरकर के साथ मुलाकात नहीं की है ! और सावरकर भी शपथ के साथ कहते हैं कि मुझे रोज काफी लोग मिलने के लिए आते हैं उनमें कौन नाथूराम गोडसे यह मुझे कैसे याद रहेगा ? जो की नाथूराम गोडसे ने स्कूल छोड़ कर सावरकर के घर मे सुबह से रात तक रहा है ! और सावरकर ने उसे अंग्रेजी, मराठी, संस्कृत इत्यादि विषय पढाये है ! और अन्य क्या पढाया होगा

यह मदनलाल ढींगरा और बटुकेश्वर दत्त के जैसे और लोगों को अलग-अलगहत्याकांड करने के लिए तैयार किया है ! और वह सभी फाँसी के तख्ते पर चढ गये लेकिन 1966 तक सावरकर 83 साल की उम्र में हताशा मे आत्महत्या की है ! लेकिन सावरकर एक भी केस में फसे नहीं ! उन्होंने अपने बैरिस्टर की शिक्षा का उपयोग सिर्फ अपने आप को बचाने के लिए ही किया है !

क्योंकि वह अंदमान की सेलुलर जेल से इंग्लैंड की महारानी को लंबे-लंबे माफी नामो मे मै महान ब्रिटिश शासन की क्या-क्या सेवाओं को प्रत्यक्ष रूप से कर सकता, उसमें अंग्रेजी सेना के लिए भर्ती करने की योजना का भी समावेश है ! और यह स्वातंत्र्यवीर अंग्रेजो की कृपा पात्र बनने के बाद भारत की आजादी के लिए 1947 तक क्या किये ! जिस रत्नागिरी मे हाउस अरेस्ट थे और बगल के गोवा मे चाडेचारसौ साल से पोर्तुगिज अंग्रेजी शासन से भी ढाई सौ साल पहले ! पांच लाख के गोवा पर राज कर रहे थे ! लेकिन तथाकथित स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर की गोवा के आजादी के लिए क्या योगदान है ?

डॉ राम मनोहर लोहिया अपने जर्मनी मे के शिक्षा के समय के मित्र मेनेझेस के आग्रह से गोवा बयालीस के आंदोलन के बाद जेल से बाहर निकलने के बाद स्वास्थ्य लाभ के लिए गये थे ! और गोवा के पोर्तुगिज शासकों की अन्याय-अत्याचार की बातें सुनकर अपने स्वास्थ्य की पर्वा न करते हुए सत्याग्रह का बिगुल 18 जून 1946 को फुकते है ! जिसे इस साल पचहत्तर साल हो रहे हैं ! और बगल के रत्नागिरी मे बैठे सावरकर की गोवा के आजादी के संदर्भ मे क्या भूमिका रही है ?और उन्हें उनके चेले स्वातंत्र्यवीर की उपाधि से उल्लेख करते रहते हैं !

सावरकर के माफी नामे और अंग्रेजी शासन से पेंशन प्राप्त कर के रत्नागिरी मे बैठे बैठे नाथूराम गोडसे अपने पिता की पोस्ट की नौकरी के कारण रत्नागिरी में तबादला होने के कारण नाथूराम 14-15 साल का स्कूल की पढाई छोड़ सुबह-सुबह ही सावरकर के पास चला जाता था और क्या सिखा ? उसीके जैसे मदनलाल ढींगरा, बटुकेश्वर दत्त और लगभग एक दर्जन से अधिक काॅन्स्पिरसी के मामले सावरकर के नाम पर जमा है ! लेकिन नाथूराम से लेकर अन्य सभी को फांसी की सजा हुई लेकिन विनायक दामोदर सावरकर की मृत्यु उन्हें खुद जीवन जीना असह्य हुआ तो खुद 1966 मे 83 साल की उम्र में मे इच्छा मरण से मरे है !

यह काफी लोग लिख चुके है मै उसे दोहराना नहीं चाहता हालाकि वह आजादी के बाद भी उन्नीस साल जीये थे ! और उस समय के सभी रिपोर्टों को देखकर लगता है कि वह भारत के बैरिस्टर जिन्ना बनना चाहते थे ! लेकिन तथाकथित हिंदुत्व की संकल्पना महात्मा गाँधी के खुद सनातन धर्म का हूँ ऐलान करने से और संपूर्ण जीवन शैली मे भारत के ॠषी-मुनीयो की तर्ज पर आश्रम पद्धति और एकादश व्रत-उपवास और सबसे बडी विशेषता उनके ड्रेस कोड ! बैरिस्टर सावरकर, बैरिस्टर मोहम्मद अली जिन्ना और तीसरे बैरिस्टर डाॅ बाबा साहब अंबेडकर भारत के संविधान के निर्माता महात्मा गाँधी के आग्रह के कारण ही उन्हे यह जिम्मेदारी सौंपी थी !

वह डॉ बाबा साहब के ड्रेस कोड नजरों के सामने लाईऐ ! और चौथे बैरिस्टर मोहन चंद गाँधी के ड्रेस कोड नजरों के सामने लाईऐ ! और तुलना कीजिए हमारे देश के सर्व सामान्य आदमी की जीवन शैली से किसकी वेशभूषा, रहन-सहन, और संपूर्ण सार्वजनीक जीवन के पारदर्शी शैली ने भी महात्मा बनाने के लिए और सत्याग्रह, असहकार जैसे सर्व सामान्य आदमी को भी आंदोलन मे शामिल करने के लिए निमित्त बने !

ऐसे कई-कई उदाहरण है जिसने महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व का असर इन तीनों बैरिस्टरो की तुलना मे सबसे ज्यादा भारत की जनता के दिलों पर रहने के कारण भी तीनों बैरिस्टरो को महात्मा गाँधी के नीतियों से भी ज्यादा ऊनके प्रति व्यक्तिगत इर्शालु बनाने के लिए, जीना गाँधी भारत आने के पहले हिंदू-मुस्लिम एकता के पैरोकारों मे सबसे बडे नेता थे! सरोजिनी नायडू की इस विषयपर किताब भी है ! लेकिन गाँधी के 1915 के भारत आगमन के बाद सबसे पहले सेक्युलर जीना कम्युनल बने ! कमधीक प्रमाण मे सावरकर की भी कहानी यही है !

और बाबा साहब विदेशों से पढाई खत्म करने के भारत वापस आने के बाद उन्हें लगा कि वह समस्त दलित समाज के नेता बनेंगे ! लेकिन वह जमीन पहले से ही महात्मा गाँधी ने दखल की हुई थी ! और डॉ बाबा साहब की लाईफ टाईम में उन्हें संपूर्ण भारत के दलितों का नेता बनने का सौभाग्य नहीं मिला ! उल्टा उनके मृत्यु के पस्चात ही आज वह लगभग भारत के सभी दलितों के नेता बनें !, लेकिन बैरिस्टर सावरकर के जीवन में यह सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ ! उनके कुछ सिपहसालार यह कोशिश कर रहे वह बात अलग है !

 

भारत के संविधान के लिए संघ परिवार को कभी भी सम्मान नहीं रहा यह बात संविधान के घोषित होते ही संघ ने छुपाया नहीं है ! जो समय समय पर उनकी( रूमर स्प्रेडिंग सोसायटी आर एस एस) यह जो दुसरा नाम ! के अनुसार वह समय-समय पर किसी न किसी के मुहसे हमें यह संविधान की जगह मनुस्मृति को लागू करने की बात अब यह कोई यतिंद्र नाथ गिरि जून अखाड़े के महामंडलेश्वरजी जो हरिद्वार लोकसभा चुनाव में 2009 मे बीजेपी के उम्मीदवार भी रहे हैं ! और राम मंदिर आंदोलन के प्रखर आंदोलक ,और समय-समय पर मुसलमानों के खिलाफ अनर्गल बकनेके ब्रिगेड मे से एक ने ,अभी हाल ही में व्यक्तव्य दिया है ! और कहा कि नई संसद के साथ नया संविधान चाहिए ! यह पुराना संविधान हमारे देश के संस्कृति का प्रतिनिधित्व नहीं करता है ! और, मदरसो को समाप्त करो,गोहत्या, आयुर्वेद, और बहुत कुछ तारे तोडे है !

 

यह सब भगवा ब्रिगेड के लोग इस तरह के संविधान से लेकर सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने से लेकर ऊलजलूल बकनेके बावजूद इनके उपर किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं होती है ! लेकिन कोई विद्यार्थी, पत्रकार, किसान, कार्यकर्ताओं की तरफ से देश-दुनिया के महत्वपूर्ण सवालों पर बात होती है ! तो तुरंत देश की एकता-अखंडता के लिए और देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर के और कुछ लोगों को तुरंत जेल मे ठुसना जारी है ! और यह लोग कितना विषवमन करते हुए इनमे से कोई लोकसभा ! तो कोई मुख्यमंत्री ! और कोई-कोई तो प्रधानमंत्री, गृहमंत्री तक बन रहे ! भारत के संविधान की इससे बड़ी बेआबरू और क्या हो

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