तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहां तख़्तनशीं था, उसको भी अपने ख़ुदा होने पे इतना ही यक़ीं था.
दिल्ली के प्रेस क्लब में इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व संपादक और भाजपा नेता अरुण शौरी ने जैसे ही मुस्कुराते हुए ये शेर पढ़ा, तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी. दरअसल, शौरी ने ये शेर सीधे-सीधे नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए कहा था. इसके साथ ही उन्होंने एक और ताकीद भी कर दी कि राम गयो, रावण गयो, जाके बहु परिवार और फिर अरुण शौरी का ये कहना कि ये भी जाएंगे, नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला था. मौका था दिल्ली के प्रेस क्लब में एनडीटीवी के प्रमोटर्स के यहां पड़े सीबीआई छापे के विरोध में आयोजित पत्रकारों की एक बैठक का. दरअसल, कुछ ही दिन पहले एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय और राधिका रॉय के यहां सीबीआई ने छापे मारे थे.
उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने एक निजी बैंक से लिया हुआ कर्ज नहीं चुकाया है. इस छापे को मीडिया की आजादी पर हमले के तौर पर देखा गया. इसी के विरोध में दिल्ली के प्रेस क्लब में कई महत्वपूर्ण पत्रकारों ने एक बैठक आयोजित कर इसे केंद्र सरकार की दुर्भावनापूर्ण बदले की कार्रवाई बताया. इस मौके पर अरूण शौरी, कुलदीप नैयर, फली एस नरीमन, एच के दुआ, शेखर गुप्ता, प्रणय रॉय आदि मौजूद रहे.
इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने कहा कि मैं नरेंद्र मोदी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं कि उन्होंने इतने सारे मित्रों को साथ ला दिया. पहले उन्होंने विज्ञापनों जैसे प्रोत्साहन दिए, फिर डर का ये माहौल दिया. अब दबाव डालने के लिए वे तीसरे साधन का उपयोग कर रहे हैं. उन्होंने एनडीटीवी के रूप में हमें एक उदाहरण दिया है. मुझे आशंका है कि आने वाले महीनों में ये सरकारी प्रवृति और भी ज्यादा उग्र होगी. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार सर्वसत्तावादी है, यानि ये हर एक चीज पर अपना अधिकार जमाना चाहती है.
लेकिन सरकार को याद रखना चाहिए कि जिस किसी ने भी भारत में प्रेस पर हाथ डालने की कोशिश की, वो अपने हाथ जला बैठा. श्री शौरी ने कहा कि एनडीटीवी द्वारा दिए गए तथ्यों का सीबीआई जवाब तक नहीं दे पा रही है. उन्होंने वहां मौजूद पत्रकारों से कहा कि आपको अपने मित्र की मदद करनी ही चाहिए, क्योंकि वो आपको बांटने की कोशिश करेंगे. आप केवल यंत्र न बनें. साथियों का समर्थन नहीं करने से ज्यादा हतोत्साहित करने वाली बात कोई और नहीं होती. मेरी अपने प्रेस के सहयोगियों से शिकायत है कि हम उतने सतर्क नहीं रहें, जितना हमें रहना चाहिए था. ये बहुत दुखद है कि आरटीआई का गला घोंटे जाने के समय हमें जैसी प्रतिक्रिया करनी चाहिए थी, वैसी हमने नहीं की.
राज्यसभा के पूर्व सदस्य और वरिष्ठ पत्रकार एचके दुआ ने कहा कि पिछली दफा प्रेस के ज्यादातर लोग खड़े नहीं हुए थे और जैसा कि आडवाणी ने कहा था, वे रेंग रहे थे. उसके बाद अवमानना विधेयक आया. राजीव गांधी बात करना चाहते थे, लेकिन हमने इंकार कर दिया. तब प्रेस की एकता ने लड़ाई जीत ली थी. विधेयक वापस लेना पड़ा था, क्योंकि लोग उसके खिलाफ थे. वैसे ही संकेत अब भी दिख रहे हैं. अगर हम एकजुट हों, तो फिर से उसे दोहरा सकते हैं. इस अवसर पर मशहूर वकील और न्यायविद फली नरीमन ने कहा कि एनडीटीवी मामले में जिस तरह से कार्रवाई की गई है, उससे मुझे लगता है कि ये प्रेस की आजादी पर हमला है.
2 जून को सीबीआई ने 7 साल पहले हुई घटना के लिए एफआईआर दर्ज की, वो भी बिना किसी जांच के, केवल संजय दत्त नाम के एक शख्स द्वारा दी गई सूचना के आधार पर. सीबीआई को ऐसा कोई मामला दायर करते समय एनडीटीवी की प्रतिक्रिया लेनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. ये संवैधानिक कर्तव्य का मामला है. इंदिरा गांधी के समय भी मीडिया पर ऐसे ही हमले हुए थे. तब इंडियन एक्सप्रेस के खिलाफ रिटर्न नहीं फाइल करने के 120 मामले दर्ज कराए गए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में अंतत: हमारी जीत हुई.
वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने इस मौके पर कहा कि आपातकाल के दौरान किसी को किसी से ये नहीं कहना पड़ता था कि क्या करना है. सभी जानते थे कि क्या करना है. तब इंडियन एक्सप्रेस एक प्रतीक बन गया था. आज जब हम कमोबेश वैसी ही स्थिति का सामना कर रहे हैं. हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि हम किसी को भी बोलने की आजादी छीनने ना दें. वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने कहा कि ये प्रेस की आजादी पर हमला है.
सोशल मीडिया ने हम सबको गुमराह कर दिया है. अन्य पेशों की तुलना में पत्रकारिता में कहीं बेहतर लोग हैं. कोई भी प्रोस्टिट्यूट नहीं है. दुर्व्यवहार से न डरें. वहीं प्रणय रॉय ने कहा, एक बार मैं चीन गया. वहां मुझसे पूछा गया, क्या आपको हमारी गगनचुंबी इमारतें देखकर जलन नहीं होती है? मैंने कहा, हमारे पास सर्वश्रेष्ठ स्काईस्क्रैपर्स हैं- आजाद माहौल. ये मामला केवल एनडीटीवी के खिलाफ नहीं है, बल्कि ये हम सब के लिए एक संकेत है.
प्रेस की आजादी भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ बात है. उन्होंने कहा कि हम किसी एजेंसी के खिलाफ नहीं लड़ रहे. वे भारत की संस्थाएं हैं, लेकिन हम उन नेताओं के खिलाफ हैं, जो इनका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैंने या राधिका ने काले धन का एक रुपया भी नहीं रखा है. हमने कभी किसी को रिश्वत नहीं दी है. इस मौके पर अनुपस्थित रहे वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अलग से एक वीडियो संदेश जारी कर कहा, मुझे लगता है कि वर्तमान माहौल में चुप रहना कोई विकल्प नहीं है. ये वो क्षण है, जब हमें इतिहास में सही किनारे पर खड़ा होना होगा.