पिछले एक दशक से विकास की ओर अग्रसर मगध प्रमंडल के जहानाबाद जिले को एक बार फिर लाल भूमि में तब्दील करने का प्रयास प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) ने शुरू कर दिया है. 27 फरवरी, 2016 को जहानाबाद जिले में हथियारों और नक्सली साहित्य के साथ पकड़े गए एरिया कमांडर गजेंद्र यादव सहित चार माओवादियों ने पुलिस के समक्ष इस बात का खुलासा किया. अस्सी के दशक में गया जिले का अनुमंडल जहानाबाद नक्सली गतिविधियों की आग में जल रहा था. बीसवीं शताब्दी के अंतिम दो दशकों में जहानाबाद एक दर्जन से अधिक नरसंहारों का गवाह बना, जिनमें सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए. पहला नरसंहार वर्ष 1980 में परस बिगहा में हुआ और अंतिम साल 2000 में रामपुर में हुआ. 1980 से 2000 के बीच कंसारा, अरवल, नोन्हीं नगमा, शंकर बिगहा, नारायणपुर, दमुआखगड़ी, सेनारी, लक्ष्मणपुर बाथे, मिंयापुर जैसे बड़ेे-बड़े नरसंहार हुए.
साल 1986 में हुए कंसारा नरसंहार के बाद जहानाबाद को पूर्ण जिला का दर्जा दिया गया, ताकि विकास के सहारे कानून व्यवस्था को ठीक रखते हुए नक्सली वारदातों पर अंकुश लगाया जा सके. जिला बनने के बाद भी जहानाबाद में नक्सली वारदातों में कोई कमी नहीं आई. दमुआ खगड़ी नरसंहार के बाद जहानाबाद पहुंचे बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के मुंह पर वीरेन्द्र विद्रोही नाम के एक युवक ने कालिख लगा दी थी. उस वक्त इस बात की चर्चा पूरे देश में बड़ी जोरशोर से हुई थी कि जहानाबाद के लोग नक्सली आग में जल रहे हैं और सरकार कुछ नहीं कर रही है. मुख्यमंत्री के चेहरे पर कालिख लगाना इसी विरोध का परिणाम है. उस दौर में जहानाबाद जिले में 6 इंच छोटा करने का नक्सलियों का जुमला बेहद चर्चित हुआ करता था, क्योंकि नरसंहारों में नक्सली तेज़ हथियार से निर्दोष या चिन्हित लोगों के सिर को धड़ से अलग कर देते थे.
उस वक्त प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीपुल्सवार ग्रुप और डॉ विनियन की मजदूर किसान संग्राम समिति जहानाबाद और अरवल में ज्यादा सक्रिय थी. नक्सली कार्रवाई और अधिक बढ़ने लगी तो अरवल को भी जहानाबाद से अलग एक नया जिला बना दिया गया. साल 2000 के बाद घोर नक्सल प्रभावित जहानाबाद और अरवल जिले में नक्सली कार्रवाई कम होने लगी. वर्ष 2005 में बिहार में आई नीतीश कुमार की सरकार ने प्रदेश में अपराध पर लगाम लगाने और नक्सलियों के खिलाफ अभियान शुरू किया तो नक्सली वारदातों में काफी हद तक कमी आ गई. जहानाबाद, अरवल विकास के रास्ते शांति की ओर आगे बढता रहा.
पिछले दस सालों से जहानाबाद और अरवल के लोग शांति से अपने-अपने कारोबार में जुटे हैं. लेकिन हाल ही में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) ने जहानाबाद में नए सिरे से अपने संगठन का विस्तार कर लेवी वसूलने और फरमान नहीं मानने वाले को 6 इंच छोटा करने का अभियान शुरू किया है. इस बात का खुलासा पाली थाना क्षेत्र के टिंबलपुर गांव में 27 फरवरी, 2016 को गिरफ्तार किए गए माओवादी कमांडर सहित चार नक्सलियों ने किया है. इन नक्सलियों के पास से कार्बाइन, पिस्तौल, कारतूस, मोबाइल तथा नक्सली साहित्य बड़ी संख्या में जब्त किए गए हैं.
माओवादियों ने बताया कि भदसारा गांव में निर्माणाधीन पावर सबस्टेशन को जलाने की उनकी योजना थी. ईस्ट इंडिया उद्योग लिमिटेड नामक कंपनी ने पॉवर सब स्टेशन का सागरपुर-धराइत में निर्माण किया है. भदसारा में निमार्ण कार्य चल रहा है. माओवादियों ने कंपनी से लेवी की मांग की थी. लेवी नहीं देने पर निर्माणाधीन पावर सब स्टेशन को आग के हवाले करने की उनकी योजना थी. इसी दौरान पुलिस ने इन सभी को गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस की गिरफ्त में आए माओवादी कमांडर गजेंद्र यादव ने पुलिस को बताया कि संगठन ने ईंट भट्ठा मालिकों और विकास कार्य करने वाले ठेकेदारों व निर्माण एजेंसियों से लेवी वसूलने के लिए नया तरीका अपनाया है. उनके साथ शामिल हुए नए लोगों को संगठन में शामिल कर उन्हें छोटे-छोटे क्षेत्रों में लेवी वसूलने की जिम्मेदारी सौंपी है. इसी योजना के तहत सभी लोगों को उनके क्षेत्रों में निर्माण कार्य कर रही कंपनियों और भट्ठा मालिकों से लेवी वसूलने का काम दिया गया था. हाल ही में तकरीबन 70 लोगों को लेवी वसूलने के लिए नोटिस दिया गया था, जिसमें से 18 लाख रुपये की वसूली कर शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचा भी दिया गया है. गिरफ्तार माओवादियों ने बताया कि इससे पूर्व बरावां स्थित पाईन निमार्ण कार्य में लगी जेसीबी को लेवी नहीं देने के कारण जला दिया गया था. सेवनन में पोकलेन मशीन को आग के हवाले कर दिया गया.
रुस्तमपुर में भागवत शर्मा के खेत में लगी धान की फसल आग के हवाले करने में भी इन माओवादियों की संलिप्तता थी. पुलिस की गिरफ्त में आए माओवादियों ने बताया कि ग्रुप में शामिल हुए नए लोगों को लेवी वसूलने तथा अन्य तरह की ट्रेनिंग गया जिले के जगंल में दी गई थी. माओवादी एरिया कंमाडर गजेंद्र यादव ने 13 नवंबर, 2005 की रात जहानाबाद में हुए जेल बे्रक कांड़ में शामिल होने की बात स्वीकार की है. इन माओवादियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि पुलिस जब पाली थाना क्षेत्र के टिंबलपुर गांव में दबिश देने पहुंची तो माओवादियों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस ने माओवादियों का मुस्तैदी के साथ सामना करते हुए उन्हें हथियारों के साथ गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की. पूछताछ के बाद अन्य स्थानों से भी कई माओवादियों को पकड़ा गया है.
पुलिस के अनुसार माओवादियों से पूछताछ में जो बातें सामने आई हैं. उनसे स्पष्ट होता है कि जहानाबाद को माओवादी एक बार फिर जहानाबाद और उसके आस-पास अपने आधार को मजबूत करने में जुटे हैं. पुलिस का मानना है कि यदि ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब और बेरोजगार युवकों के लिए सरकार कोई योजना नहीं बनाती है तो ऐसे ग्रामीण युवक राह भटककर माओवादी संगठनों में शामिल हो सकते हैं. इस वजह से जहानाबाद जिला एक बार फिर से नक्सली ताकतों के आगोश में जा सकता है.