पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट 30 साल पुराने रोड रेज मामले में उन्हें सुनाई गई सजा के मुद्दे पर फिर विचार करेगा. कोर्ट ने पीड़ित पक्ष की पुनर्विचार याचिका स्वीकार करते हुए सिद्धू को नोटिस जारी किया है. हालांकि कोर्ट ने साफ किया है कि वह केवल सजा की अवधि के मुद्दे पर ही विचार करेगा. इस मामले में सिद्धू को एक हज़ार रुपये का जुर्माना या एक साल की कैद अथवा दोनों सजा हो सकती है. उधर, सिद्धू ने कहा है कि उन्हें कोर्ट के नोटिस के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
दिसंबर 1988 के रोड रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गत 15 मई को सिद्धू की अपील स्वीकार करते हुए उन्हें गैर इरादतन हत्या के आरोपों से बरी कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को तीन साल के कारावास और एक लाख रुपए जुर्माने की हाईकोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा का फैसला रद कर दिया था पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पूरी तरह आरोपों से बरी नहीं किया था. न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर व न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने साधारण चोट पहुंचाने में दोषी ठहराते हुए 1000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने चार माह पहले अपने फैसले में कहा था कि मौजूदा रिकॉर्ड और मेडिकल साक्ष्य से यह साबित नहीं होता कि गुरनाम की मौत सिर पर मुक्का मारने के कारण आई चोट से हुई थी. सिर्फ यह साबित होता है कि सिद्धू ने गुरनाम सिंह को चोट पहुंचाई थी. जो आइपीसी की धारा 323 के तहत दंडनीय अपराध है. इसमें एक साल तक की कैद या 1000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है. सिद्धू राजनीति में तेजी से आगे आना चाह रहे हैं, लेकिन विवाद उनका पिछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहे है. आक्रामक रवैया अपनाने के कारण सिद्धू इन दिनों अपनी ही पार्टी के नेताओं को फूटी आंख नही सुहा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई पुनर्विचार याचिका को भी इससे जोड़ कर देखा जा रहा है.
पाक आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा से गले मिलने पर भी उनकी काफी आलोचना हुई थी. सुप्रीम कोर्ट अगर पुनर्विचार याचिका में सिद्धू को सजा का फैसला सुना देता है तो उनको कैबिनेट से बाहर जाना पड़ सकता हैं और इससे उनका राजनीतिक करियर भी खतरे में पड़ सकता है.