साल 2002 में गुजरात में हुए नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में आज गुजरात हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. बता दें कि हाई कोर्ट ने इस मामले में आरोपी पूर्व मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया है. माया कोडनानी पर आरोप था कि वो अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में दंगा भड़काने का काम कर रही थीं और लोगों ने उन्हें वहां पर देखा भी था हलाकि यह बात कोर्ट में साबित नहीं की जा सकी जिसके बाद अब उन्हें बरी कर दिया गया है.
बता दें कि माया कोडनानी के खिलाफ कोर्ट में 11 चश्मदीदों के अलावा और भी कई सुबूत थे, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें दोषी साबित नहीं किया जा सका और अब वो इस मामले से बरी कर दी गयी हैं.
माया कोडनानी के खिलाफ 11 चश्मदीदों ने गवाही दी थी. इन 11 चश्मदीदों का कहना है कि उन्होंने दंगों के दौरान माया कोडनानी को नरोदा पाटिया में देखा था. लेकिन हाईकोर्ट ने मामले की जांच कर रही पुलिस की गवाही को सच माना. पुलिस का कहना है कि दंगों के दौरान माया कोडनानी के इलाके में रहने के कोई सुबूत नहीं मिले हैं.
इस मामले में जिन्हें भी गवाह बनाया गया था वो लगातार अपना बयान बदल रहे थे जिसका फायदा माया कोडनानी को मिला और अब वो कानून की गिरफ्त से बाहर हैं. इस मामले में एक ख़ास बात यह है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मौजूदा अध्यक्ष अमित शाह भी कोर्ट के सामने माया कोडनानी के पक्ष में गवाही दे चुके हैं. अमित शाह ने कोर्ट को दिए अपने बयान में कहा था कि दंगों के दौरान माया कोडनानी गुजरात विधानसभा भवन में मौजूद थीं.
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16 साल पहले 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में सबसे बड़ा जनसंहार हुआ था. 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगियां जलाने की घटना के बाद अगले रोज जब गुजरात में दंगे की लपटें उठीं तो नरोदा पाटिया सबसे बुरी तरह जला था. आपको बता दें कि नरोदा पाटिया में हुए दंगे में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इसमें 33 लोग जख्मी भी हुए थे.