पिछले सरकार के कारण युक्रेन में छात्रों की अटकने की समस्या खड़ी हुई हैं ! वर्तमान सरकार २०१४ के मई माह में सत्ता में आने को इस मई में आठ साल हो रहे हैं ! आज जो भी छात्र तीस साल की उम्र कम-से-कम है ! तो वह छात्र 2014 में बाईस साल का रहा होगा ! और शायद उन छात्रों के जीवन के पहले मतदान से भी वर्तमान सरकार को सत्ता में आने के लिए मदद हुई होगी !
कम-से-कम नरेंद्र मोदी को, उनके उपकार को देखते हुए तो सच कहना चाहिए था ! कुछ समय पहले हमारे घर में पानी के नल को दुरूस्त करने के लिए, हमें कीसी प्लंबर को बुलाना पड़ा था ! तो उसके साथ हेल्पर के रूप में एक युवक, बढीया डेनिम की जिन्स और वैसेही बहुत ही सुंदर जुते पहना हुआ था ! तो मैंने पुछा आपका हेल्पर बहुत ही वेलड्रेस है ! तो प्लंबर ने बहुत ही अभिमान के साथ कहा, कि सर यह मेरा बेटा है ! और चीन में मेडिकल कॉलेज में पढाई कर रहा है ! और अभी छुट्टियों में घर आया है ! तो “मैंने कहा कि चलो आज एक डॉक्टर साहब के नलकूप के काममे जाना हैं ! तो तुम्हारे लिए अच्छा मौका है ! तो वह मेरे साथ आया है !” तो मैंने पुछा की भारत में किसी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नहीं मिला ? तो उसने कहा कि यहाँ की फिस की तुलना में चीन के मेडिकल कालेज में आधे से भी कम खर्च में मेरी पढ़ाई हो जायेगी ! इसलिए मैं चीन में पढ़ने का निर्णय लिया ! और भी बहुत विद्यार्थि भारत से वहाँ पर है ! इसलिए कुछ दिक्कत नहीं है ! यह एक नागपुर जैसे पचास लाख जनसंख्या वाले भारत की एक जगह का उदाहरण हैं ! 135 करोड़ आबादी में, अगर एकाध करोड़ विद्यार्थियों को भारत की महंगी शिक्षा के कारण अगर चीन, पाकिस्तान, बांगलादेश और लगभग विश्व के सौ से अधिक देशों में ! हमारे देश के विद्यार्थियों को मजबुरन पढ़ने के लिए जाना पड़ता है ! यह जिम्मेदारी से कोई भी सरकार मुक्त नहीं हो सकती है !
लेकिन नरेंद्र मोदी किस मट्टि के बने है ? पता नहीं ! इमानदारी से बोलना शायद उन्हें आता ही नहीं है ! अन्यथा आठ साल के सत्ता में आने वाले के मुहमे हरेक समस्या के लिए पिछले सरकार के मथ्थे दोष मढना शोभा नहीं देता है !
20-22 साल के बच्चे जब किसी कारण से ! भारत के बाहर पढ़ाई के लिए जाने की सब से पहली संभावना, उस विद्यार्थि को उसे जीस विषय में पढाई करने की ईच्छा है, उसमें उसे भारत में पैसे ज्यादा लगता है ! यह एक कारण से लेकर, उसे वह शिक्षा के लिए अडमिशन नही मिली होने की संभावना ! यह दो कारणों का ज्यादा संबंध है !
आज के भास्कर नाम के दैनिक अखबार में , पन्ना नंबर दो मे देश – विदेश के पन्ने पर ! छपी रिपोर्ट के अनुसार, और हमारे विदेश मंत्रालय के राज्य मंत्री के मुरलीधरन के मुताबिक, इस समय विश्व के 99 देशों में भारत के 11लाख 33 हजार भारतीय छात्र पढाई कर रहे हैं ! जिन देशों में सबसे ज्यादा भारतीय छात्र है ! उनमें संयुक्त अरब अमीरात, कनाडा, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, ग्रेट ब्रिटेन आदि नामों का शुमार है ! विदेश विभाग के उतप्रवासन ब्यूरो (बीओआई) के मुताबिक, सबसे ज्यादा 2,19000 भारतीय संयुक्त अरब अमीरात में पढाई कर रहे हैं ! तो कनाडा में इस मामले में दुसरे नंबर पर है ! जहां 2,15,720 छात्र अध्ययनरत है !, इसी प्रकार अमेरिका में 2,11,930 तो आस्ट्रेलिया में 92,383 भारतीय छात्र अपना भविष्य जुटाने में जुटे हैं !
सर्बिया जैसे किसी जमाने में चेकोस्लोवाकिया के विभाजन के बाद ! बना तीस साल पुराना देश ! में भी है भारतीय छात्र ! भारतीय छात्रों के पढाई के लिए विकसित और अविकासशील देशों में जाने का औचित्य तो समझ में आता है ! लेकिन पाकिस्तान, कतर, मोजाम्बिक, लेबनान, जैसे देशों में जाने का ट्रेंड थोड़ा समझना मुश्किल है !
विदेश मंत्रालय के उतप्रवासन ब्यूरो (बीओआई) के आंकड़े बताते हैं कि, इस समय पाकिस्तान में 230 भारतीय छात्र पढाई कर रहे हैं ! सर्बिया और वियतनाम में सिर्फ एक – एक भारतीय छात्र पढाई कर रहे हैं ! इसी प्रकार मोजाम्बिक, जोर्डन और बैरूत में दो – दो तो रीयूनियन द्विप में तीन भारतीय छात्र अध्ययन कर रहे हैं !
पाक पढ़ने जाते हैं कश्मीरी छात्र ! भारतीय छात्रों के पाकिस्तान जाने पर आस्चर्य होना स्वाभाविक है ! लेकिन यह सच्चाई है ! हालांकि पाकिस्तान में सिर्फ जम्मू-कश्मीर के छात्र ही मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने जाते हैं ! विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इसकी पहली वजह है कि अन्य देशों के मुकाबले पाकिस्तान में पढाई सस्ती है ! दुसरी अहम बात यह है कि, पडोसी के साथ मुस्लिम देश होने के चलते पाकिस्तान कश्मीरी छात्रों को ज्यादा लुभाता है !, क्योंकि भाषा व रहन – सहन में साम्यता होने के चलते उन्हें वहां अपनापन और सुरक्षा का भाव महसूस होता है !
विकसित देशों का आकर्षण है ! वजह अमेरिका और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में पढ़ने जाने का महत्वपूर्ण कारण, विकसित देशों की चकाचौंध का आकर्षण माना जाता है ! जानकार बताते हैं कि विकसित देशों की डिग्रीयो से छात्रों को मोटी तनख्वाह, और बेहतर सुविधाएं मिलती हैं ! तो वही उन्हें भविष्य में विकसित देशों में बसने का मौका भी मिलता है ! विदेश मंत्रालय अध्ययन के लिए विदेश जाने वाले छात्रों के लिए जल्द ही एक ग्लोबल इंडियन स्टुडंट्स पोर्टल लान्च करने वाला है ! इस पोर्टल में पाठ्यक्रमों, विदेशी विश्वविद्यालयों, नोडल अधिकारीयों, मान्यता आवश्यकताओं आदि के बारे में जानकारी होगी !
किस देश में कितने छात्र !
युएई 2,19,000,कनाडा 2,15,720, अमेरिका 2,11, 930, आस्ट्रेलिया 92000, ग्रेट ब्रिटेन 55,465, जर्मनी 20,810,युक्रेन 18000, फ्रांस 10,000, बांग्लादेश 5200, नेपाल 2200, सिंगापुर 1500, चीन 23000, फिनलैंड 1051, दक्षिण अफ्रीका 434, श्रीलंका 7,सूडान 10 !
यह है आज के भास्कर की खबर !
गत आठ वर्ष से अधिक समय से संघ की भारत विश्वगुरु बनाने की रट सुनते आ रहे हैं ! इसी संघ की राजनीतिक ईकाई के नेतृत्व में, भारत के आजादी के पचहत्तर साल में एनडीए के नाम पर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के छ साल 2000 से 2006 तक ! और अभी वर्तमान समय के सरकार के आठ साल मिला कर, चौदह साल सत्ता चलाने वाले लोगों के मुहमे ! हरेक संकट या नाकामी का ठिकरा पहली सरकारों के नाम पर खपाने के झुठे जुमलो से, तात्कालिक जिम्मेदारी से भागने वाली सरकार को तीन महीने से भी ज्यादा समय से युक्रेन में क्या होने वाला है ? यह भलीभांति मालूम रहते हुए ! जैसे कोरोना के समय किया ! उससे अधिक गैरजिम्मेदाराना रवैया हमारे छात्रों के साथ किया है ! और पिछले सरकार के उपर आरोप करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुछ भी संकोच नहीं होना ! बेशर्मी की हद पार करने का काम किया है !
क्योंकि आठ साल पहले सत्ता में आने के बाद तुरंत यूजीसी की तरफसे बेतहाशा फीस बढ़ाने वाले लोगों को क्या ? यहाँ भी पहले की सरकारों को जिम्मेदार ठहराना है ? रोहित वेमुला और नजीब जैसे प्रतिभाशाली लेकिन दलित और अल्प संख्यक जातियों के विद्यार्थियों को मरने के लिए जिम्मेदार भी पिछले सरकार है ? फीस के खिलाफ सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटीज से लेकर आई आई टी, आई आई एम से लेकर सभी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों के आंदोलनों की शिक्षा व्यवस्था की मांगों पर ध्यान देना, छोड़कर अपने पिट्ठुओं के मदद से टुकड़े – टुकड़े गैंग और देशद्रोह के आरोपों में जेलों में बंद करने वाली भी पीछली सरकार थी ? विद्यार्थी परिषद नाम की एक गुंडों की सेना को सभी संस्थानों में मनमानी करने की खुली छूट देने वाली भी पिछले सरकारों का कारनामा कहिये ?
वर्तमान समय में भारत के केजी से लेकर पीजी तक कि शिक्षा आम, गरीब – गुर्बा, के बच्चों से कोसो दूर ! बेतहाशा फीस बढ़ाने के लिए भी पिछले सरकार के कारनामों में आता है ? नरेनभाया जन की नही तो मनकी लाज रखने की आखिर में सलाह देते हुए ! समाप्त कर रहा हूँ ! लेकिन जाते – जाते यह स्पष्ट कर दूं कि मैं किसी भी सरकारों का समर्थक नही हूँ ! मराठी संत तुकाराम महाराज के जैसा आपुलाची वाद आपुल्यासी (मेरा मेरे ही साथ वाद विवाद चल रहा हैं !) इस पंथ का हूँ !
डॉ सुरेश खैरनार 4 मार्च 2022, नागपुर