नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के बजट अभिभाषण पर हुई चर्चा में जवाब दिया. स्पीच की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी पर चुटकी ली. उन्होंने कहा, आखिर भूकंप आ ही गया. मैं सोच रहा था कि भूकंप आया कैसे? धमकी तो बहुत पहले सुनी थी. कोई तो कारण होगा कि धरती मां इतनी रूठ गई होगी. गौरतलब है कि पिछले संसद सत्र में राहुल गांधी ने कहा था कि मोदी उन्हें बोलने नहीं दे रहे हैं, अगर वे बोलेंगे तो भूकंप आ जाएगा. हालांकि प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भूकंप के कारण जिन-जिन क्षेत्रों में असुविधा हुई है, मैं उनके प्रति भावना व्यक्त करता हूं. केंद्र सरकार राज्यों के संपर्क में है और राहत बचाव की कुछ टीमें वहां पहुंच गई हैं.
बजट के समय को लेकर विपक्ष के सवालों को भी मोदी ने जवाब दिया. उन्होंने कहा, हमारे देश की कठिनाई है कि अंग्रेजों की छोड़ी विरासत को लेकर चल रहे हैं. हम मई में बजट की प्रक्रिया से पार निकलते हैं. एक जून के बाद बारिश आती है. तीन महीने बजट का इस्तेमाल नहीं हो पाता. काम करने का समय कब बचता है. जब समय आता है तो दिसंबर से मार्च तक जल्दबाजी में काम होते हैं. बजट पेश करने के समय में बदलाव के बो में भी प्रधानमंत्री ने बताया. उन्होंने कहा कि बजट पहले शाम 5 बजे पेश होता था. ऐसा इसलिए होता था, क्योंकि यूके के टाइम के हिसाब से अंग्रेज यहां बजट पेश करते थे.
बेनामी संपत्ति पर कानून बनाने के बाद भी उसे प्रभावी नहीं करने को लेकर भी मोदी कांग्रेस पर बरसे. उन्होंने मोदी ने कहा, 1988 में आपने बेनामी संपत्ति का कानून बनाया. आपको जो ज्ञान आज हुआ है, क्या कारण था कि 26 साल तक उस कानून को नोटिफाई नहीं किया गया? क्यों उसे दबोच कर रखा गया? तब नोटिफाई कर देते तो 26 साल पहले की स्थिति ठीक थी. देश को साफ-सुथरा करने में योगदान हो जाता. वो कौन लोग थे, जिन्हें कानून बनने के बाद लगा कि इससे तो नुकसान हो जाएगा. आपको देश को जवाब देना पड़ेगा.
नोटबंदी में जल्दी-जल्दी नियम बदले जाने को लेकर विपक्ष के हमले का जवाब देते हुए मोदी ने कहा कि एक तरफ देश को लूटने वाले थे, दूसरी तरफ देश को ईमानदारी के रास्ते पर लाने वाले थे. लेकिन आप लोगों का जो बड़ा प्रिय कार्यक्रम है, उस पर आप पीठ थपथपा रहे हैं. देश आजाद होने के बाद 9 अलग-अलग नाम से योजना चली, जिसे आज मनरेगा कहते हैं. देश और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इतने साल से चली योजना के बावजूद मनरेगा में 1035 बार नियम बदले गए. उसमें तो कोई लड़ाई नहीं थी.
नोटबंदी के फैसले के समय को लेकर सफाई देते हुए मोदी ने कहा, उस वक्त हमारी इकोनॉमी मजबूत थी. कारोबार के लिए भी वक्त सही था. हमारे देश में सालभर में जितना व्यापार होता है, उसका आधा दिवाली के समय ही हो जाता है. यह सही समय था नोटबंदी के लिए. जो सरकार ने सोचा था, लगभग उसी हिसाब से सब चीजें चलीं. मैंने जो हिसाब-किताब कहा था, उसी प्रकार से गाड़ी चल रही है. इसलिए मैं बता दूं कि यह फैसला मैं हड़बड़ी में नहीं लिया.
सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर विपक्ष को आड़े हाथो लेते हुए मोदी ने कहा, अपने सीने पर हाथ रखकर पूछिए. सर्जिकल स्ट्राइक के पहले 24 घंटे में नेताओं ने क्या बयान दिए थे. जब उन्होंने देखा कि देश का मिजाज अलग है, तो उन्हें अपनी भाषा बदलनी पड़ी. ये बहुत बड़ा निर्णय था. नोटबंदी में तो लोग पूछते हैं कि मोदीजी सीक्रेट क्यों रखा, कैबिनेट क्यों नहीं बुलाई. सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में कोई नहीं पूछ रहा.
मल्लिकार्जुन खड़गे के कल के बयान पर पलटवार करते हुए मोदी ने कहा, हम ये जानते हैं कि जनशक्ति का मिजाज कुछ और ही होता है. कल हमारे मल्लिकार्जुन जी कह रहे थे कि कांग्रेस की कृपा है कि अब भी लोकतंत्र बचा है और आप प्रधानमंत्री बन पाए. वाह! क्या शेर सुनाया. बहुत बड़ी कृपा की आपने देश पर कि लोकतंत्र बचाया. कितने महान लोग हैं आप. लेकिन उस पार्टी के लोकतंत्र को देश भली-भांति जानता है. एक परिवार के लिए पूरा लोकतंत्र आहत कर दिया गया है.
चार्वाक के सिद्धांत बताते हुए मोदी ने भगवंत मान पर चुटकी ली. उन्होंने कहा, चार्वाक ने कहा था- यावत जीवेत, सुखम जीवेत. ऋणं कृत्वा, घृतं पीवेत’. यानी जब तक जियो सुख से जियो, उधार लो और घी पियो. उस समय ऋषियों ने घी पीने की बात कही थी. शायद उस वक्त भगवंत मान नहीं थे. नहीं तो कुछ और पीने को कहते.
डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए मोदी ने कहा, आज एक-एक Aएटीएम को संभालने के लिए एवरेज 5 पुलिसवाले लगते हैं. करंसी को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए काफी खर्च होता है. इसलिए जो लोग डिजिटल करंसी से जुड़ सकते हैं, उन्हें जोड़ना चाहिए.