पिछले साल चर्चा में रहा पीएम मोदी का डिग्री विवाद फिर से सामने आता दिख रहा है. सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन (सीआईसी) ने दिल्ली विश्वविधालय (डीयू) को 1978 का बीए डिग्री का रिकॉर्ड दिखाने का ऑर्डर दिया है.
सीआईसी ने यह आदेश उस समय दिया है, जब कुछ दिन पूर्व ही नीरज नामक के एक व्यक्ति ने यूनिवर्सिटी से 1978 में बीए की डिग्री लेने वाले स्टूडेंट्स के रोल नंबर, नाम, पिता का नाम और नंबर की जानकारी मांगी थी. सीआईसी ने यह भी कहा है कि रिकॉर्ड की कॉपी मुफ्त में दी जाए. इससे पहले डीयू की सेंट्रल पब्लिक इन्फॉर्मेशन ऑफिसर (सीपीआईओ) मीनाक्षी सहाय ने यह दलील दी थी कि यह किसी तीसरे शख्स की निजी जानकारी है.
लेकिन इन्फॉर्मेशन कमिश्नर श्रीधर आचार्युलु ने इस दलील को खारिज कर दिया. आचार्युलू ने कहा, सीपीआईओ ने ऐसा कोई सबूत नहीं दिया है या इस संभावना पर कोई सफाई नहीं दी कि डिग्री की इन्फॉर्मेशन के खुलासे से प्राइवेसी का वॉयलेशन होता है.
सीपीआईओ मीनाक्षी सहाय ने यह भी कहा था कि 1978 में बीए प्रोग्राम में दो लाख स्टूडेंट्स थे और जब तक बीए प्रोग्राम के सब्जेक्ट का जिक्र नहीं किया जाता है तब तक मांगी गई इन्फॉर्मेशन देना मुश्किल होगा. 1978 का एग्जाम रिजल्ट डिजिटल में भी नहीं है. गौरतलब है कि डीयू के मुताबिक, पिछले साल आम आदमी पार्टी ने मोदी की डिग्री पर सवाल उठाए थे. इसके बाद डीयू ने दावा किया था कि पीएम की डिग्री सही है.