जन्मदिन- 28 मई 1923
पुण्यतिथि- 18 जनवरी 1996
एनटी रामा राव उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने इस मिथक को तोड़ा कि सिनेमा में काम करने वाले लोग सियासत में सफल नहीं हो सकते हैं. एनटीआर ने न सिर्फ मुख्यमंत्री के पद तक का सफर किया, बल्कि उन्होंने अपने दम पर दक्षिण भारत की सियासत को एक नई दिशा भी दी. एनटीआर के उपनाम से प्रसिद्ध नन्दमुरि तारक रामाराव एक भारतीय अभिनेता, निर्देशक, फिल्म निर्माता एवं राजनेता थे. उन्होंने तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना की और तीन बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने 250 से ज्यादा तेलुगु फिल्मों में कार्य किया जिसके कारण वे तेलुगु फिल्मों के इतिहास में सबसे जाने-माने अभिनताओं में से एक माने जाते हैं. तेलुगु के अलावा उन्होंने तमिल और हिंदी भाषा की फिल्मों में भी काम किया. 1950 के दशक में हिन्दू देवताओं जैसे कृष्ण और राम के जीवन से सम्बंधित फिल्मों में की गई अदाकारी ने उन्हें दक्षिण भारत के घर-घर में चहेता चेहरा बना दिया.
एनटी रामा राव का जन्म 28 मई 1923 को मद्रास प्रेसीडेंसी में स्थित कृष्ण जिले के गुड़िवाड़ा तालुक के एक छोटे से गांव निम्माकुरु में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही एक शिक्षक सुब्बा राव से ग्रहण की. उनके माता-पिता ने बचपन में ही उन्हें उनके मामा को गोद दे दिया था. गांव में अच्छी शिक्षा का प्रबंध नहीं था, इसलिए एनटी रामा राव अपने गांव में महज पांचवीं कक्षा तक ही पढाई कर पाए. इसके बाद वे अपने दत्तक माता-पिता के साथ विजयवाड़ा चले गए, जहां उन्होंने नगर निगम के विद्यालय में दाखिला लिया. 1940 में उन्होंने दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए विजयवाड़ा के एसआरआर और सीवीआर कॉलेज में दाखिला लिया. उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए पढ़ाई के दौरान रामाराव अपने परिवार की मदद करने के लिए विजयवाड़ा के स्थानीय होटलों में दूध वितरण का काम करते थे. वर्ष 1945 में उन्होंने स्नातक की पढ़ाई के लिए आंध्र-क्रिश्चियन कॉलेज में दाखिला लिया.
पढ़ाई के साथ-साथ वे फिल्मों के लिए भी संघर्ष कर रहे थे. एनटी रामा राव के फिल्मी करियर की शुरुआत हुई 1949 में आई तेलुगु फिल्म मना देसम से, जिसमें उन्होंने पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई थी. इसके बाद उन्होंने एक अंग्रेजी नाटक पिजारो पर आधारित फिल्म पल्लेतुरी पिल्ला में अभिनय किया, जिसका निर्देशिन किया था बीए सुब्बाराव ने. इस फिल्म ने जबरदस्त सफलता हासिल की और रामाराव एक लोकप्रिय अभिनेता बन गए. अपनी पहली पौराणिक फिल्म माया बाज़ार में उन्होंने हिन्दू देवता कृष्ण का चरित्र निभाया था. यह फिल्म भी कामयाब हुई और इसके बाद एनटीआर ने हिंदू देवी-देवताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित कई फिल्में की. उन्होंने भगवान राम, कृष्ण, भीष्म, अर्जुन, कर्ण, दुर्योधन, विष्णु, शिव आदि के किरदार निभाए. 17 फिल्मों में उन्होंने कृष्ण के किरदार को परदे पर उतारा, जिनमें प्रमुख हैं, श्री कृष्णार्जुन युधम, कर्ण, दानवीर सूर कर्ण आदि. इन फिल्मों के बाद एनटीआर ने स्थापित व्यवस्था के खिलाफ लड़ने वाले युवाओं का किरदारों निभाया. ये फिल्में आम लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हुईं. इनमें प्रमुख हैं, देवुदु चेसिना मनुशुलु, अदावी रामुडु, ड्राईवर रामुडु, वेतागादु, सरदार पापा रायुडु, जस्टिस चौधरी आदि. एनटीआर ने फिल्मों के लिए पटकथा लेखन भी किया. एक निर्माता के तौर पर कई फिल्में भी बनाई. राजनीति में प्रवेश के बाद भी कई साल तक वे फिल्मों में काम करते रहे.
29 मार्च 1982 को एनटीआर ने तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना कर राजनीति में प्रवेश किया. उस समय आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक तरह से कांग्रेस का एकाधिकार था और एनटीआर के राजनीति में आने का एक उद्देश्य आंध्र को कांग्रेसी आधिपत्य से मुक्ति दिलाना भी था. 1982 के चुनावों में एनटीआर की पार्टी को जबरदस्त सफलता मिली और 9 जनवरी 1983 को वे दस कैबिनेट मंत्रियों और पांच राज्य मंत्रियों के साथ आंध्र-प्रदेश के दसवें मुख्यमंत्री बने.
मुख्यमंत्री बनने के बाद एनटीआर ने राज्य के हितों के मुद्दों पर आम लोगों को एकत्र करना शुरू किया साथ ही उन्होंने महिलाओं और समाज के अन्य पिछड़े वर्गों को मुख्य धारा में लाने का काम किया. अगस्त 1984 में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल रामलाल ने उन्हें हटाकर भास्कर राव को मुख्यमंत्री बना दिया, लेकिन राज्य में हुए भारी विरोध प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार ने शंकर दयाल शर्मा को आंध्र का नया राज्यपाल नियुक्त किया और उन्होंने सितम्बर 1984 में फिर से एनटीआर को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. एनटीआर की लोकप्रियता का आलम यह था कि इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद जब पूरे देश में कांग्रेस की बेजोड़ लहर थी, तब भी आंध्र-प्रदेश में कांग्रेस नहीं जीत पाई. इतना ही नहीं, तेलुगु देशम को उस समय लोक सभा में मुख्य विपक्षी दल का रुतबा हासिल हुआ. 1989 में विरोधी लहर के कारण तेलुगु देशम पार्टी चुनाव हार गई और एक बार फिर कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई. 5 साल बाद 1994 में एनटीआर फिश्र से सत्ता में लौटे. इस चुनाव में उनकी तेलुगु देशम पार्टी राज्य विधानसभा की 226 सीटों पर विजय हुई. लेकिन इस बार एनटीआर महज 9 महीने तक ही मुख्यमंत्री पद रह पाए. उनके दामाद चंद्रबाबू नायडू ने भीतरघात कर एनटीआर को पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद से हटा दिया.
मई 1943 में महज 20 साल की उम्र में एनटीआर ने अपने मामा की बेटी बासव तारकम से विवाह किया था. इन दोनों के आठ बेटे और चार बेटियां थीं. 1985 में ही एनटीआर की पत्नी बासव तारकम का देहांत कैंसर के कारण हो गया. इसके एक साल बाद ही अपनी पत्नी की याद में एनटीआर ने हैदराबाद में बासव तारकम इंडो-अमेरिकन कैंसर हॉस्पीटल बनवाया. 1993 में 70 साल की उम्र में एनटीआर ने तेलुगु लेखक लक्ष्मी पार्वती से पुनः विवाह किया, लेकिन उनके परिवार ने लक्ष्मी को कभी भी स्वीकार नहीं किया. लक्ष्मी पार्वती ने ही एनटीआर की बायोग्राफी लिखी थी. 72 साल की उम्र में 18 जनवरी 1996 को हार्ट अटैक के कारण एनटीआर की मृत्यु हो गई. भारतीय सिनेमा में एनटीआर के योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें सन 1968 में पद्म श्री से सम्मानित किया. उनके सम्मान में एनटीआर नेशनल अवॉर्ड दिया जाता है, जिसे फिल्म जगत का प्रतिष्ठित अवार्ड माना जाता है.