सवाल आस्था का है कानून का नहीं यह नारा सबसे पहले 1985-86 के शाहबानो केस के उपर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद कुछ मुस्लिम संघटनो ने देना शुरू कर के,तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी को संसद में कानून संशोधन कर के समस्त भारत की मुस्लिम महिला ओके लिए सर्वोच्च न्यायालय ने दिया निर्णय बदलने की गलती कर के, और राम जन्मभूमि जैसे मुद्दे को हवा देने की गलती की और विश्व हिंदू परिषद तथा बीजेपी के तत्कालीन नेतृत्व कर रहे लाल कृष्ण आडवाणी और समस्त संघ परिवार के लिए एक मौका दिया ! जिससे भारत की राजनीति का लगभग पैतीस सालों सेभी ज्यादा समय से संपूर्ण राजनीति का केंद्र बिंदु सिर्फ और सिर्फ सवाल आस्था का है कानून का नहीं इसके इर्द गिर्द घूम रहा है ! और भारत के केंद्र सरकार बनाने तक और देश के कई राज्यों में अपनी सरकार बनाने मे संघ परिवार कामयाब हो रहा है !
सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने अपने निवृत्ति के पहले देश की राजनीति, समाजनिती पर दीर्घकालिक असर होने वाले और सबसे विवादस्पद निर्णय दिये हैं ! जिसमें तथाकथित नागरिक सुधार अधिनियम, और आयोध्या स्थित विवादित स्थल पर राम जन्मभूमि मंदिर के लिए इजाजत देने का निर्णय ! देकर मंदिर बनाने के लिए वर्तमान सरकार ने तुरंत अपनी मर्जी के लोगों को लेकर एक ट्रस्ट बनाने की जल्दबाजी जिसमें ट्रस्ट का मतलब विश्वास का हनन का मुद्दा अभी ताजा-ताजा सामने आया है !
आयोध्या मे राम मंदिर का प्रस्तावित काम चल रहा है ! और पिछले साल से कोरोनाके कारण लाॅकडाऊन के रहते हुए मंदिर के निर्माण के लिए राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट ने एक हजार करोड़ रुपये चंदा इकठ्ठा करने की घोषणा कर के, इसी साल फरवरी मे राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव ने घोषणा कर के मीडिया के द्वारा बताया कि हमने सिर्फ एक हजार करोड़ रुपये चंदा इकठ्ठा करने की घोषणा की थी लेकिन लोगों ने दिल खोल कर चंदा दिया है ! और साडे तीन हजार करोड़ रुपये चंदा इकठ्ठा हो गया है ! लेकिन ट्रस्ट को भारत महामारी के चपेट में आकर लाखो लोग इलाज के अभाव में, और सबसे हैरानी की बात अस्पताल में भर्ती होने के लिए बेड नहीं उपलब्ध हो रहे थे, बेड मिला तो ऑक्सीजन और अन्य इलाज के अभाव में लोग तडपते हुए मर रहे थे ! लेकिन राम मंदिर ट्रस्ट के लिए जैसे सिर्फ मंदिर बनाने के सिवा कोई और सवाल नहीं है ! अगर ढाई हजार करोड़ अतिरिक्त चंदा आ चुका था ! और देश मेडिकल इमरजेन्सी से गुजर रहा है ! तो क्या यह अतिरिक्त चंदा कोरोनाके लिए भले उत्तर प्रदेश के लिए ही सही क्योकिं सबसे बडा प्रदेश और कोरोनाके प्रभाव का शिकार जिसमें हजारों की संख्या में लोग तडपते हुए मर रहे थे ! और दफनविधी करने के लिए तक पैसे नहीं होने के कारण हजारों शवोको गंगा में फेकने के उदाहरण कानपुर, बदायूँ, प्रयागराज, बनारस और गंगा किनारे के उत्तर प्रदेश के सभी क्षेत्रों में यह नजारा समस्त विश्व देख रहा था ! लेकिन राम मंदिर और अन्य हिंदू संघटन इस दौरान क्या कर रहे थे ?
वैसे भी हजारों साल पुरानी हिंदू परंपरा मे सेवा कार्य के लिए कभी स्थान था क्या ? शायद स्वामी विवेकानंद पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अमेरिका के अनुभवों के आधार पर भारत में राम कृष्ण मिशन जैसे ख्रिच्चन मिशनरी के आधार पर भारत में राम कृष्ण मिशन की स्थापना की है ! और कुछ सेवा कार्य शुरू किया है ! अन्यथा सभी शंकराचार्य अपने दंड और सोनेके सिंहासन लेकर भारत भर धार्मिक कर्मकांड करने के लिए घुमने के अलावा कोई भी सेवा कार्य करने का उदाहरण मुझे मालूम नहीं है ! हा 1925 में स्थापित हिंदूओ के संघटन कहलाने वाले संघ परिवार के फोटो कभी-कभी भूकंप, बाढ या किसी भी आपदा के बाद जरूर देखता हूँ ! लेकिन इस कोरोनाके काल में संघ और उनके अन्य इकाईयाँ क्या कर रही थी ? यह सवाल मेरे मनमे कायम है !
आज के नवभारत नाम के नागपुर से निकल ने वाले हिंदी अखबार के प्रथम पृष्ठ पर आयोध्या घोटाला:BJP घबरायी ! टाइटल से बडे-बडे अक्षरों में न्यूज छपी है ! कि चमत्कार होते हैं और जहाँ भगवान का नाम हो ऐसा होना बडी बात नहीं है, ऐसा चमत्कार आयोध्या मे मंदिर निर्माण को लेकर हुआ है जहां प्रति सेकंड 5-5 लाख रुपये की दर से भूमि की कीमत बढ गई, करोडो हिंदूओ की आस्था के प्रतीक राम मंदिर निर्माण के लिए ली जा रही अतिरिक्त जमीन की कीमत पांच मिनट में दो करोड़ से बढकर 18-5 करोड़ रुपये हो गई, इस घोटाले के लिए कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया है कि क्या भगवान राम की आस्था का सौदा करने वाले पापियों को पी एम मोदी का संरक्षण प्राप्त है ?
जिस भगवान राम के वचनों, मर्यादा, मूल्यों व नैतिक आचरण की कसमे खाई जाती है, उनके नाम पर इतना बड़ा कदाचरण भाजपा नेताओं ने कैसे किया ? विपक्ष का प्रहार और आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा घबरा गई है,कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी मे भूमि खरीद और चंदा इकठ्ठा करने की ऑडिट जांच की मांग की है ,सपा, आप पार्टी ने सीबीआई और ईडी से जांच की मांग की है,वही दूसरी ओर लखनऊ में महिला कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के आवास के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया है !
और दूसरी तरफ राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने पूरे मामले को राजनीतिक साज़िश करार दिया है, उन्होंने कहा कि सुल्तान अंसारी और साधु रवि मोहन तिवारी ने दस साल पहले ही वह बाग की जमीन कुसुम पाठक और हरीश पाठक से खरीदी थी, तबके हिसाबसे भूमि की कीमत 2 करोड़ रुपये तय कर ली गई थी, इसकी रजिस्ट्री भी करा ली गई थी, जब मंदिर ने इस जमीन को खरीदने की इच्छा जताई तो अंसारी और तिवारी ने पाठक परिवार से इस जमीन का बैनामा तय भाव पर कराया, फिर उसे आज की तारीख के हिसाब से मंदिर ट्रस्ट को बेचा, इसमें कहीं कोई घोटाला और हेरा फेरी नहीं है, राय ने कहा कि यह केवल राम भक्तों को गुमराह करने के लिए साजिश है !
साथियों इस लेख में मैंने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष शिशोदिया की जमीन के हस्तांतरण के कानूनी दस्तावेज प्रमाण के रूप में (संवाददाता सम्मेलन का विडियो भी दे रहा हूँ उसे भी आप लोग जरूर देखें ) में कहा है कि चंद मिनटों के अंतराल से जो पेपर्स पाठक और तिवारी-अंसारी और बाद में मंदिर के ट्रस्ट को बेचा जा रहा यह मामला काफी साफ-साफ दिखाई देता है ! लेकिन अगर कांग्रेस या अन्य विरोधी दल जिन एजेंसियों के द्वारा जांच की मांग कर रहे हैं उसमें वर्तमान सीबीआई और ईडी से जांच की मांग बेमतलब की है ! क्योंकि इन दोनो एजेंसियों की विश्वसनीयता बची नहीं है हाँ सर्वोच्च न्यायालय के कौनसा खंडपीठ में मामला जाता है उसपर भी कुछ संशय की स्थिति है इसलिए बेहतर होगा कोई स्वतंत्र जांच की व्यवस्था बने जिसकी कोई विश्वसनीयता बची हो ! क्योंकी वर्तमान सरकार ने हमारे देश के सभी संविधानिक संस्थाओं को अपनी सरकार के तरफसे निर्णय लेने के लिए मजबूर किया है ! और यह ट्रेंड वर्तमान प्रधानमंत्री ने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में गुजरात माॅडल के नाम पर विकसित किया है ! तो मुझे वर्तमान भारत सरकार के मातहत आने वाली किसी भी एजेंसियों पर रत्तीभर का विश्वास नहीं है !
राम के भक्त महात्मा गाँधी भी थे ! और सत्य ही इश्वर या इश्वर ही सत्य को मानने की धारणा उनके बचपन से ही राम भक्त होने की भावना का परिणाम था ! वह तो बीमार होने पर राम नाम का जप करने की सलाह देते थे ! और जब हत्यारोने 30 जनवरी 1948 के दिन श्याम की प्रार्थना सभा में जाते हुए उनपर गोलिया चलाई तो अंतिम शब्द भी हे राम का ही है ! लेकिन संघ परिवार की राम को लेकर शत-प्रतिशत राजनीतिक हथकंडे के अलावा कुछ भी नहीं है ! और ट्रस्ट के चंदा इकठ्ठा करने से लेकर उसके खर्च करने की बात की स्वतंत्र जांच की व्यवस्था किये बगैर सच्चाई सामने नहीं आयेगी क्योकि उनका ही ऑक्टोपस जैसे एक टेन्टाकल विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि हम विचार कर रहे हैं कि हम मानहानि का दावा करे इस बार आरोप करने वाले लोगों की माफी मांगने पर उन्हें नहीं छोडना है ! और उन्हें सजा दिलाने तक मामला ले जायेंगे !
संघ परिवार भले भारत के संविधान को नकारते हुए सभी संविधानिक प्राविधानो को अपने हिसाब से इस्तेमाल करने का एक और उदाहरण !राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट को कोई भी सवाल नहीं करने की हिम्मत करे इसलिए वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने जो धमकी दी है कि हम मानहानि का मुकदमा दर्ज करने की जगह आरोप करने वाले लोगों को सजा दिलाने तक मामला ले जायेंगे ! पी एम केअर फंड से लेकर पार्टी के लिए तथाकथीत इलेक्शन बाॅण्ड तथा कोरोनाके तेईस हजार लाख करोड़ की घोषणा से लेकर रक्षा सौदों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम बेचने से लेकर रिजर्व बैंक के रिजर्व फंड को हाथ लगाने से लेकर देश की प्रमुख बैंक और अन्य प्रतिष्ठानों में हस्तक्षेप इन सभी बातों को देखते हुए राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट से और नई अपेक्षा करना मेरे जैसे व्यक्ति को रत्तीभर का विश्वास नहीं है !
क्योंकि जिस दिन राम जन्मभूमि जैसे मुद्दे पर राजनीति शुरू करने वाले लोगों से कोई भी उम्मीद करना बेकार है ! सिर्फ हमारे देश के लोगों की आस्था का सौदा करने वाले लोग डाॅ राम मनोहर लोहिया के हिंदू बनाम हिंदू की व्याख्या के अनुसार उदारवादी हिंदू और कट्टरतावादी हिंदूओकी हजारों सालों की लडाई की बात है ! कभी उदारवादी हावी होते हैं तो कभी कट्टरपंथी तत्वों का पलडा भारी होता है ! वर्तमान समय कट्टरपंथी तत्वों का दिखाई देता है ! जिस कारण भारत की आम आदमी के रोजमर्रा के सवाल, किसान, मजदूर, दलित, आदिवासियों तथा महिलाओं के सवाल आस्था के आडमे हाशिये पर डालने मे संघ परिवार कामयाब हो रहा है ! और जबतक उसके खिलाफ पुख्ता इंतजाम नहीं होता है तो जमीन घोटाले के बावजूद संघ का अश्वमेध यज्ञ जारी रहेगा ! आनेवाले साडे तीन साल मे वह शताब्दी मनाने जा रहा है ! और उसके खिलाफ जितने भी मोर्चे खोले गये हो वह आपसी लडाई में अपनी शक्ति का क्षय करना बंद नहीं करेंगे तो फिर राम ही जाने इस देश का क्या होगा ?