शांतिनिकेतन के चीनी भाषा के विभाग के सामने के रोडपर पाच साल बाद सायकल चलाते हुए ! १४ दिसंबर २०२१ यह मेरे आने वाले नये साल में नागपुर में मैंने ईसी तरह की साइकिल से यात्रा करने की कोशिश की शुरुआत जो करना है ! यह सायकल लेस्ली नाम के 17 साल के एक बारहवीं क्


इस वाहन की खासियत है कि इस सायकल को इलेक्ट्रॉनिक चार्ज करने के बाद आटोमेटीक भी चला सकते है ! और मेन्यूअल भी ! गत साडेसात साल से पेट्रोल के दाम बढ़ने का सिलसिला जारी हुआ तो थमने का नाम नहीं ले रहा है ! तो मैंने भी इस साइकिल को खरीदने का निर्णय लिया है !
वैसे तो मेरे जीवन की पहली साइकिल १९६८-६९ में अमरावती में पढाई करने के लिए १२५ रूपये में पीताजी ने खरीद कर दी थी ! पढ़ाई के बाद घर जाकर वापस की है ! फिर दुसरी साइकिल मैडम से शादी करने के बाद १९८० में २५० रूपये में वर्धा के इंगोले साइकिल दुकान से खरीदने के बाद वर्धा से पुलगाव २५ किलोमीटर चलाकर ले गया था !


और पुलगाव से १९८२ मे कलकत्ता जाने के समय साथ लेकर गए थे ! और कलकत्ता में शायद जहाँ भी गया था वह साइकिल से ही ! १९९७ में वापस नागपुर लौटने के समय मैडम के स्कूलके शिपाई को भेट देकर निकले ! और वापस नागपुर में फिर साइकिल खरीद कर चलते थे ! लेकिन वह काफी खराब हो जाने के कारण अब दुसरी वह भी इलेक्ट्रॉनिक की सुविधा वाली, शांतिनिकेतन में लेस्ली नाम के नये दोस्त (27 साल के उम्र के) पास देखा और थोड़ा चलाने के बाद बहुत ही अच्छा लगा ! तब आटोमेटीक साइकिल लेने का फैसला किया है !
मेरे इस पोस्ट को देखते हुए, मैडम खैरनार ने कहा कि, घर में यह सायकल मेरे अनुपस्थिति में ले लि गई है ! बहुत खुब ! अब नागपुर में मैंने ईसी वाहन का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है !
फाॅसिल फ्यूल से होने वाले प्रदूषण के खिलाफ सिर्फ बोलने, लिखने के साथ कुछ न कुछ अपने व्यक्तिगत जीवन में बदलाव करना जरूरी है ! महात्मा गाँधी जी के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग यही है कि “बोले तैसा चाले” !


यही बात उर्जा के बारे मे हमने नई शताब्दी की शुरुआत में अपने खुद के घर बनाने की शुरुआत की थी ! तो बनाने के समय से ही पूरा घर सौर ऊर्जा से करने के लिए बहुत जद्दोजहद की ! लेकिन नागपुर में हमे सभी एजेंसियों ने कहा कि अभी डोमेस्टिक यूज के लिए सोलर पावर लगाने के लिए कोई तकनीक उपलब्ध नहीं है ! सिर्फ पानी गरम करने के लिए है ! तो हमने अपने छत पॅनल लगाकर पानी गरम करने के लिए शुरुआत की ! फिर 2017 के मई माह में संपूर्ण घर के लिए बीस पॅनल लगाकर आज हमारे घर की बिजली की आपूर्ति सोलर सिस्टम से पूरी हो रही है और हमे एक रूपये का भी बीजली बील आना तो दूर ! हम अतिरिक्त बिजली ग्रीड में जमा कर रहे हैं !


मुझे लगता है कि हमारा काफी समय तथाकथित सरकारों को कोसने के साथ साथ पर्यायी जीवन शैली विकसित करनी चाहिए ! लातिन अमरीकी देशों में वैश्विकरण के खिलाफ लड़ाई के साथ – साथ उन्होंने इस तरह के कई उपक्रमों की शुरुआत की है ! यहां तक की पर्यायी करंसी भी !
हम तो महात्मा गाँधी के विरासत के देश के नागरिकोंकी नैतिक जिम्मेदारी है ! कि गांधी जी के जीवन में उन्होंने पहले करके देखने के, नुक्सा अपनाया है ! तो क्यों नहीं हम लोग कुछ कोशिश नहीं कर सकते ?
डॉ सुरेश खैरनार, 16 दिसंबर, हावडा स्टेशन प्लेटफॉर्म नंबर 21

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