अभी अभी भागलपुर के साथी और बिहार राष्ट्र सेवा दल के अध्यक्ष श्री उदय जी से फोन पर बात से पता चला मेरे 1989 के भागलपुर दंगे की सबसे बड़ी उपलब्धि श्री मुन्ना सिंह उर्फ धिरेंद्र सिंह की अस्सी साल से भी ज्यादा उम्र होने के कारण आज उनकी मृत्यु हो गई है और मै इसे सुनकर काफी विचलित हो गया हूँ ! क्योंकि भागलपुर दंगे के बाद के कामों के लिए जाने वाले लोगों को पता चला कि नलिनी सिंह की आँखो देखी कार्यक्रम में भागलपुर का सच नाम की जो डॉक्यूमेंटरी हम बंगाल से जाने के पहले ही देख चुके थे ! इस कारण मैंने भागलपुर पहुंचने के पहले ही दिन सर्वोदय के किसी कार्यक्रम में खाने के लिए बैठे थे तो मैंने मेरे बगल वाले सज्जन से पूछा कि आप मुन्ना सिंह को जानते है ?
तो वह तपाक से बोले कि वह जो बाल्टिमे दाल या सब्जी परोसने वाले ही मुन्ना सिंह है और उन्होंने तुरंत आवाज भी दी तो मुन्ना सिंह तुरंत पहुचकर क्या चाहिए करके अपने हाथ की बाल्टी निचे रखकर परोसने लगे तो मैंने कहा कि मेरा खाना हो गया है और आपभी खा लीजिए मुझे आपसे कुछ बात करना है तो वह बोले मै अपने घर से ही खाकर आया हूँ आप मुझसे अभी भी बात कर सकते हो ! तो मैंने पुछा कि नलिनी सिंह की आँखो देखी कार्यक्रम में मैंने आपको देखा है आपका घर कितना दूर है ? तो वह बोले एक किलोमीटर की दूरी पर तो मैंने कहा कि अभी आप को कोई और कार्यक्रम नहीं हो तो हम घर पर चलते हैं ! तो वह तुरंत बाद ही मुझे अपने साथ लेकर अपने नया बाजार स्थित एक कोठीनुमा घर लेकर गये जो किसी जमीदार की थी और वह पुस्तैनी चौकीदार के हैसियत से उस घर के आऊट हाउस में रहते थे जमींदार भी अपने गाँव में जहाँ जमीन थी वही रहते थे दो मंजिला इमारत के उपर के हिस्से में प्रतिभा सिन्हा नाम की बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में किसी बगल के गाँव के स्कूल की मुख्याध्यापिका अपनी बीस बाइस साल की बेटी जेनी शबनम और बुढी सांस के साथ किराये पर रह रही थी ! और दुखद बात है कि प्रतिभा सिन्हा जी की भी मृत्यु होकर महीना भर ही हुआ है !
भागलपुर दंगे मे मुस्लिम परिवार जनों को अपनी और अपने परिवार की जान जोखिम में डाल कर मुन्ना सिंह के साथ प्रतिभा जी और दोनों के परिवार के सभी सदस्यो ने तीन दिन तक अपने घर का खाना खिलाकर 70 मुसलमानों को बचाने की जी जान से कोशिश की थी लेकिन पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत से दंगाईयो ने 21 लोगों को मुन्ना सिंह के और प्रतिभा सिन्हा के सामने मार डाला यह बात मुन्ना सिंह बार-बार बुदबुदाते रहते थे ! उनके मनपर बहुत ही गहरा आघात हो गया था तो मै उन्हें लेकर कलकत्ता हमारे घर पर और उसके बाद महाराष्ट्र के लिए जगह जगह पर लेकर घुमा हूँ !
मुन्ना सिंह खुद एक सायकिल रिपेयरिंग की दुकान चलाकर अपने घर परिवार का निर्वाह किया करते थे बहुत ही साधारण से दिखने वाले काले रंग के सवापाच फिट लंबे और सफेद खादी के पजामा कुरते मे बहुत ही संवेदनशील और निर्भय व्यक्तित्वके धनी !
24 अक्तूबर 1989 के दिन सायकिल दुकान में ही उन्हें लगने लगा कि शहर की हवा में कुछ गडबडी होने की संभावना है ! यह बात जैसे जैसे उनके मन पर गहराई वैसेही उन्होंने अपने दुकान को बंद कर के अपने नया बाजार स्थित मोहल्ले में आकर जितने भी मुस्लिम घर थे सबके घर जा-जाकर हाँथ जोडकर प्रार्थना की कि मै अपनी दुकान से चंपानगर से घर तक शहर का माहौल देखते हुए आ रहा हूँ (उस दिन भागलपुर में रामशिला पूजा का जुलूस था और उसके कारण कुछ बवाल होने की खबर मुन्ना सिंह सुनकर अपने मोहल्ले के मुसलमानों की सुरक्षा का ख्याल रखकर दौड पडे थे !)
आप लोग अपने परिवार के सभी सदस्यो को लेकर मेरे घर पर चलिए करके सत्तर से ज्यादा परिवार के सदस्यों को अपनी कोठी पर लेकर आकर निचेका हिस्सा खाली ही था ! उसमें पुरूषों को रखकर उपर जहाँ प्रतिभा सिन्हा रहती थी वहां महिला और बच्चों को रखकर तीन दिन यानी 24,25,26 अक्तूबर तक कोतवाली पुलिस स्टेशन के चक्कर काटते रहे और पुलिस को इन सभी लोगों को सुरक्षित जगह पर लेजाने के लिए प्रार्थना करते रहे ! लेकिन पुलिस के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी उल्टा आखिर पुलिसने मुन्ना सिंह को ही बंद कर के उनके घर पर खुद जाकर उनके टीवी से लेकर काफी चिजोको लाठियां चलाई और तोड़ दिया था और दंगाईयो को कहा कि आप लोगों को जो भी कुछ करना है कर लिजिये अन्यथा कभी भी सेना के जवान आ सकते फिर आप लोग कुछ नहीं कर सकोगे!यह भागलपुर पुलिस का रिकार्ड चंदेरी से लेकर भतोडीया,लोगाव और तेरह साल बाद गुजरात ! तो माँबने सत्तर लोगों मे से एक-एक करके भाला तलवार और जो भी पारंपरिक हथियार थे सबका इस्तेमाल कर के 21 लाशे जिसमें बुढो से लेकर छोटे छोटे बच्चों और औरतों की जघन्य हत्याए कि ! जिसके लिए भागलपुर की पुलिस शत-प्रतिशत जिम्मेदार रही है ! और कम अधिक प्रमाण मे हमारे देश के सभी दंगे मे पुलिस-प्रशासन का रवैया एक जैसे ही है ! गुजरात के दंगे को तो सिधे मुख्यमंत्री जो वर्तमान समय में देश के प्रधानमंत्री बन बैठे हैं और इनके प्रधानमन्त्री पद तक का रास्ता लाशो के उपर से होकर आता है ! और भारत के स्वाधीनता के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री है जिन्होंने दंगे की राजनीति करके अपना राजनीतिक करिअर बनाया है ! लेकिन भागलपुर के तेरह साल बाद ! 28 फरवरी 2002 को !
मैंने खुद भागलपुर दंगे के छ महीने के बाद भेट देने के बावजूद मुन्ना सिंह के घर पर दरवाजे-खिड़की और घर की दिवारो पर खून के फौवारे से भरी दिवारो को खुद अपनी आँखों से देखा है ! और जो विवरण मुन्ना सिंह,प्रतिभा सिन्हा और मुन्ना सिंह के परिवार के लोगों के मुहसे सुनकर मै तब भी बहुत दहल गया था !और आज भी मुन्ना सिंह के चले जाने के बहाने यह पोस्ट लिखते हुए भले उस घटना को आज 31 साल से भी ज्यादा समय हो रहा है ! लेकिन मुझे पहली बार मुन्ना सिंह के घर जाकर उन्होंने जो नजारा दिखाया और जो विवरण बताया आज मुझे पूरा याद आ रहा है ! मैं मुन्ना सिंह को भागलपुर का कांशश किपर समझकर मेरे साथ बंगाल तथा महाराष्ट्र के कई जगहों पर लेकर मुन्ना सिंह के जुबानी भागलपुर की कहानी यह कार्यक्रम कलकत्ता,बर्धमान से लेकर महाराष्ट्र के नागपुर,वर्धा,अमरावती,यवतमाल,भंडारा,अकोला,जलगाव,धुलिया,नंदुरबार,मालेगाँव,नासिक,ठाणे मुंबई,पुणे,कोल्हापुर,सांगली,सातारा,सोलापूर,औरंगाबाद,अहमदनगर,परभणी,नांदेड इत्यादि जगहों पर खुद उनके साथ रहकर भागलपुर दंगे की विदारकता बताने का कार्यक्रम किया हूँ ! ताकि दंगे किसी भी कौम के लिए नुकसानदेह है !
सबसे अहम बात हमारे देश की गंगा-जमनी संस्कृति के लिए और ज्यादा नुकसानदेह है ! हालाँकि संघ परिवार भले अपने आप को राष्ट्रवादी और देशभक्ति का ठेकेदार समझता हो लेकिन आजादी के बाद महात्मा गाँधी जी के हत्या से लेकर लगभग हर दंगे की पीछे मानसिकता बनाने का काम संघ परिवार अपने स्थापना के समय से ही कर रहा है और इस कारण देश के बटवारे से लेकर भागलपुर,गुजरात और देश के अन्य हिस्सों के सभी दंगे मे भले सरकार किसी भी दल की रही होगी 2013 के उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के दंगे को उदाहरण के लिए लीजिए समाजवादी पार्टी के सरकार के रहते हुए श्यामली जैसे जघन्य कृत्य और आज भी मुजफ्फरनगर के दंगे मे विस्थापित लोग अपने अपने गाँव वापस आने मे डर रहे!
बिल्कुल भागलपुर के दंगे के बाद चंदेरी,बाबुपूर,भतोडीया से लेकर कई-कई गांव के लोगों को अपने अपने गाँव वापस आने मे डर लगना यही संघ परिवार की जित है ! और इसे गुजरात प्रोग्राम के नाम पर भागलपुर के तेरह साल बाद भारत के इतिहास का राज्य पुरुस्कृत दंगा करने के बाद गुजरात माडल गुजरात माडल जो बार-बार उछाला जा रहा है ! और जिस गुजरात के दंगे को अपने राजनीतिक करिअर बनाने की शुरूआत हुई है ! वही आज बंगाल ,आसाम और जहाँ भी चुनाव जितने की जरूरत होती है वहां गुजरात माडल खुब प्रचारित करने की बात भारत के संसदीय जनतंत्र की धज्जियां उड़ाते हुए बदस्तूर जारी है और अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए नितीश कुमार जैसे समाजवादी आंदोलन से निकल कर संघ परिवार को पुष्ट करने के लिए अपने आका जाँर्ज फर्नांडीज के कदमों पर चलते हुए एन डी ए मे शामिल होने की बात भारत के समाजवादी आंदोलन के इतिहास में की सबसे बडे पतनशीलता का दौर है और उसके बावजूद कुछ अपने आप को समाजवादी और मुख्यतः डॉ राम मनोहर लोहिया के अनुयायी कहने वाले कोई ग्वालियर के एज्युकेशन टायकून है वह कल डॉ राम मनोहर लोहिया जी की 111 वी जयंती पर कोई कार्यक्रम कर रहे हैं और उसमें वेंकैया नायडू,हरिवंश,नितीश कुमार और सबसे हैरानी की बात अपने आप को कुजात लोहिया वादी कहने वाले रघु ठाकुर,राजकुमार जैन और डॉ आनंद कुमार जैसे मित्रों के नाम देखकर मै हतप्रभ हूँ यह सब मिलकर 111 जयंती पर डॉ लोहिया के प्रति उनकी रही सही इज्जत मट्टीपलित करने जा रहे हैं ! उस परिप्रेक्ष्य में मुन्ना सिंह और प्रतिभा सिन्हा जैसे लोग ज्यादा इमानदार और सही मायनों में इंसानियत के प्रतिक लगते है और इन्ही सामान्य लोगों को देखते हुए लगता है कि भारत में अभी भी कुछ बचा है अन्यथा दंगों को भी अपने करियर का माध्यम बनाने वाले और सिर्फ शहरों में अपनी सुरक्षित जिंदगी जीते जीते लिखना-बोलना आता है तो उपरी उपर मरहम पट्टी करने वाले रायट टुरिझम करने वालोकी कोई कमी नहीं है और मौका मिलते ही इधर उधर निकल जाते हैं !
और भारत की एकता और अखंडता को संघ परिवार तार तार करने के लिए अपने आप को मुस्तैद करते हुए इन सब तथाकथित सेकुलर,समाजवादी और सांप्रदायिकता के खिलाफ लिखने बोलनेवालों की इन हरकतों के कारण भी संघ परिवार दिन-प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है ! और हमारे देश के सर्वसाधारण लोगों को भागलपुर जैसे दंगों में गाजर-मुली जैसे काटकर मारने वाले लोगों को लेजेटेमसी देना जबतक बंद नहीं होगा तबतक इस देश के सांप्रदायिकता के खिलाफ सही आंदोलन कभी भी नहीं हो सकता है !
काश मुन्ना सिंह जैसे हर जगह सौ पचास लोग भी निकल कर संघ परिवार के इरादे धाराशाई कर सकते हैं ! और उसके ही परिणाम स्वरूप भागलपुर में मोहल्ला समितियोका गठन करके 6 दिसंबर 1992 की अयोध्या के बाबरी विध्वंस के बाद देश भर में दंगे हुए थे लेकिन भागलपुर में कंकड़ भी नहीं उठा था! उसकी वजह मुन्ना सिंह जैसे सामान्य लोगों की सहभागिता से ही यह प्रक्रिया चल सकी !
मुन्ना सिंह से मेरा पारिवारिक रिश्ता बन गया था कलकत्ता के घर वह और उनके परिजनों से मुख्यतः बेटी जो बाद में राष्ट्र सेवा दल की पूर्ण समय कार्यकर्ता भी बनी थी ! और अपने नया बाजार स्थित मोहल्ले में सेवा दल की शाखा भी चलाती थी और मुन्ना सिंह हमारे कलकत्ता से तबादले के बाद हमारे सामान को लेकर नागपुर तक ट्रकमे बैठके नागपुर आकर हमारा सामान लगाने तक हमारे परिवार के सदस्य के रूप में छ महीने से भी ज्यादा समय नागपुर में रहकर अभी जिस घर मे बैठकर मै यह पोस्ट लिख रहा हूँ उसके नींव डालने से लेकर छत तक का निर्माण के लिए बहुत सहयोग रहा और उसी दरम्यान मुझे उनके मुंह में पडे छाले और उसके बाद गड्ढे को देखते हुए मैंने बायोप्सी करने के लिए कैन्सर हास्पीटल लेकर दोबारा मेरे परिचित प्रायवेट एंकोलाॅजिस्ट दोस्त से क्राॅस चेक कर के मुँह का कैंसर का डायग्नोसिस करने के बाद पहले नागपुर के कैंसर हास्पीटल फिर बाद में मुंबई के टाटा कैंसर हास्पीटल से ट्रीटमेंट करने के बाद आज लगभग 25 साल से भी ज्यादा समय हो रहा है वह स्वस्थ रहने के बाद अब उन्होंने अलविदा कहा ! मुझे संतोष है कि समय रहते हुए कैंसर का डायग्नोसिस और प्रापर ट्रीटमेंट करने के कारण वह और पच्चीस तीस साल से भी ज्यादा समय जीवन का आनंद ले सके !और सबसे अहम बात वह अल्पशिक्षित होने के बावजूद गजब के एथिस्ट थे धर्म,भगवान और किसी भी तरह के कर्मकांड से कोसों दूर थे ! और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के बावजूद मुन्ना सिंह के एथिस्ट होने मे कुछ भी उचनिच नहीं हुआ था ! ऐसे मेरे मित्र मुन्ना सिंह के कल उम्रहोने के कारण चले जाने के बारे में मुझे और मेरे परिवार की व्यक्तिगत क्षति तो हुई है!लेकिन उनके परिवार की सबसे ज्यादा क्षति हुई है और मुझे और हमारे परिवार के तरफसे मुन्ना सिंह के घर परिवार वालों के दुख में हम सभी शामिल है और हमारे तरफसे भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मै यह पोस्ट समाप्त कर रहा हूँ !
डॉ सुरेश खैरनार 22 मार्च 2021,नागपुर