सूबे के नगर निकायों एवं नगर परिषद क्षेत्रों के लिए चुनाव की तिथि का निर्धारण जल्द होने वाला है. उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर व दरभंगा नगर निगम समेत सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी, मधुबनी व समस्तीपुर सहित अन्य जिलों में नगर परिषद व नगर पंचायत चुनाव को लेकर कवायद शुरू हो गई है. वार्डों के परिसीमन एवं आरक्षण के कारण जहां पुराने चेहरों को नए ठिकाने तलाशने पड़ रहे हैं, वहीं कई वार्डों में सत्ता की कमान नए हाथों में जाने की उम्मीद भी है. आरक्षण के कारण आधी आबादी का उत्साह चरम पर है.
इनमें कुछ पुराने तो अधिकतर नए चेहरे चुनावी समर में अपना भाग्य आजमाने की तैयारी में हैं. क्षेत्र में संभावित प्रत्याशियों की कदमताल जोर पकड़ने लगी है. इसके साथ ही प्रत्याशियों के समर्थकों की गुटबंदी भी शुरू हो गई है. अन्य चुनावों की तरह इस चुनाव में भी जीत का मार्ग प्रशस्त करने के लिए धनबल, बाहुबल व जातिबल का सहारा लिया जाता है. इतना तय है कि आरक्षण के बूते स्थानीय राजनीति में महिलाओं का वर्चस्व कायम होगा.
उम्मीद है कि अगले माह निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी. इसके तहत शहरी क्षेत्र के नगर निगम, नगर परिषद व नगर पंचायतों के लिए चुनाव की घोषणा की जाएगी. वार्डों के परिसीमन व आरक्षण लागू होने के कारण इस बार चुनावी समीकरण में उलट-फेर होना तय है.
कई पार्षदों के लिए नया ठिकाना तलाशना एक चुनौती से कम नही होगा. वहीं कई स्थानों पर निवर्तमान पार्षदों की पत्नियां, तो कहीं नई नवेली दुल्हनें भी चुनावी समर में नजर आएंगी. चुनावी चौपालों के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर वार्डों के परिसीमन में हेर-फेर की जाती है, तो जातीय वोटों का बिखराव होना तय है, जिसका असर चुनाव पर पड़ेगा.
बिहार के तिरहुत प्रमंडल में मुजफ्फरपुर और दरभंगा प्रमंडल में नगर निगम का चुनाव होना है. मुजफ्फरपुर नगर निगम के अंतर्गत 49 वार्ड हैं. यहां की मेयर वर्षा सिंह हैं. वही दरभंगा नगर निगम के 48 वार्डों की कमान मेयर गौरी पासवान संभाल रहे हैं. सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मोतिहारी व मधुबनी में नगर परिषद का चुनाव है तो एकमात्र शिवहर जिले में नगर पंचायत का चुनाव होना है. इन जिलों में वार्डों की कुल संख्या तकरीबन 130 है.
सीतामढ़ी नगर परिषद के अंतर्गत 28 वार्ड हैं, जहां सुवंश राय, समस्तीपुर के 29 वार्ड की वीणा देवी, मोतिहारी के 38 वार्ड के प्रकाश अस्थाना व मधुबनी के 20 वार्ड की कमान सभापति खालिद अनवर संभाल रहे हैं. इसके अलावा शिवहर नगर पंचायत में 15 वार्ड हैं, जहां नीलम सिन्हा अध्यक्ष पद पर मौजूद हैं. सीतामढ़ी जिला में चार नगर पंचायत डुमरा, पुपरी, बेलसंड व बैरगनिया शामिल है.
बोर्ड के सदस्यों के बीच वर्चस्व की लड़ाई को लेकर कई स्थानों पर विकास कार्य प्रभावित होते रहे हैं. नगर विकास विभाग की योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं होने के कारण करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी आम लोगों को राहत नही मिल पा रही है. योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगा है. उदाहरण के तौर पर सीतामढ़ी नगर परिषद को ले सकते हैं, जहां पिछले चुनाव के बाद गठित बोर्ड के कार्यारंभ से पहले ही परिषद कार्यालय दो खेमों में बंट गया है.
एक गंभीर सवाल यह है कि सरकारी आवंटन के बाद भी शहरों का सर्वांगीण विकास क्यों नहीं हो पाता है? शहरी लोगों को कर का भुगतान करने के बाद भी समुचित सुविधा क्यों नही मिल पाती है?
इस संबंध में जानकारों की मानें तो चुनाव के बाद जब मेयर, सभापति अथवा अध्यक्ष के चुनाव की बारी आती है तब धनबल का जबरदस्त खेल होता है. नतीजतन ओहदेदार पद पर वैसे लोग बैठने में कामयाब हो जाते हैं, जो पहुंच वाले व आर्थिक दृष्टिकोण से मजबूत होते हैं. अब देखना है कि आसन्न चुनाव में मतदाता जाति, पार्टी, धनबल और ऐशो आराम वालों को प्रतिनिधित्व का मौका देते हैं या फिर विकास को लेकर ईमानदार पहल करने वालों को जिताते हैं. वैसे चुनाव में अभी वक्त है.
मगर इतना साफ है कि इस बार चुनावी दंगल में आरक्षण की ढाल थाम मैदान में ताल ठोकने वाली महिलाओं का वर्चस्व बढ़ेगा. अब निर्वाचित महिला प्रतिनिधि खुद अपनी पहचान मजबूत करेंगी अथवा चहारदिवारी में कैद होकर अपने पति के सहारे राजनीति में उतरेंगी, इस पर ही सशक्त महिला नेतृत्व निर्भर करेगा.