समाजवादी पार्टी में सरकार एवं नेतृत्व के बीच तनाव और मतभेद की खुली अभिव्यक्ति के साथ तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन समाप्त हुआ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अभी हाल ही बने जनेश्‍वर मिश्र पार्क में भव्यता के साथ आयोजित हुआ राष्ट्रीय अधिवेशन कई आयामों से ऐतिहासिक साबित हुआ. मुलायम सिंह इसके पहले के आठ अधिवेशनों में भी राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे. इस नौवें अधिवेशन में भी वह निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए, लेकिन पहले के राष्ट्रीय अध्यक्ष और इस बार के राष्ट्रीय अध्यक्ष में साफ़-साफ़ फ़़र्क दिखा. 
Copy-of-Copy-of-pg-1मुलायम के व्यक्तित्व पर समाजवादी पार्टी का अस्तित्व टिका है, यह दिखता है, अब भी दिख रहा है. लेकिन, मुलायम की पकड़ से छूटने और अपना वर्चस्व कायम करने की नेताओं की छटपटाहट अधिवेशन के मंच से भी अभिव्यक्त हुई. मुलायम द्वारा सरकार के कामकाज की समीक्षा और आलोचना मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को तो रास नहीं ही आई, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव को भी यह नागवार लगा. लोकसभा चुनाव में हुई बुरी हार के लिए प्रदेश सरकार के मंत्रियों के जनविरोधी कार्यकलापों और स्वार्थपरक हितसाधनों पर मुलायम ने उंगली क्या उठाई, राम गोपाल ने पार्टी नेतृत्व के ही कई फैसलों पर सवाल खड़े कर दिए और कहा कि लोकसभा चुनाव में भस्मासुरों और गद्दारों के कारण पार्टी हारी. ऐसा कहकर उन्होंने साफ़-साफ़ रेखा खींच दी और स्पष्ट कहा कि भस्मासुरों और गद्दारों को मुलायम का संरक्षण प्राप्त है. अगर मुलायम ने गलत आचरण करने वाले मंत्रियों की सूची होने और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का जिक्र किया, तो राम गोपाल ने भी भस्मासुरों की सूची का हवाला देते हुए उनके विनाश की मुनादी कर डाली. राम गोपाल के बयान से नाराज होकर वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल भी उन पर पिल पड़े और उन्होंने अखिलेश सरकार को भी खुलेआम कोसा.
सपा के नौवें अधिवेशन में यह बात भी साफ़ हुई कि पार्टी देश भर के समाजवादियों को एकजुट करने के प्रयास में लग गई है. पुराने समाजवादी, वे चाहे जिस भी पार्टी की शक्ल में अपने-अपने प्रदेश में राजनीति कर रहे हों, उनके गठबंधन का एक महाप्रयास हो रहा है. जनता दल (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव को अधिवेशन में आमंत्रित किया जाना, उनका आना और एकजुटता के प्रयासों पर सार्वजनिक मुहर लगाना इन प्रयासों की सनद देने के लिए काफी था. अधिवेशन में राजनीतिक प्रस्ताव लाकर समाजवादी पार्टी केंद्र की भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलेगी और प्रमुख रूप से बिजली को मुद्दा बनाएगी, यह चौथी दुनिया के पिछले अंक में प्रकाशित हो चुका है. सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की औपचारिक घोषणा के बाद मुलायम सिंह यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी सरकार में है, सत्ता में है, लिहाजा उसे जनता के बीच अपनी छवि ठीक करने की ज़रूरत है. जनता में यह शिकायत है कि सरकार निरंकुशता से काम कर रही है. सरकार को इसे ठीक करना होगा. सरकार ने अच्छे काम भी किए हैं, लेकिन कुछ मंत्रियों के कारण सरकार की छवि धूमिल हो रही है. सरकार बनने का कुछ लोगों ने लाभ उठाया है, लेकिन जनता को उसका फ़ायदा नहीं मिला. मुलायम ने कहा कि ऐसे जनविरोधी और स्वार्थपरक कार्यकलापों में शामिल मंत्रियों की पूरी सूची उनके पास है. जनता की तरफ़ से भी उनके पास ऐसी चिट्ठियां आ रही हैं कि प्रदेश सरकार के मंत्री क्या कर रहे हैं. मुलायम ने कहा, ऐसे मिनिस्टर्स को हटाइए. स्वाभाविक है कि मुलायम ने यह बात मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को ही इंगित करते हुए कही. मुलायम ने सपाइयों से अपील की कि वे ऐसा कोई
काम न करें, जिससे कोई दाग लगे. उन्होंने कार्यकर्ताओं और आम लोगों से कहा कि सरकार का जो काम उन्हें पसंद न आए, उसके बारे में वे मुख्यमंत्री को पत्र लिखें, उन्हें भी लिखें.
मुलायम ने मंच से ही सवाल उछाला कि चुनाव में मंत्री बहुत हारते हैं, उसका कारण क्या है? वे अपनी गलत छवि और गलत काम के कारण हारते हैं. जब मिनिस्टर्स हारेंगे, तो पार्टी का क्या होगा? मुलायम ने पार्टी को आगाह करते हुए कहा, हमें फिर से जनता के पास ही जाना है. हम गलत करेंगे, तो जनता हमें हरा देगी. इसीलिए अपनी, सरकार की और पार्टी की छवि का ध्यान रखें. मुलायम जब यह बोल रहे थे, तो अधिवेशन स्थल पर तालियां गूंज रही थीं. लोग तालियां बजाकर मुलायम की बातों की तस्दीक कर रहे थे, जबकि मंच पर विराजमान अन्य कुछ नेताओं के चेहरों पर हवाइयां उड़ रही थीं. मुलायम ने साफ़ कहा, कुछ मंत्री जनता के हित में काम नहीं कर रहे हैं. सरकार बनने पर व्यक्तिगत लाभ उठा रहे हैं. मेरे पास ऐेसे मंत्रियों की सूची है. उनके बारे में सोचना पड़ेगा. मंत्रियों के ख़िलाफ़ शिकायती पत्र मिले हैं, मंत्री भी यह बात जानते होंगे. मैं प्रमाण भी दे सकता हूं. यदि उनका यही रवैया रहा, तो हम में और दूसरी सरकारों में क्या फ़़र्क रह जाएगा? मैंने पहले भी यह बात कही थी, पर राष्ट्रीय अध्यक्ष की बात का भी असर नहीं हुआ. हमने तो यह भी कहा था कि ऐसे मंत्रियों को हटाइए. शायद इसलिए नहीं हटाया गया कि वे सुधर जाएंगे. हम उन्हें बुलाएंगे और पूछेंगे भी.
मुलायम ने पार्टी के समक्ष भावी नीति की लाइन भी खींची. उन्होंने जद (यू) अध्यक्ष शरद यादव का स्वागत करते हुए कहा, समाजवादी पार्टी की स्थापना में शरद यादव की सार्थक भूमिका रही है. बाद के दिनों में ऐसी परिस्थितियां बनीं कि हम अलग-अलग हो गए, लेकिन विचार के धरातल पर हमेशा साथ रहे. सपा के अधिवेशन में आकर उन्होंने फिर से एकजुटता पर मुहर लगाई है. इस पर शरद यादव ने भी कहा, राजनीति में मुझे इस मुकाम पर पहुंचाने का श्रेय मुलायम सिंह को ही है. मैं जबलपुर से चुनाव हार गया, तो मुलायम सिंह ने ही मुझे राज्यसभा तक पहुंचाया और मुझे परिवार में शामिल रखा. मुलायम के साथ मेरा खून का रिश्ता नहीं है, लेकिन विचार का रिश्ता ही अधिक प्रगाढ़ होता है. मेरा यही रिश्ता मुलायम के साथ है. मैंने जबसे राजनीति में होश संभाला है, तबसे मुलायम के साथ हूं. दोनों नेताओं की इन बातों ने पार्टी की भविष्य की लाइन तय कर दी.
मुलायम ने नरेंद्र मोदी को खूब कोसा और मोदी-काल की आंतरिक नीति और विदेश नीति को असफल बताया. 56 इंच के सीने पर कटाक्ष करते हुए मुलायम ने चीन के सामने नतमस्तक और पाकिस्तान के समक्ष नाकारा साबित होने का आरोप लगाया. मुलायम ने महंगाई और भ्रष्टाचार पर काबू पाने में भी मोदी सरकार की अक्षमता का जिक्र किया. भाजपा की सांप्रदायिक लाइन के बरक्स धर्मनिरपेक्ष लाइन खींचने की पारंपरिक सियासत का अनुसरण करते हुए मुलायम ने हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया और कहा कि मुसलमानों का सबसे अधिक भरोसा सपा पर है. मुलायम ने इसमें यह भी जोड़ा कि दलित और उच्च वर्ग भी सपा के साथ है. मुलायम ने अखिलेश सरकार के अच्छे काम भी गिनाए, लेकिन सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन का लब्बोलुबाब राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा पार्टी को आईना दिखाने और शीर्ष नेतृत्व के ख़िलाफ़ मधुर बगावती सुर उठाने वाला साबित हुआ.
कांग्रेस और भाजपा सास-बहू
जनता दल (यू) के अध्यक्ष शरद यादव ने कांग्रेस और भाजपा को सास-बहू कहा, तो अधिवेशन में खूब ठहाके गूंजे. शरद यह भी बोले कि इन दोनों दलों को गंगा में प्रवाहित कर देना चाहिए. शरद यादव ने कहा कि पहले जो प्रधानमंत्री थे, वह कुछ बोलते ही नहीं थे, लेकिन अब जो प्रधानमंत्री हैं, वह स़िर्फ बोलते हैं. उन्होंने कहा कि एक दिन झाड़ू लगाकर देश स्वच्छ नहीं किया जा सकता और जनता का स्तर उठाए बगैर गंगा कभी साफ़ नहीं हो सकती. हां, गंगा सफाई के नाम पर वे फिर सारा पैसा खा जाएंगे.
अमर सिंह के शामिल होने के कयास
सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान अमर सिंह की वापसी के कयास भी लगते रहे. राजधानी के सियासी गलियारे में खासी चर्चा थी कि अमर सिंह अधिवेशन के दौरान कभी भी सपा में फिर वापस आ सकते हैं. पिछले दिनों जनेश्‍वर मिश्र पार्क के लोकार्पण समारोह में भी अमर सिंह ने मुलायम के साथ मंच साझा किया था. उस समय भी उनकी सपा में वापसी की चर्चा जोरों पर थी. अमर सिंह की वापसी और अधिवेशन के मंच पर शरद यादव की उपस्थिति को लेकर हलचल थी. हालांकि अमर सिंह 30 सितंबर से ही विदेश यात्रा पर थे.
रालोद डाल रहा डोरे
महा-गठबंधन के प्रयास के दायरे में राष्ट्रीय लोकदल भी शामिल रहे, इसकी पूरी कोशिश रही. सपा के अधिवेशन के एक दिन पहले ही राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की. इस मुलाकात को आधिकारिक तौर पर चौधरी चरण सिंह स्मारक बनाने के मसले पर समर्थन देने से जोड़ा गया, लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्र इसे भावी गठबंधन की कोशिशों से जोड़कर देख रहे हैं. लोकसभा चुनाव में हारने के बाद रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह भी सियासी ठौर तलाश रहे हैं और राज्यसभा में मनोनयन के अभिलाषी हैं.
प्रखर नेताओं की कमी अखरी
सपा के अधिवेशन में प्रखर नेताओं की कमी महसूस की गई. इस बार न सचेतक की भूमिका निभाने वाले मोहन सिंह थे और न मुलायम के क़रीबी ब्रजभूषण तिवारी. समाजवादी पार्टी ने प्रखर वक्ताओं की कमी को शरद यादव से ढंकने का काम किया.
आजम को खूब दुलराया
सपा के अधिवेशन में पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने आजम खान की खूब प्रशंसा की. उन्हें मुलायम ने अपने बगल में बैठाया. मुलायम ने कहा कि शिया वक्फ़ बोर्ड की ज़मीनों के विवाद में आजम खान की बातें सही थीं और वह विवाद ख़त्म करना चाहते थे. शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद का नाम लिए बिना मुलायम ने कहा कि उन्होंने कई बार मिलने का समय मांगा, मिले तो हमने उनके सामने आजम खान की राय रख दी. इसके बाद उन्होंने फोन करना बंद कर दिया. उन्होंने कहा कि जो आजम खान की राय रहेगी, वही हमारी राय रहेगी. उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों आजम खान और शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद का विवाद चर्चा में था. उसके बाद ही राज्य सरकार ने शिया वक्फ़ बोर्ड के चुनाव रद्द कर दिए थे.
जुटा रहा सरकारी अमला
लखनऊ के जनेश्‍वर मिश्र पार्क में आयोजित समाजवादी पार्टी के नौवें राष्ट्रीय अधिवेशन की तैयारियों को लेकर दावा किया गया था कि इसमें किसी भी प्रशासनिक अधिकारी को नहीं लगाया जाएगा, लेकिन दावे के विपरीत प्रशासनिक अधिकारी अधिवेशन सफल बनाने में व्यस्त नज़र आए. राज्य सरकार के कुछ मंत्रियों ने भी कहा था कि सपा मायावती सरकार की तरह सरकारी अमले का इस्तेमाल नहीं कर रही है. अधिवेशन शुरू होने के पहले सभा स्थल का निरीक्षण करने पहुंचे कैबिनेट मंत्री नारद राय के साथ प्रमुख सचिव आवास सदाकांत एवं मुख्यमंत्री कार्यालय के विशेष सचिव पंधारी यादव भी सक्रिय नज़र आए. लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के सचिव अष्टभुजा तिवारी एवं असिस्टेंट इंजीनियर अनूप शर्मा भी खूब सक्रिय दिखाई पड़े. वह गेस्ट लिस्ट और सिटिंग प्लान लेकर घूम रहे थे. उन्होंने बताया कि उन्हें वीआईपी के बैठने का इंतजाम करना है. लखनऊ के सीएमओ एसएनएस यादव भी कार्यक्रम स्थल पर मौजूद दिखे. वह सपा सांसद अरविंद कुमार सिंह एवं मंत्री नारद राय से विचार-विमर्श में लगे रहे. सीएमओ ने कहा कि अधिवेशन में एकत्र होने वाली भीड़ को देखते हुए जनेश्‍वर मिश्र पार्क में एक कार्डियोलॉजिस्ट, एक सर्जन एवं एक महिला चिकित्सक की तैनाती की गई है. अधिवेशन स्थल की सुरक्षा व्यवस्था के जबरदस्त बंदोबस्त किए गए. सादे कपड़ों में खुफिया पुलिस चारों तरफ़ बिखरी हुई थी. पुलिस महानिरीक्षक (क़ानून-व्यवस्था) ए सतीश गणेश ने बताया कि ढाई हज़ार पुलिसकर्मी कार्यक्रम स्थल की निगरानी में लगाए गए. इसके अलावा पीएसी की आठ कंपनियां तैनात की गई थीं. कार्यक्रम स्थल पर एंटी सेबोटाज चेक, मेटल डिटेक्टर एवं इंटेलिजेंस की पुख्ता व्यवस्था की गई थी.


 
मुलायम की झिड़की, राम गोपाल की फिरकी : मुलायम सिंह ने कहा कि गलत कार्यकलापों में लगे मंत्रियों की पूरी सूची उनके पास है, तो राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल ने कहा कि पार्टी के भस्मासुरों और गद्दारों की सूची उनके पास है. राम गोपाल ने बिना किसी का नाम लिए पार्टी के भस्मासुरों पर खूब निशाना साधा. उन्होंने कटाक्ष किया कि नेता जी और मुख्यमंत्री को सब पता है कि कौन पार्टी में क्या कर रहा है, कौन विरोध कर रहा है. राम गोपाल ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कई लोग ऐसे रहे, जिन्होंने भस्मासुर की तरह पार्टी के ख़िलाफ़ काम किया या फिर काम ही नहीं किया. नेता जी दयालु हैं, उन्हें जानबूझ कर भी माफ़ करने की आदत है. उनमें बहुत अधिक सहनशीलता है, लेकिन स्थितियां यही बनी रहीं, तो फिर ऐसे लोगों को बाहर का रास्ता दिखाए जाने से रोका नहीं जा सकेगा. मुलायम के प्रति अभिव्यक्त हुए आदर्श वाक्य के मायने निकाले जा सकते हैं. राम गोपाल ने फिर यह जोड़ा कि उन्होंने 85 लोगों को निकाले जाने की रिपोर्ट दी थी, लेकिन भोले बाबा जैसे भोले नेता जी ने उन सभी को बुलाकर कहा कि राम गोपाल तुम लोगों को पार्टी से बाहर करना चाहते हैं, लेकिन मैं तुम्हें मा़ैका देना चाहता हूं, जाओ और काम करो. उन्होंने मुलायम से पूछा कि क्या वे 85 लोग अब तक सुधर चुके हैं? उन्होंने कहा कि पार्टी के साथ गद्दारी करने वालों को दंड ज़रूर मिलेगा, क्योंकि पार्टी को ज़िंदा रखने के लिए भस्मासुरों को बाहर किया जाना ज़रूरी है. राम गोपाल ने चुनौती के अंदाज में कहा कि बर्दाश्त करने की भी एक सीमा होती है.


नरेश अग्रवाल का पलट वार : माजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव पर टिप्पणी करने पर वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल ने अपनी नाराजगी जाहिर कर दी. राम गोपाल के बोलने के बाद नरेश अग्रवाल ने कहा, प्रोफेसर साहब, गुटबाजी कार्यकर्ता नहीं, हम सब करते हैं. कार्यकर्ता तो पार्टी के लिए जान देने को तैयार है, पर, दिक्कत बड़े पदों पर बैठे नेताओं और मंत्रियों की है. ये लोग कार्यकर्ताओं की सुनते ही नहीं. इस पर पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से काफी देर तक गूंजता रहा. अखिलेश पर हमला करते हुए नरेश अग्रवाल ने कहा, मुख्यमंत्री जी, आपने असली के साथ नकली मंत्री भी बना दिए हैं, जिन्हें दर्जाधारी मंत्री कहा जाता है. सर्वोच्च न्यायालय ने उनके लालबत्ती लगाने और मंत्री लिखने पर रोक लगा दी है, पर वे नहीं मान रहे हैं. दिखवा लीजिए, उनके बूथ पर पार्टी को कितने वोट मिले हैं. उनसे छुटकारा दिलवाइए. मोदी ने अपने मंत्रियों को 100 दिनों की उपलब्धियां बताने को कहा है. आप अपने मंत्रियों को उनकी उपलब्धियां बताने का निर्देश क्यों नहीं देते? सही बात तो यह है कि आपके अलावा किसी मंत्री के खाते में बताने लायक कुछ है ही नहीं. लोग मुख्यमंत्री से नहीं, बल्कि मंत्रियों के रवैये से नाराज हैं. सड़कों को प्राथमिकता के आधार पर बनवा दीजिए, क़ानून-व्यवस्था पर कोई समझौता न करिए और लोगों को बिजली मिलना सुनिश्‍चित कर दीजिए. सपा की स्थिति ठीक हो जाएगी.


 
मुलायम चुनेंगे राष्ट्रीय और प्रदेश कार्यकारिणी : राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव ने समाजवादी पार्टी के मुख्य चुनाव अधिकारी की हैसियत से मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की औपचारिक घोषणा की. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए बाकायदा नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए समय निर्धारित किया गया था, लेकिन मुलायम को छोड़कर किसी ने भी पर्चा दाखिल नहीं किया. लिहाजा, मुलायम सिंह यादव को निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया. राष्ट्रीय कार्यकारिणी के साथ-साथ प्रदेश कार्यकारिणी के गठन का दायित्व भी मुलायम के ज़िम्मे सौंप दिया गया. इसके लिए अधिवेशन में मौजूद नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से ध्वनि मत से समर्थन भी ले लिया गया.
अधिवेशन में सबसे अधिक 150 प्रतिनिधि बिहार से आए. तेलंगाना एवं पश्‍चिम बंगाल से 60-60, मध्य प्रदेश से 50, तमिलनाडु से 35, उत्तराखंड से 30, राजस्थान, असम एवं छत्तीसगढ़ से 25-25, कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक एवं हिमाचल से 20-20, ओडीशा एवं गुजरात से 15-15, केरल एवं गोवा से 10-10 और लक्षद्वीप एवं मणिपुर से पांच-पाच प्रतिनिधियों ने अधिवेशन में हिस्सा लिया. झारखंड के जनक्रांति मोर्चा ने तो समाजवादी पार्टी में विलय ही करा लिया. मोर्चा के अध्यक्ष शिवपूजन यादव ने अपने साथियों समेत मुलायम सिंह यादव एवं अखिलेश यादव से मिलकर समाजवादी पार्टी में विलय की घोषणा की.


सपा का राजनीतिक-आर्थिक प्रस्ताव झूठ का पुलिंदा
भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी के अधिवेशन में पेश किए गए राजनीतिक-आर्थिक प्रस्ताव को झूठ का पुलिंदा करार दिया. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन ने समाजवादी पार्टी के तथाकथित राष्ट्रीय सम्मेलन को फैमिली शो बताया और मुलायम सिंह यादव के पुत्र प्रतीक यादव एवं पुत्रवधू अपर्णा यादव की मंच पर उपस्थिति पर सवाल खड़े किए. प्रस्ताव में जिस प्रकार उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार का स्तुति गान किया गया है, वस्तुत: उसकी पोल सपा महासचिव नरेश अग्रवाल ने मंच से खुद ही खोल दी. नरेश अग्रवाल ने प्रदेश में बिजली संकट, क़ानून व्यवस्था एवं सड़कों की बदहाली पर गहरी चिंता जाहिर की थी. प्रस्ताव में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 90 प्रतिशत वादे पूरे करने का दावा किया गया है, जबकि सच्चाई इसके उलट है. प्रदेश सरकार 09 प्रतिशत वादे भी पूरे नहीं कर सकी. टैबलेट के लिए विद्यार्थियों का इंतजार आज भी जारी है. कन्या विद्या-धन में धर्म आधारित भेदभाव किया गया. एक वर्ष के विद्यार्थियों को भी पूरे लैपटाप नहीं दिए जा सके. बेरोज़गार युवक-युवतियां रोज़गार एवं भत्ते की बाट जोह रहे हैं. प्रदेश सरकार ने अपने ढाई वर्ष के कार्यकाल में पांच गृह सचिव बदले. नौकरशाही पर नियंत्रण खो चुके मुख्यमंत्री तबादलों में ही व्यस्त रहते हैं. गन्ना किसानों का भुगतान, बाढ़-सूखा पीड़ित एवं किसान सरकार की प्राथमिकता से दूर हैं.


फाइव स्टार इंतजाम 
पा अधिवेशन की तैयारियां फाइव स्टार स्तर की थीं. विशालकाय वाटरप्रूफ विदेशी पंडाल के नीचे 40 गुणा 60 फिट का भव्य मंच और भोजन के लिए 500 गुणा 100 फिट के विशाल पंडाल की व्यवस्था थी. मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक सफर पर तैयार की गई डाक्यूमेंट्री को बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीनों पर दिखाए जाने की भी व्यवस्था थी, लेकिन वह ऐन मा़ैके पर फेल हो गई. भाषण सबको सुनाई दे, इसके लिए 40,000 वाट के साउंड सिस्टम के साथ 24 बड़े और 93 छोटे स्पीकर जगह-जगह लगाए गए. मोबाइल वैनों का भी प्रचार में इस्तेमाल किया गया. लोहिया वाहिनी, समाजवादी युवजन सभा, समाजवादी छात्रसभा एवं मुलायम सिंह यादव यूथ ब्रिगेड के कार्यकर्ता अधिवेशन स्थल की व्यवस्था और अनुशासन बनाए रखने में सहयोग कर रहे थे. लखनऊ एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन एवं बस अड्डों के पास प्रतिनिधियों के स्वागत की विशेष व्यवस्था की गई. अधिवेशन में लक्षद्वीप, मणिपुर, गोवा, केरल, ओडीशा, गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल, राजस्थान, असम, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्‍चिम बंगाल, बिहार एवं मध्य प्रदेश के प्रतिनिधि शामिल हुए. प्रतिनिधियों के लिए विभिन्न प्रांतों के व्यंजनों की व्यवस्था थी.


राजनीतिक-आर्थिक प्रस्ताव में केंद्र पर निशाना
सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में पेश हुए राजनीतिक एवं आर्थिक प्रस्ताव में केंद्र सरकार की नीतियों पर जमकर निशाना साधा गया है. यह संकल्प दोहराया गया कि सपा ही अकेले सांप्रदायिक शक्तियों पर अंकुश लगाने में समर्थ है. राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम ने यह कहा भी कि सपा की नीतियां ही महंगाई-भ्रष्टाचार-सांप्रदायिकता का ख़ात्मा कर सकती हैं. राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव ने राजनीतिक एवं आर्थिक प्रस्ताव पेश किया. उन्होंने कहा कि भाजपा ने छल, कपट और धनबल के आधार पर मीडिया का सहारा लेकर देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया है. प्रस्ताव में केंद्र की पूर्व और वर्तमान, दोनों सरकारों की निंदा की गई और बिजली का मुद्दा छाया रहा. राम गोपाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार बनने के बाद पहले यूपीए और अब भाजपा की सरकार प्रदेश की लगातार उपेक्षा कर रही है. उत्तर प्रदेश के हिस्से की लगभग एक हज़ार मेगावाट बिजली न देना और प्रदेश के बिजली घरों को कोयला न उपलब्ध कराना इसका प्रमाण है. इसके अलावा अनेक योजनाओं के लगभग 45,000 करोड़ रुपये केंद्र पर बकाया हैं, जिसका जान बूझकर भुगतान नहीं किया जा रहा है.
प्रस्ताव में देश की सीमाओं की सुरक्षा पर भी चिंता व्यक्त की गई. कहा गया कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने केंद्र सरकार को बार-बार सचेत किया कि चीन हमारी सीमाओं पर गिद्ध दृष्टि डाले हुए है, लेकिन पूर्व की यूपीए और वर्तमान भाजपा सरकार ने इस मुद्दे को तवज्जो नहीं दी. पार्टी ने सीधा आरोप लगाया कि जिस समय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति के साथ अहमदाबाद में झूला झूल रहे थे, ठीक उसी समय चीन की सेना लद्दाख में भारतीय सीमा में टेंट लगा रही थी. राम गोपाल ने कहा कि चीन देश की लाखों वर्ग मील ज़मीन पर कब्जा किए हुए है, लेकिन भारत सरकार ने आपसी वार्ता में इसका जिक्र तक करना बंद कर दिया है. सपा के प्रस्ताव में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की निंदा भी शामिल है. कहा गया कि सीमा पर आएदिन पाकिस्तानी फौज द्वारा फायरिंग हो रही है और आतंकी भारत में घुसने का प्रयास कर रहे हैं. अब तो अलकायदा और आईएसआईएस ने भी धमकी दी है कि उनका अगला निशाना भारत है. लेकिन, दु:खद बात यह है कि मोदी सरकार की विदेश नीति लगातार अपने मूल उद्देश्य से भटकती जा रही है. सपा के आर्थिक प्रस्ताव में महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी पर प्रहार किया गया. केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा गया कि इन सबके अलावा, काला धन वापस लाने के लिए भी केंद्र सरकार ने पिछले 100 दिनों में कोई रोडमैप नहीं तैयार किया. आर्थिक प्रस्ताव में एफडीआई का भी विरोध किया गया है.
मीडिया पर निकाली भड़ास सपा ने अपने प्रस्ताव में मीडिया को बुरी तरह घसीटा. मीडिया पर साफ़-साफ़ चाटुकारिता का आरोप लगाया गया. नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा की चर्चा करते हुए प्रस्ताव में कहा गया है कि प्रधानमंत्री वहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन को संबोधित करने गए थे, लेकिन भारतीय मीडिया ने चाटुकारिता की सारी सीमाएं लांघकर उस दौरे को ऐसे प्रदर्शित किया, जैसे मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा के निमंत्रण पर गए हों.


 
पार्टी को संभाल कर रखना : मुलायम
कंटीले और तकलीफदेह रास्तों से आगे बढ़ती हुई समाजवादी पार्टी आज इस मुकाम तक पहुंची है. इसे बहुत संभाल कर ले चलना है और इसका सारा दायित्व नई पीढ़ी का है. आगे पार्टी संभालने के लिए पूरी तैयारी रखनी है, पढ़ना-लिखना है और खुद को परिपक्व बनाना है. राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन भाषण में राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने यह भावुक संदेश देते हुए यहां तक कह दिया, अब मैं पार्टी छोड़ता हूं आप सब पर. मुलायम ने कहा कि समाजवादी पार्टी का अपना एक मुकम्मल इतिहास है. उन्होंने सपा की ऐतिहासिकता बताते हुए अयोध्या प्रकरण एवं मंडल कमीशन जैसे मसले उठाए. कहा कि अयोध्या मसले में समाजवादी पार्टी के स्टैंड को भाजपा को छोड़कर अन्य सारे दलों ने समर्थन दिया था. इसमें खास तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, पश्‍चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु एवं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम उल्लेखनीय है. मंडल कमीशन की सिफारिशें पूर्ण रूप से लागू हों, इसे भी चंद्रशेखर ने अपना पुरजोर समर्थन दिया था. मुलायम ने कहा कि मंडल कमीशन की सिफारिशें ठीक तरीके से लागू नहीं हुईं और पिछड़ा वर्ग में इसे लेकर असंतोष है. उन्होंने आश्‍वासन दिया कि वह खुद इस मामले में पहल करके केंद्र सरकार से बात करेंगे. मुलायम ने किसानों के साथ हो रही नाइंसाफी का भी जिक्र किया और पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे हर किस्म की नाइंसाफी के ख़िलाफ़ संघर्ष करें. सीमा पर चल रही गोलाबारी का जिक्र करते हुए मुलायम ने कहा कि इस मसले का भी राजनीतिक फ़ायदा उठाने की कोशिशें हो रही हैं, जिससे सचेत रहने की ज़रूरत है.


जनेश्‍वर मिश्र पार्क के इस्तेमाल पर हाईकोर्ट नाराज़
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित जनेश्‍वर मिश्र पार्क में हुए समाजवादी पार्टी के अधिवेशन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कड़ा ऐतराज जताया है. न्यायालय ने जनेश्‍वर मिश्र पार्क में भविष्य में किसी भी राजनीतिक कार्यक्रम पर रोक लगा दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति वीके सिंह एवं न्यायमूर्ति बीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया. जनेश्‍वर मिश्र पार्क में हुए सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन के ख़िलाफ़ अधिवक्ता मुनिंदर राय ने याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता विजय बहादुर के आग्रह पर सपा सम्मेलन पर रोक नहीं लगाई, लेकिन भविष्य के लिए हिदायत दे दी. न्यायालय ने लखनऊ के ज़िलाधिकारी को इस पूरे कार्यक्रम की वीडियोग्राफी कराने और छह हफ्ते में उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया.
याचिकाकर्ता ने बताया कि सरकार ने पार्क में आयोजन के लिए संबंधित विभागों से कोई मंजूरी नहीं ली. सरकार का दबाव बनाकर आयोजन किया गया. जनेश्‍वर मिश्र पार्क को ग्रीन बेल्ट के रूप में विकसित किया जा रहा है. ऐसे में वहां राजनीतिक कार्यक्रम होने से पार्क की हरियाली को ख़तरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि पूरे शहर में जगह-जगह लगी होर्डिंग्स से जनता को काफी दिक्कतें पेश आईं. प्रशासन ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. इसलिए उन्हें न्यायालय का सहारा लेना पड़ा. उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने राजनीतिक आयोजनों के लिए शहर से दूर रमाबाई मैदान बनवाया था. सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन भी रमाबाई मैदान में ही होना चाहिए था. आरोप है कि सपा ने नियम-क़ानून ताख पर रखकर जनेश्‍वर मिश्र पार्क में राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया.


सपा के अधिवेशन में मोदी-मोदी
समाजवादी पार्टी के अधिवेशन में नरेंद्र मोदी का नाम ही छाया रहा. पहले दिन मुलायम एवं शरद यादव ने मोदी को आड़े हाथों लिया, तो दूसरे दिन भी मोदी ही भाषणों के जरिये छाए रहे. मोदी पर कई आपत्तिजनक टिप्पणियां भी हुईं. एक नेता ने उन्हें राक्षस तक कह डाला और कहा कि उसका विनाश लोकसभा में बैठे सपा के पांच पांडव करेंगे. वरिष्ठ नेता एवं मंत्री आजम खान ने मोदी के सफाई अभियान पर प्रहार करते हुए कहा, मैंने झाड़ू लगाने वाले हाथों में कलम थमाई है. प्रधानमंत्री जी, झाड़ू छीन रहे हो, तो उन्हें रा़ेजगार दो.
लाभ के दो पद पर आसीन रहने के आरोप पर सफाई देते हुए आजम ने कहा, मैंने कोई बेईमानी नहीं की है. अगर बेईमानी का एक भी दाग मिले, तो मुझे लाल किले पर खड़ा करके जो चाहो, वह सजा दो. मेरा स़िर्फ एक ही एकाउंट है, वह भी सैलरी एकाउंट. मैंने जौहर यूनिवर्सिटी सबकी मदद से बनाई है. वरिष्ठ नेता रामजी लाल सुमन ने पार्टी से भितरघात करने वाले मंत्रियों एवं नेताओं का मसला उठाया और कहा कि नेता जी सार्वजनिक मंच से मंत्रियों की कारस्तानियों की चर्चा करते हैं, पर उनके ख़िलाफ़ कोई एक्शन नहीं लेते, जिसके चलते समाज में गलत संदेश जा रहा है. अखिलेश सरकार को बदनाम करने वाले ऐसे मंत्रियों-नेताओं को तत्काल बाहर कर दिया जाना चाहिए. सुमन ने कहा, जो नेता प्रधानी का चुनाव भी अपने बूते पर नहीं जीत सकते, वे पार्टी संगठन के अहम पदों पर जमे हैं, उन्हें तत्काल हटाया जाना चाहिए. राष्ट्रीय महासचिव किरणमय नंदा ने संघ पर हमला बोलते हुए उसे एक आतंकी संगठन कह डाला. कबीना मंत्री अहमद हसन अखिलेश सरकार की तारीफ़ करते रहे. राज्यसभा सदस्य जया बच्चन ने तारीफ़ करते हुए कहा कि अखिलेश मीडिया के तीखे सवालों का जवाब बड़ी आसानी से देते हैं. उन्होंने नसीहत दी कि हमें दूसरों को नहीं, खुद को देखना चाहिए. कन्नौज से सांसद एवं अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने कहा, राज्य सरकार ने अपने वादे पूरे किए हैं. स्वास्थ्य सेवाओं में भी प्रदेश ने काफी तरक्की की. अधिवेशन में प्रो. राम गोपाल के पुत्र एवं फिरोजाबाद के सांसद अक्षय यादव और मैनपुरी से सांसद चुने गए तेज प्रताप यादव पहली बार पार्टी के राष्ट्रीय मंच से बोले. बदायूं से सांसद धर्मेंद्र यादव ने भी अपने विचार व्यक्त किए.


मोदी पर निशाना
समाजवादी पार्टी ने अपने राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान पारित राजनीतिक-आर्थिक प्रस्ताव में भी मोदी को निशाने पर रखा. अधिवेशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ निंदा प्रस्ताव समेत तीन संशोधनों के साथ राजनीतिक-आर्थिक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया. प्रस्ताव पर लगातार दो दिनों तक चर्चा हुई, जिसमें 76 लोगों ने हिस्सा लिया और 500 से अधिक सुझाव पेश किए गए. राजनीतिक प्रस्ताव में सांप्रदायिकता सपा के लिए अहम मुद्दा है. कृषि, बिजली और बेरा़ेजगारी के मुद्दे पर वह केंद्र के ख़िलाफ़ ताल ठोंकती रहेगी. आर्थिक प्रस्ताव में सपा ने रेल और रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का विरोध करने का ़फैसला किया है. अधिवेशन के पहले दिन आठ अक्टूबर को राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव ने पार्टी का राजनीतिक-आर्थिक प्रस्ताव पेश किया था. अगले दिन नौ अक्टूबर को तीन संशोधनों के साथ इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. जिन तीन मुद्दों को चर्चा के दौरान प्रस्ताव में जोड़ा गया, उनमें एक मंगलयान की सफलता को लेकर था. पार्टी नेता अंबिका चौधरी ने चर्चा के दौरान कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने पहले प्रयास में ही यह सफलता हासिल की. इसके लिए पार्टी की तरफ़ से वैज्ञानिकों को बधाई संदेश भेजा जाना चाहिए. इस कार्य में प्रधानमंत्री मोदी का कोई योगदान नहीं रहा, फिर भी वह इस सफलता का पूरा श्रेय ले रहे हैं, इसलिए उनके ख़िलाफ़ निंदा प्रस्ताव पारित होना चाहिए. रक्षा क्षेत्र में एफडीआई के विरोध और मूल्य नियंत्रण के लिए मूल्य आयोग के गठन संबंधी दो अन्य बातों को भी प्रस्ताव में शामिल किया गया.


मंत्रियों-नौकरशाहों पर सख्ती ज़रूरी : शिवपाल
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण एवं सहकारिता मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने विकास कार्यों एवं जनता के हित से जुड़े कामों के प्रति लापरवाही बरतने वाले कुछ मंत्रियों-नौकरशाहों के प्रति नाराज़गी जताई. शिवपाल ने कहा, सरकार की योजनाएं ठीक से लागू करने में कुछ मंत्री और नौकरशाह मन से काम नहीं कर रहे हैं, उन पर सख्ती ज़रूरी है. उन्होंने कहा, कुछ मंत्रियों और पदाधिकारियों के आचरण से भी पार्टी को ऩुकसान हो रहा है. सरकार पूरी ईमानदारी से काम कर रही है, लेकिन कुछ मंत्री-अफसर लापरवाही बरत रहे हैं. शिवपाल ने पार्टी की छवि निखारने के लिए कार्यकर्ताओं को अपनी सोच बदलने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि आज जो भी पार्टी संगठन में आता है, वह आते ही धनवान बनने की चाहत पाल लेता है. ज़मीन पर काम करने की ज़रूरत नहीं समझता. ऐसी सोच से न पार्टी का भला होगा और न समाज का. शिवपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अमेरिका और जापान जाते हैं, तो वहां व्यापार की बातें करते हैं, लेकिन जब भारत आते हैं, तो झाड़ू की बात करते हैं. प्रधानमंत्री झाड़ू लगाने वालों का काम भी छीन लेना चाहते हैं, ग़रीबों का हक़ छीनना चाहते हैं. शिवपाल ने कहा कि सपा सरकार की कोशिशों से आज उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 22 हज़ार से बढ़कर 37 हज़ार रुपये हो गई है. कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए शिवपाल ने कहा, पक्के इरादों के साथ यहां से जाइए. यदि हमारे पास इतना बड़ा संगठन है, अच्छी नीतियां हैं, राज्य सरकार द्वारा पिछले दो सालों में किए गए अच्छे कार्यों का बल है और हम एकजुट रहें, तो सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनने से कोई नहीं रोक सकता.


नदियों को धर्म से जोड़ने का कुचक्र : अखिलेश
भारतीय जनता पार्टी नदियों को भी धर्म से जोड़ने का कुचक्र रच रही है, जबकि नदियां तो प्राकृतिक रूप से निरपेक्ष हैं, सब तरफ़ समान भाव से बहती हैं और सबको समान रूप से फ़ायदा पहुंचाती हैं. यह बात उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन के दिन अपने भाषण में कही. अखिलेश ने कहा कि प्रदेश सरकार वे सारे काम कर रही है, जिनका वादा सपा ने चुनाव के पहले अपने घोषणा-पत्र में किया था, लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार अपने घोषणा-पत्र के मुताबिक कोई काम नहीं कर रही है. अखिलेश ने भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे और पूंजीवादी साजिशों के प्रति सचेत रहने की अपील की, अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और कमियों के लिए दिल्ली को कोसा. उन्होंने बिजली संकट का ठीकरा केंद्र के सिर फोड़ते हुए दावा किया कि राज्य के कोटे की बिजली और कोयला केंद्र से मिले, तो गांवों में 16 और शहरों में 22 घंटे बिजली आपूर्ति होने लगेगी. अखिलेश ने लोहिया पार्क बनवाने का श्रेय मुलायम को दिया, तो जनेश्‍वर मिश्र पार्क बनाने का श्रेय अपनी सरकार को. उन्होंने कहा कि मायावती के पत्थरों के बरक्स समाजवादी पार्टी ने शहर को हरा-भरा करने का काम किया. आज स्थिति यह है कि विरोधियों को ऑक्सीजन लेने के लिए लोहिया पार्क में ही आना पड़ता है.


 
 
 
 

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