MPमध्य प्रदेश में टिकट बंटवारे के बाद दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा को अभूतपूर्व अंतर्कलह और बगावत का सामना करना पड़ा है. सूची जारी होने के बाद लगभग हर जगह भगदड़ की स्थिति बनती दिखाई दी. हालांकि इससे पहले भी टिकटों के ऐलान के बाद अंतर्कलह एवं विरोध की स्थितियां बनती थीं, लेकिन इस बार विरोध के स्वर कुछ ज्यादा ही तेज हैं. भाजपा भी इससे अछूती नहीं है. हालात यहां तक पहुंच गए कि दावेदारों द्वारा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर दलाली खाने के आरोप भी लगाए गए.

टिकट को लेकर पार्टी के सबसे सीनियर नेता और 10 बार से लगातार विधायक रहे बाबूलाल गौर पूरी तरह से बगावती तेवर में नजर आए. इसी तरह से इंदौर में ताई और भाई के बीच उम्मीदवारों के चयन के लिए खुलकर खींचतान देखने को मिली. इंदौर जिले की 9 सीटों पर सुमित्रा महाजन और कैलाश विजयवर्गीय अपने लोगों को टिकट दिलाना चाहते थे.

वहीं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले संजय सिंह मसानी के कांग्रेस में शामिल होने की खबर सबसे ज्यादा चर्चा में रही. कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के मौके पर संजय सिंह ने कहा कि भाजपा को 14 साल हो गए हैं. यह बहुत है. अब प्रदेश को शिवराज की नहीं, कमलनाथ यानि नाथ की जरूरत है. उम्मीद है, कमलनाथ जी ने जैसे छिंदवाड़ा का विकास मॉडल दिया, उसी तरह वे मध्य प्रदेश में विकास को आगे बढ़ाएंगे.

इससे कमलनाथ भी काफी खुश नजर आए. संजय सिंह के कांग्रेस में शामिल होने पर उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह के साले संजय सिंह ने आज कांग्रेस की रीतियों-नीतियों में जो विश्वास व्यक्त किया और शिवराज व भाजपा की नीतियों की जो पोल खोल वास्तविकता उजागर की, उससे प्रदेश की वास्तविकता को समझा जा सकता है कि मामा जी से ख़ुद के बच्चों के मामा ही ख़ुश नहीं हैं.

हालांकि संजय सिंह के कांग्रेस में शामिल होने से कई कांग्रेसी नेता नाराज हैं. दिग्विजय सिंह द्वारा इसका विरोध किया गया है. दरअसल, संजय सिंह का नाम डंपर और व्यापमं घोटाले में आ चुका है और इसे लेकर कांग्रेस उन्हें निशाना भी बनाती रही है. इसलिए कांग्रेस के कई नेताओं को लगता है कि संजय सिंह के आने से पार्टी का फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो सकता है.

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here