एक सब्ज़ीवाले से महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और फिर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल का सफर करने वाले छगन भुजबल को आखिरकार शुक्रवार को जमानत मिल गई। भुजबल की जमानत अर्जी पर गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। बता दें कि दिसंबर 2017 में मुम्बई की विशेष पीएमएलए (PMLA) कोर्ट से छगन भुजबल की जमानत याचिका खारिज होने के बाद भुजबल ने बॉम्बे हाई कोर्ट में जमानत की गुहार लगाई थी।
बता दें कि भुजबल के वकील ने आवेदन में दावा किया था कि उनके मुवक्किल की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है। वे पिछले दो साल से जेल में बंद है। मामले की जांच पूरी हो चुकी है। इसके अलावा उनकी उम्र 71 साल है। इसलिए उनके जमानत आवेदन पर सहानूभूतिपूर्ण तरीके से विचार किया जाए। कोर्ट ने उम्र के तर्क पर भुजबल को जमानत दी है। जेल में करीब एक साल गुजारने के बाद भुजबल को राहत मिली है।
पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के प्रावधानों को हटाए जाने के बाद भुजबल ने जमानत की अर्जी दाखिल की थी। इस प्रावधान को ऐक्ट से हटाए जाने के बाद कानून के तहत जेल में बंद लोगों को जमानत मिलना आसान हो गया है।
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इससे पूर्व न्यायमूर्ति पीएन देशमुख के समक्ष प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने भुजबल की जमानत का विरोध किया। उन्होंने कहा कि भुजबल ने खुद पर लगे आरोपों को लेकर जो सफाई दी है वह आधारहीन है। इस आधार पर उन्हें जमानत नहीं प्रदान की जा सकती है।