नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री जम्मू-कश्मीर के बारे में ज़रूर कुछ असाधारण क़दम उठाने की कोशिश करते नज़र आ रहे हैं. मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने दीवाली का त्यौहार कश्मीरियों के साथ मनाया. उन्होंने बाढ़ में तबाह हुए मकानों के पुनर्निर्माण के लिए 570 करोड़ और छह अस्पतालों की बहाली के लिए 175 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने जम्मू-कश्मीर में पुनर्वास के लिए 44 हज़ार करोड़ रुपये के पैकेज की जो मांग की है, उनकी सरकार उस पर विचार कर रही है.
वह दीवाली पर अपने कश्मीर दौरे के दौरान बाढ़ प्रभावित लोगों से मिले और स्थानीय नेताओं एवं व्यापारियों के दल से भी. जो लोग मोदी से मिले, उनका कहना है कि मोदी ने उन्हें यह संदेश दिया कि कश्मीर में पुनर्वास कार्य में उनकी सरकार भरपूर सहयोग करेगी. मोदी से मिलने वालों में राज्य के सक्रिय उद्योगपति एवं कश्मीर सेंटर फॉर सोशल एंड डेवलपमेंट स्टडीज के नेता शकील क़लंदर भी शामिल थे. शकील ने मोदी से मुलाक़ात के बाद चौथी दुनिया से बातचीत करते हुए कहा, इसमें ज़रा भी शक नहीं कि प्रधानमंत्री का कश्मीर दौरा और बाढ़ प्रभावितों के साथ दीवाली मनाने का अमल शांति के संदेश से भरा है. उन्होंने हमारी बातें एवं मांगें ध्यान से सुनीं और हर प्रकार की मदद का आश्वासन दिया. मोदी ने कहा कि उनकी सरकार कश्मीरियों को मुसीबत की इस घड़ी में तन्हा नहीं छोड़ेगी.
मोदी ने कश्मीर दौरे के दौरान एक तीर से कई शिकार किए. प्रसिद्ध पत्रकार सिब्ते मोहम्मद हसन ने कहा कि मोदी ने एक ओर कश्मीरियों का दिल जीतने का भरपूर प्रयास किया और दूसरी ओर यह कहकर राज्य सरकार को साइड लाइन किया कि केंद्र सरकार बाढ़ पीड़ितों की पुनर्वास प्रक्रिया के दौरान उनके बैंक खातों में सीधे पैसा जमा कराए.
मोदी से मिलने वाले अन्य लोगों की भी यही प्रतिक्रिया थी. इसलिए कहा जा सकता है कि दीवाली के अवसर पर मोदी का कश्मीर दौरा एक सफल दौरा था. दूसरी तरफ़ केंद्र सरकार की ओर से बाढ़ प्रभावितों के बैंक खातों में पैसा जमा कराने की मोदी की घोषणा पर नेशनल कांफ्रेंस के नेता उत्तेजित हो गए. पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉक्टर मुस्तफ़ा कमाल, जो रिश्ते में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के चाचा भी लगते हैं, ने चौथी दुनिया से कहा कि प्रधानमंत्री ने नेशनल कांफ्रेंस और राज्य सरकार की छवि ख़राब करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ा. उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की कि राज्य सरकार द्वारा बाढ़ प्रभावितों तक पैसा नहीं पहुंचेगा. इसीलिए केंद्र सरकार उसे सीधे बैंक खातों में जमा कराएगी. मोदी ने यह बताने का प्रयास किया कि राज्य सरकार नाकारा है.
नेशनल कांफ्रेंस की झुंझलाहट उचित है. बाढ़ के दौरान और उसके बाद जनता को तत्काल राहत पहुंचाने की प्रक्रिया में सरकार की असफलता के कारण सत्तारूढ़ दल के लिए आने वाले विधानसभा चुनाव, जो दिसंबर में होने जा रहे हैं, के अवसर पर मतदाताओं को लुभाना काफ़ी मुश्किल होगा. ऐसी स्थिति में मोदी ने नेशनल कांफ्रेंस सरकार से बाढ़ पीड़ितों में पैसा बांटने का अवसर छीनकर उसे और मुसीबत में डाल दिया है. शकील क़लंदर ने बताया कि जब प्रधानमंत्री से शिकायत की गई कि केंद्र सरकार ने कश्मीर में बाढ़ के बाद तत्काल सहायता पहुंचाने में देर कर दी, तो प्रधानमंत्री ने जवाब दिया कि 7 सितंबर को जब यहां बाढ़ आई थी, तो उन्होंने यहां आकर एक हज़ार करोड़ रुपये के तत्काल सहायता पैकेज की घोषणा की थी. मोदी ने कहा कि आप राज्य सरकार से पूछें कि उसने अब तक यह धनराशि ख़र्च क्यों नहीं की.
विश्लेषकों का कहना है कि मोदी ने कश्मीर दौरे के दौरान एक तीर से कई शिकार किए. प्रसिद्ध पत्रकार सिब्ते मोहम्मद हसन ने कहा कि मोदी ने एक ओर कश्मीरियों का दिल जीतने का भरपूर प्रयास किया और दूसरी ओर यह कहकर राज्य सरकार को साइड लाइन किया कि केंद्र सरकार बाढ़ पीड़ितों की पुनर्वास प्रक्रिया के दौरान उनके बैंक खातों में सीधे पैसा जमा कराए. इस प्रकार मोदी ने नेशनल कांफ्रेंस के लिए पुनर्वास प्रक्रिया का चुनावी फ़ायदा लेने की कोशिश के दरवाज़े भी बंद कर दिए.
बार-बार दौरा करके मोदी इस राज्य में भाजपा की जड़ें मज़बूत करने की कोशिश भी कर रहे हैं. साथ ही मोदी ने सियाचिन ग्लैशियर पर जाकर वहां सैनिकों के साथ दीवाली की ख़ुशियां बांटते हुए एक तरह से पाकिस्तान को यह संदेश दिया है कि भारत सियाचिन से अपनी सेना हटाने के मूड में नहीं है.
मोदी पिछले 10 वर्षों में सियाचिन का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं. उन्होंने दीवाली के अवसर पर सियाचिन की बफीर्र्ली चोटियों का दौरा करने से कुछ देर पहले ट्वीटर पर लिखा, दोस्तों! मैं सियाचिन ग्लैशियर जा रहा हूं, यह मेरा सौभाग्य है कि मैं आज के ख़ास दिन के अवसर पर हमारे बहादुर सैनिकों के साथ कुछ समय गुज़ारूं…हर कोई सियाचिन ग्लैशियर की जटिल परिस्थितियों से परिचित है. सभी चुनौतियों के बावजूद हमारे सैनिक संकल्पबद्ध हैं और भारत माता की सुरक्षा कर रहे हैं. हमें सही मायनों में उन पर गर्व है…मैं अपने सैनिकों के लिए प्रत्येक भारतीय की ओर से संदेश लेकर जा रहा हूं कि हम आपके क़दम से क़दम मिलाकर खड़े हैं.
ज़ाहिर है, प्रधानमंत्री के उक्त शब्द जहां सेना का हौसला बढ़ा रहे हैं, वहीं इनमें पाकिस्तान के लिए भी गहरा संदेश छिपा है कि सियाचिन पर मोदी सरकार कोई ़फैसला करने को तैयार नहीं है. दिलचस्प यह कि दीवाली के मौ़के पर जब प्रधानमंत्री कश्मीर में थे, तो उसी दिन जम्मू क्षेत्र में लाइन ऑफ कंट्रोल पर पाकिस्तानी सेना ने भारतीय चौकियों को एक बार फिर निशाना बनाया. उसी दिन पाकिस्तानी संसद में एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें भारत पर युद्ध विराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप करने की अपील की गई. इससे दो सप्ताह पूर्व भी पाकिस्तान सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून को एक पत्र लिखकर उनसे कश्मीर समस्या हल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र से संबंधित प्रस्ताव लागू करने पर बल दिया था. ज़ाहिर है, कश्मीर को लेकर मोदी सरकार को जहां आंतरिक समस्याओं का सामना करना है, वहीं बाहरी चुनौतियों का भी.