इस साल की दूसरी तिमाही में होने जा रहे लोकसभा चुनावों के लिए मतदाताओं को लुभाने का सिलसिला तेजी से चल पड़ा है. रविवार को भाजपा ने दलित वोट समेटने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में समरसता खिचड़ी पकाई थी और उसके दूसरे दिन ही मोदी सरकार ने सवर्णों को लुभाने के लिए बड़ा ऐलान कर दिया.
सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में मोदी सरकार ने सवर्ण जातियों के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया है. बीते दिनों में सरकार के खिलाफ दिखी सवर्णों की नाराजगी को देखते हुए इसे बड़ा फैसला माना जा रहा है. खासकरके हाल ही में तीन हिन्दीभाषी राज्यों में भाजपा को मिली करारी हार के पीछे सवर्णों की नाराजगी बड़ी वजह रही है. ऐसे में लोकसभा चुनावों से पहले सवर्णों को मनाने में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.
हालांकि, ये आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को दिया जाएगा. बता दें कि 2018 में SC/ST एक्ट को लेकर जिस तरह सरकार ने मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया था, उससे सवर्ण खासा नाराज बताए जा रहे थे. चूंकि संविधान में केवल जातिगत आरक्षण की ही बात कही गई है और मोदी सरकार आर्थिक आधार पर आरक्षण देने जारी है. ऐसे में सरकार को इसे लागू करने के लिए संविधान में भी संशोधन करना होगा. माना जा रहा है कि सरकार इसके लिए जल्द ही संविधान में बदलाव करेगी. इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में बदलाव किया जाएगा. दोनों अनुच्छेद में बदलाव कर आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा.
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