power-grideझारखंड की सीमा से लगे बिहार में मगध के उग्रवाद प्रभावित इलाके को सौर उर्जा से रौशन करने की केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना पर ग्रहण लग गया है. सोलर प्लांट से बिजली उत्पादन कर उग्रवाद प्रभावित मगध के गया जिले के शेरघाटी अनुमंडल में बिजली आपूर्ति की योजना बनाई गई है. इस योजना के तहत गया जिले में जीटी रोड स्थित आमस और डोभी में दो सोलर इकाई लगाई जानी है. सौर उर्जा के इन दोनों इकाइयों से बिजली उत्पादन कर जुलाई 2016 में शेरघाटी स्थित पावर सबग्रिड को बिजली की आपूर्ति कर उग्रवाद ग्रस्त क्षेत्रों को रौशन करने की योजना शुरू होनी थी. स्थानीय प्रशासनिक पदाधिकारियों का अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने व नक्सलियों द्वारा लेवी के लिए काम पर रोक लगाने से अब यह योजना अधर में लटक गई है. नक्सलियों की धमकी के कारण 40 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए शेरघाटी में बन रहे सोलर प्लांट यूनिट का काम ठप हो गया है. गया जिले में नौ प्रखंडों वाला शेरघाटी अनुमंडल उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र माना जाता है. इस अनुमंडल में कोबरा बटालियन, एसएसबी, सीआरपीएफ व बिहार पुलिस के कई थाने और कैंप स्थापित हैं. जंगली और पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यह अनुमंडल उग्रवादियों के लिए मुफीद साबित हो रहा है. केंद्र सरकार की योजना के अनुसार गांव में ग्रामीण विद्युतीकरण का कार्य तेजी से किया जाने लगा ताकि  उग्रवादग्रस्त क्षेत्रों में सुचारू रूप से बिजली की आपूर्ति बहाल की जा सके. इसके तहत गया जिले के शेरघाटी अनुमंडल में सोलर प्लांट लगाकर पूरे अनुमंडल क्षेत्र में बिजली आपूर्ति करने का निर्णय लिया गया. इस निर्णय के तहत जीटी रोड पर शेरघाटी के नजदीक दो सोलर प्लांट स्थापित किये जाने का काम शुरू हुआ. लेकिन विकास कार्यों की राह में रोड़ा बने नक्सलियों ने इस योजना पर भी रोक लगा दी. इस योजना के सहारे शेरघाटी अनुमंडल मुख्यालय समेत इमामगंज, डुमरिया, बांके बाजार, आमस, गुरुआ, मोहनपुर और बाराचट्टी के क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की जानी है. शेरघाटी स्थित सोलर प्लांट निर्माण स्थल पर 27 जून 2016 को रात में नक्सलियों ने कार्य स्थल पर पहुंचकर निर्माण कर रहे कंपनी के कर्मचारियों को धमकी दी. उन्होंने कंपनी के अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक संगठन को लेवी नहीं दिया जाएगा, तब तक यहां कोई काम नहीं होगा. अगर बिना अनुमति के काम शुरू किया गया, तो उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. इस धमकी के बाद से कार्य स्थल पर सन्नाटा पसरा है. 320 करोड़ रुपये की लागत वाली इस बिजली परियोजना का काम वेलस्पन नाम की एक कंपनी कर रही है. इस योजना के तहत आमस के सांव व डोभी प्रखंड के बहरा गांव के पास सौर प्लांट की दो अलग-अलग इकाइयां लगाई गई हैं. यहां से उत्पादित बिजली विद्युत लाइन के जरिए शेरघाटी पहुंचेगी और शेरघाटी ग्रिड को बिजली की आपूर्ति की जाएगी. शेरघाटी में बिजली को ग्रिड में ट्रांसफर करने के लिए बस-वे बनाया जा रहा है. नक्सलियों की धमकी के कारण निर्माण कार्य में लगे मजदूर काम छोड़कर भाग गए हैं. इसके बाद ठेका कंपनी के उपाध्यक्ष राजीव कुमार दिल्ली से शेरघाटी पहुंचे और घटना के संबंध में पूरी जानकारी ली. उन्होंने कहा था कि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो जुलाई में बिजली की आपूर्ति शुरू हो जाएगी. लेकिन लगता है अब इस योजना पर लंबे समय तक ग्रहण लग गया है. ठेका कंपनी ने जिला प्रशासन से कार्य स्थल पर सुरक्षा बलों की तैनाती की मांग की है. उग्रवादग्रस्त गया जिले के शेरघाटी अनुमंडल में यदि यह योजना बेहतर तरीके से चालू हो गई तो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अन्य विकास कार्यों की गति में भी तेजी आएगी. इस महत्वाकांक्षी योजना के पूरा होने से शेरघाटी के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बिजली की समस्या से निजात मिलेगी. लेकिन लगता है कि मगध के उजाले की योजना को नक्सली अपने लिए खतरा मान रहे हैं. विकास कार्यों में तेजी व इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार होने से नक्सलियों के ठिकानों तक आसानी से पुलिस की पहुंच संभव है. स्थानीय लोगों का कहना है कि नक्सली संगठन इन क्षेत्रों में विकास कार्य होने देना नहीं चाहते हैं. यही कारण है कि अक्सर लेवी की मांग कर व धमकी देकर निर्माण स्थल पर कार्य रोक दिया जाता है. 320 करोड़ की इस योजना में भी नक्सलियों ने दस प्रतिशत लेवी की मांग की है. यदि सुरक्षाबलों और जिला प्रशासन का यथोचित सहयोग नहीं मिला तो बिजली उत्पादन की इस महत्वपूर्ण योजना से उग्रवाद ग्रस्त क्षेत्र के ग्रामीण वंचित रह जाएंगे.

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