‘सुरक्षा आपकी संकल्प हमारा’ का दावा करने वाली यूपी पुलिस से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. जहां पुलिस वालों को अपने ही एक लापता सिपाही का पता लगाने में पांच महीने का वक्त लग गया. लेकिन जब सच सामने आया तो पुलिस महकमे के भी होश उड़ गए.
मामला उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले का है. जहां 55 वर्षीय कॉन्स्टेबल कंवरपाल सिंह जिले के बढापुर पुलिस थाने में तैनात थे. लेकिन 15 नवंबर 2018 को जब कंवरपाल एक महीने की छुट्टी पर गए तो वापस नहीं लौटे. जिसके बाद
एसपी ने ड्यूटी में लापरवाही बरतने पर उन्हें सस्पेंड कर दिया. इसके साथ ही सर्कल ऑफिसर के नेतृत्व में जांच बिठा दी गई. लेकिन पांच महीनों तक पुलिस को कंवरपाल सिंह की कोई खबर नहीं मिली. काफी जांच पड़ताल के बाद पता चला कि कंवरपाल सिंह उत्तर प्रदेश पीएसी (प्रोविंशियल आर्म्ड कॉन्स्टेबुलरी) में भी अपनी सेवाएं दे चुका है. इसके साथ ही खुलासा हुआ कि मेरठ के हाशिमपुरा में 42 मुस्लिमों के नरसंहार के मामले में कंवरपाल सिंह को भी सजा सुनाई गई थी. 31 अक्टूबर 2018 को दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद कंवरपाल सिंह ने तीस हजारी कोर्ट में जज के सामने सरेंडर कर दिया था और अभी वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है’
आपको बता दें कि 22 मई 1987 की रात हाशिमपुरा में 42 मुस्लिम समुदाय के लोगों को गोली मारने के बाद मृतकों को एक नहर में फेंक दिया गया था. इस नरसंहार में शामिल लोगों के साथ कंवरपाल सिंह के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया था. हालांकि ट्रायल कोर्ट ने अपने फैसले में 19 पीएसी जवानों को बरी कर दिया था. लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला बदलते हुए दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. जिसके बाद कंवरपाल सिंह ने तीस हजारी कोर्ट में सरेंडर कर दिया था. जहां से उसे तिहाड़ जेल भेज दिया गया.
वहीं दूसरी तरफ एक महीने की छुट्टी पर घर गए कंवरपाल ने साढ़े तीन महीने बाद भी ड्यूटी नहीं जॉइन की तो इस पूरे मामले से बेखबर बिजनौर पुलिस के आला अधिकारीयों ने उसे 1 अप्रैल को निलंबित कर दिया और कॉन्स्टेबल कंवरपाल सिंह का पता लगाने के लिए जांच बिठा दी. लेकिन जब हाशिमपुरा नरसंहार मामले में उसके दोषी होने की बता सामने आई तो पुलिस विभाग के होश उड़ गए.