एक श्रमजीवी पत्रकार होने के नाते मुझे स्टेडियम का पुस्तकालय और प्रेस दीर्घा बड़ी मुफीद लगी। शोध प्रशासन अधिकारी श्रीमती पेटा फिलिप्स ने बताया कि दुनिया के खेल संदर्भालयों में मेलबोर्न स्टेडियम की 1873 में स्थापित यह लाइब्रेरी शीर्ष पर है। वे हर्षित हुईं जब उन्होंने मेरी सहधर्मिणी डा. सुधा राव से जाना कि उनके पिता प्रोफेसर सी.जी. विश्वनाथन बनारस, पन्तनगर तथा लखनऊ विश्वविद्यालयों में पुस्तकालय विभागों के अध्यक्ष रह चुके हैं। स्टेडियम की मीडिया गैलरी विशाल है। इसे “रान कैसे” नामक दीर्घा कहते हैं। जनाब रोनाल्ड पेट्रिक कैसे आईरिश थे और सेल्टिक भाषा बोलते थे। सेल्टिक जुबान भारत-यूरोपीय बोलियों से उपजी है। वे फुटबाल खेलते थे और विश्वस्तरीय खेल समीक्षक रहे। इसी सप्ताह (27 दिसम्बर) को उनकी नवासी जयन्ति है।
एक अजूबा भी श्रीमती फिलिप्स ने बताया। वेस्ट इण्डीज के बल्लेबाज जोय सालोमन मेलबोर्न पिच पर (1961) में बैटिंग कर रहे थे। उनका हैट उनके विकेट पर गिर पड़ा। अम्पायर ने आउट दे दिया। पर दर्शकों के जोरदार विरोध के कारण अम्पायर को अपना निर्णय बदलना पड़ा। वह अश्वेत खिलाड़ी “नाट-आउट” करार दिया गया। तब गेन्दबाज तथा कप्तान थे रिची बेनो, जिनकी टीम को कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में 1959, भारतीय गेन्दबाज जसू पटेल की बालिंग ने पराजित किया था| तभी की घटना है। सपरिवार जसू पटेल लखनऊ के चौक में चिकन कुर्ते-साड़ी खरीदने आये। जब बिल का भुगतान करने लगे, तो वहां के युवकों ने उन्हें पहचान लिया। “अरे यह तो जसू पटेल हैं जिन्होंने आस्ट्रेलिया को कानपुर में हराया था” वे सब बोल पड़े। दुकानदार ने दाम लेने से मना कर दिया। कहा “कृतज्ञ लखनऊ का यह तोहफा है”। पटेल ने आस्ट्रेलिया के चौदह विकेट कानपुर (द्वितीय) टेस्ट मैच (19-24 दिसंबर 1959) में चटकाये थे। यह भारत की आस्ट्रेलिया पर प्रथम विजय थी।
हालांकि स्वतंत्रता प्राप्ति के दो चार महीनों में ही भारत की टीम लाला अमरनाथ की कप्तानी में इसी मेलबोर्न स्टेडियम में अपना पहला विश्वस्तरीय टेस्ट खेलने (नवम्बर 1948, उतरी थी। चार मैच हारी थी। बचा एक मैच ड्रा हो गया था। हालांकि बडौदा के विजय हजारे ने दोनों पारी में शतक जड़े थे। इसी सीरीज में महाबली डान ब्रेडमैन ने यहीं आखिरी टैस्ट मैच खेला था। अपने संस्मरणों में उन्होंने भारतीय कप्तान की चतुराई की चर्चा की थी। मेलबोर्न के समीपस्थ मिलडूला स्टेडियम में भारतीय गेन्दबाजों को धुनते हुये बैडमैन 99 रन बना चुके थे।
तभी वे फेरे में पड़ गये। बाउण्ड्री पर फील्डिंग कर रहे अनजाने, कनिष्ट खिलाड़ी गोगूमल किशनचन्द को कप्तान अमरनाथ ने गेन्द दिया। ब्रेडमन लिखते है की वे “नर्वस” हो गये। किशनचन्द अनजाना था। मेडन ओवर (बिना रन लिये) ब्रेडमन ने दे दिया। फिर अगली ओवर में शतक पूरा किया। इसी स्टेडियम में भारतीय दल खेल रहा था जब दिल्ली से खबर आई कि एक मतिभ्रम हिन्दूवादी ने राष्ट्रपिता की हत्या कर दी। तब (30 जनवरी 1948) को खेल बन्द कर दोनों टीमों ने बापू को श्रद्धांजलि दी। ऐसी है विक्टोरिया प्रान्त की राजधानी मेलबोर्न। अतीत की स्मृतियों को समेटे हुये। मुझ पत्रकार के लिये खबरों की खान।
के. विक्रम राव