दक्षिण बिहार के एक मात्र अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर अब मान्यता समाप्त होने का खतरा मंडरा रहा है. संसाधनों की कमी, सीनियर व जूनियर डाक्टरों की लापरवाही एवं स्वास्थ्य कर्मियों के ड्यूटी से लापता होने की वजह से अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल आज दुर्गति के कगार पर है. इस मेडिकल कॉलेज के संस्थापक पूर्व मंत्री स्व. डॉ. विजय कुमार सिंह का सपना था कि मगध मेडिकल कॉलेज एशिया के सबसे अच्छे मेडिकल कॉलेजों में हो. उनकी इस सोच को डॉ. विजय कुमार सिंह के मामा एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सत्येंद्र नारायण सिन्हा उर्फ छोटे साहब का समर्थन प्राप्त था. एक समय यह मेडिकल कॉलेज अपने बेहतर फैकल्टी और मरीजों के इलाज के लिए तमाम तरह की सुविधाओं की वजह से पूरे मध्य बिहार में चर्चित हो गया था. लेकिन तब तक इस मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण बिहार सरकार ने कर लिया और सरकार के अधिग्रहण करते ही इसकी हालत खराब होने लगी.
कई बार मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की टीम ने मेडिकल कॉलेज को चेतावनी देते हुए कहा था कि अपने व्यवस्थाओं में सुधार नहीं लाएंगे, तो अतिरिक्त सीटों के कोटा को समाप्त कर दिया जाएगा. लेकिन इसके बावजूद मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक और प्राचर्य ने व्यवस्थाओं को सुधारने पर कोई ध्यान नहीं दिया. 20 अप्रैल 2016 को एमसीआई की तीन सदस्यी टीम जब अचानक मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंची, तो हड़कम्प मच गया. इस टीम ने सबसे पहले कॉलेज में पढ़ाने वाले डाक्टरों की सूची मांगी और सभी विभागों की व्यवस्था देखने के लिए कहा. अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक और प्राचार्य ने अपने स्तर से प्रयास किया कि यह टीम बैठी रहे और हम लोगों से रिपोर्ट मांग ले, लेकिन जब तीन सदस्यीय टीम ने सभी विभागों की व्यवस्था देखने के लिए अधीक्षक के साथ घुमने की बात कही तो कुछ लोगों ने प्रयास किया कि टीम को समझाकर वापस भेज दिया जाए. एमसीआई की टीम निरीक्षण के लिए निकली, तो टीम ने अधिकतर विभागों को बंद पाया. बाद में जब कई विभागों को खोलकर देखा गया, तो इन विभागों में गंदगी का अंबार लगा हुआ था. जब टीम के सदस्यों ने मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी चाही, तो कोई भी स्वास्थ्यकर्मी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया.
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इस मेडिकल कॉलेज में 50 स्थायी सीटें हैं और 50 अस्थायी सीटों का आवंटन एमसीआई ने किया था. लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी को देखते हुए पिछले साल ही एमसीआई की टीम ने मेडिकाल कॉलेज के सभी विभागों में सुधार करने के साथ-साथ अन्य व्यवस्थाओं को ठीक करने का निर्देश दिया था. एमसीआई की टीम ने मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने के बाद अस्पताल के अधीक्षक व कॉलेज के प्राचार्य से संसाधनों, मशीनरी, फैकल्टी व बेडों की संख्या की रिपोर्ट मंागी. हालांकि मेडिकल कॉलेज में कई तरह के प्रोजेक्ट पर काम भी चल रहा है. जिसमें प्रशासनिक भवन बनकर तैयार हो चुका है. इसके अलावा पीजी छात्रावास, प्राचार्य आवास, 66 सीनियर रेजिडेंट क्वार्टर का निर्माण चल रहा है. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में और भी कई कार्य हो रहे हैं. लेकिन इस बार एमसीआई की टीम ने मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल की दुर्गति देखकर बिफर पड़ी. टीम ने व्यवस्थाओं को ठीक करने का निर्देश देते हुए सवाल किया कि क्या ऐसा भी कोई मेडिकल कॉलेज होता है? अब यह देखना होगा कि एमसीआई की टीम क्या रिपोर्ट देती है, क्योंकि उसकी रिपोर्ट पर ही मगध मेडिकल कॉलेज का भविष्य टिका है.
एमसीआई की टीम में बांकुड़ा मेडिकल कॉलेज के डॉ शुभेंदू दास गुप्ता, विजयनगर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के डॉ मरियाज और वर्द्धमान मेडिकल कॉलेज के डॉ. उत्पल दास शामिल थे. टीम के इन सदस्यों ने मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था को देखकर बहुत नाराजगी जताई. नाराजगी की महत्वपूर्ण वजह यह थी कि सुबह 11 बजे तक यहां पर पद स्थापित 50 प्रतिशत डॉक्टर अनुपस्थित थे और इसकी वजह से कर्मचारी भी समय पर नहीं आते हैं. इस बात की शिकायत टीम के सदस्यों को मिली. हालांकि यह मेडिकल कॉलेज इलाज को छोड़कर अपने दूसरे कारनामों के लिए चर्चित रहा है. जूनियर डाक्टरों के छात्रावास में आला के बदले रॉड, हॉकी स्टिक, अवैध रूप से छोटे-मोटे हथियार भी रखे जाने की बातें भी सामने आ चुकी है. मरीजों के परिजनों के साथ यहां के जूनियर डॉक्टरों का व्यवहार बहुत खराब रहता है. बात-बात पर यहां के जूनियर डॉक्टर हॉकी स्टिक निकाल लेते हैं. बाद में पता चला कि ऐसे जूनियर डॉक्टरों में कई मुन्नाभाई थे. उनके खिलाफ फर्जी तरीके से नामांकन कराने की वजह से प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. जिसकी वजह से मुन्नाभाई मेडिकल कॉलेज छोड़कर भाग गए. इसके अलावा अन्य कई अवसरों पर भी यहां के जूनियर डॉक्टर मरीजों और उनके परिजनों के साथ चिकित्सक नहीं, बल्कि अपराधी की तरह व्यवहार करते हैं. अब यह देखना है कि एमसीआई की रिपोर्ट आने के बाद मगध मेडिकल कॉल की मान्यता छिनती है या अस्थायी 50 सीटें.