भारत में घोटालों का इतिहास बहुत बड़ा है, लेकिन मध्य प्रदेश में हुए व्यापमं घोटाला अपने आप में अद्भुत है. इस घोटाले की जड़ें कहां तक फैली हैं, इसका अंदाजा अब तक नहीं लगाया जा सका है. इस मामले से जुड़े 40 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. मौत का यह आंकड़ा बिहार में अपने समय के बहुचर्चित चारा घोटाले ने भी नहीं छुआ था. व्यापमं घोटाले में आए दिन रहस्यमयी मौत हो रही है, जिसकी गुत्थी आज तक नहीं सुलझाई जा सकी है. मौतों का सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है. सुशासन का दावा करने वाले शिवराज का क्या यही है सुशासन?
मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला दिन-प्रतिदिन उलझता ही जा रहा है. 2012 में इस मामले की जांच शुरू होने के बाद से अब तक मामले से जुड़े तकरीबन 40 लोगों की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हो चुकी है. ऐसा तब हो रहा है, जब इस घोटाले से जुड़े अधिकांश लोगों की गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. इन बिखरी कड़ियों को जोड़कर मामले के असली आरोपियों तक पहुंचने का जैसे-जैसे समय आ रहा है, वैसे ही मामले से जुड़े लोगों की संदेहास्पद मौतें होती जा रही हैं. इन मौतों से एक सवाल जरूर खड़ा हो रहा है कि क्या इन हत्याओं के पीछे कोई साजिश है? मामले की जांच कर रही स्पेशल टास्क फोर्स ने अब तक हुई मौत की वजहों को जानने की कोशिश नहीं की है, जबकि मरने वालों में से अधिकांश रैकेटियर(दलाल) थे, जो जांच में मुख्य कड़ी साबित हो सकते थे, जिनकी गवाही के जरिये इस मामले के आकाओं तक पहुंचा जा सकता था. मामले में मुख्यमंत्री और राज्यपाल दोनों पर आरोप लगे हैं. ऐसे में जांच में और भी कई बड़े नामों का खुलासा हो सकता था. इसी वजह से घोटाले से जुड़े लोगों की मौतें हो रही हैं और उनकी मौत का रहस्य गहराता जा रहा है. जो आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं, वे अपने बयान में उन लोगों का नाम ले रहे हैं, जो मर चुके हैं. अमूमन ऐसा तब किया जाता है, किसी मामले को गलत दिशा देना हो, जैसा कि इस मामले में हो रहा है.
एसआईटी प्रमुख सेवानिवृत्त न्यायाधीश चंद्रेश भूषण ने स्वीकार किया है कि आरोपियों की मौत से जांच प्रभावित हो रही है, जबकि विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि व्यापमं घोटाले में संदिग्धों की मौत आशाराम बापू मामले में गवाहों की मौतों जैसी ही है. इस महाघोटाले में कई नामचीन लोगों की गिरफ्तारी होने के बाद अभी भी कई बड़े लोग गिरफ्त से बाहर हैं. लिहाजा, उन्हें बचाने के लिए साक्ष्य नष्ट किए जाने और दस्तावेजों से छेड़छाड़ किए जाने के बाद आशंका जताई जा रही है कि जेल में बंद प्रमुख आरोपियों की भी हत्या हो सकती है. एसटीएफ ने अब तक हुई मौतों की वजह जानने की कोशिश नहीं की और न ही इन मौतों के बीच किसी तरह का लिंक ढूंढने की. इसके साथ ही आरोपियों की मौत के बाद उनसे जुड़े मामले की जांच भी बंद कर दी गई. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एसआईटी इस मामले की जांच केवल लकीर की फकीर बनकर करेगी. यदि हाईकोर्ट की निगरानी में जांच होने के बावजूद जांच का दायरा सीमित रहेगा, तो मामले की निष्पक्ष जांच की अपेक्षा करना बेमानी है. विपक्षी दल लंबे समय से मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते रहे हैं, लेकिन शिवराज सिंह हाईकोर्ट की निगरानी में एसआईटी द्वारा जांच के पक्ष में बयान देते रहे हैं कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.
बात यहीं आकर नहीं थम रही है. इस मामले में व्हिसिल ब्लोअर आशीष चतुर्वेदी, प्रशांत पांडे और आनंद राय पर भी लगातार हमले हो रहे हैं. ग्वालियर के आशीष चतुर्वेदी ने बताया कि अब तक उनके ऊपर 13 बार जानलेवा हमले हो चुके हैं. उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई है, बावजूद इसके हर बार हमलावर उन तक पहुंचने में कामयाब हो जाते हैं. हाल ही में जब वे ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक से मिलकर घर वापस लौट रहे थे, उस दौरान एक मोटर साईकिल सवार ने उनकी साईकिल पर जोरदार टक्कर मारी. उनका सुरक्षा गार्ड उनके साथ था. व्यापमं घोटाले के ही एक अन्य आरोपी के संबंध में आशीष के बयान 20 मई को दर्ज होने थे. उन पर हुए तात्कालिक हमले को उस मामले से जोड़कर देखा जा रहा है. इसी तरह डिजिटल फोरेंसिक एक्सपर्ट अपने परिवार के साथ मऊ गए थे. मऊ से लौटते वक्त उनकी कार में एक अज्ञात डंफर ने टक्कर मारी. हालांकि टक्कर में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन प्रशांत को चोटें आईं. इसके बाद उन्होंने इंदौर में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई. जांच में सहयोग न करने का आरोप लगाकर डिजिटल फोरेंसिक एक्सपर्ट प्रशांत पांडेय को दी गई सुरक्षा हटा ली गई थी. उन पर आरोप लगा कि उन्होंने जो एक्सएल सीट कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को दी, जिसके आधार पर उन्होंने भोपाल में कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर घोटाले में जुड़े होने का आरोप लगाया था, वह एक्सएल सीट उन्होंने एसटीएफ को नहीं दी थी. दिल्ली में रहने वाले प्रशांत पांडेय ने मध्य प्रदेश की सत्ता में बैठे प्रभावी लोगों से अपनी जान को खतरा होने की आशंका जताई थी. इसके बाद उन्होंने दिल्ली हाइकोर्ट में अपनी सुरक्षा के संबंध में याचिका दायर की थी. 20 फरवरी, 2015 को हाइकार्ट ने उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. इसी तरह एक अन्य व्हिसिल ब्लोअर इंदौर के डॉ आनंद राय को भी लगातार धमकियां मिलती रहती हैं, उन्हें भी सुरक्षा दी गई है.
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े भर्ती घोटाले के 55 मामलों में 2500 लोग आरोपी हैं. अब तक 1980 लोगों की गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. साढ़े पांच सौ आरोपियों की गिरफ्तारी होनी अभी बाकी है. जांच जारी है. ऐसे में एक दिन यह तथ्य सामने आता है कि इस घोटाले से जुड़े चालीस लोगों की साल 2012 से 2015 के बीच संदिग्ध मौतें हो चुकी हैं. तीन साल के अंदर व्यापमं घोटाले से जुड़े चालीस लोगों की मौतें ढेरों सवाल खड़े करती है. देश के इतिहास में आज तक ऐसा किसी घोटाले में नहीं हुआ है कि मामले से जुड़े लोगों की लगातार मौतें होती रहें और प्रशासन इस पर मौन रहे. लोगों की मौत की वजह से जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है. जांच रुक सी गई है, क्योंकि पूछताछ के दौरान गिरफ्तार किए गए लोग उन लोगों का नाम ले रहे हैं, जिनकी मौत हो चुकी है. पूछताछ के दौरान कुछ लोग मर चुके अलग-अलग लोगों के नाम ले रहे हैं और कुछ मर चुके किसी एक व्यक्ति का. इस पर एसटीएफ प्रमुख चंद्रेश भूषण का कहना है कि अब ये समझ में नहीं आ रहा है कि जांच अब आगे कैसे बढ़ेगी. कोई नया सुराग नहीं मिल रहा है. लोगों की मौत होने की बात जब से सामने आई है, तब से उन लोगों के मन में भी किसी का नाम लेने से होने वाले अंजाम का डर बैठ गया है. लोग इस बात से डरे हुए हैं कि यदि वह किसी व्यक्ति का नाम लेंगे तो अगला नंबर कहीं उनका ही न हो जाए.
पिछले दिनों रीवा के फार्मासिस्ट विजय सिंह छत्तीसगढ़ के कांकेर में एक लॉज में संदिग्ध अवस्था में मृत पाए गए. प्राथमिक जांच में उनकी मौत जहर की वजह से होना पाया गया है. उसी तरह प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव के बेटे शैलेश की मौत उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुई थी. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनके शरीर में भी जहर पाया गया था. इसी तरह इंदौर की छात्रा नम्रता दामोर अचानक लापता हो गई और कुछ दिनों बाद उसका शव उज्जैन के निकट रेल की पटरियों पर मिला. उसके साथ बलात्कार की भी पुष्टि हुई. इसी तरह जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ सांकले की मौत भी पहेली बनी हुई है. उन्होंने डीन रहते जबलपुर मेडिकल कॉलेज से उन 93 लोगों को बाहर निकाला था, जिन्होंने व्यापमं घोटाले के जरिये एमबीबीएस में प्रवेश पाया था. डॉ सांकले की मौत कैरोसिन छिड़कर आग लगाने से हुई है, जबकि वो डॉक्टर थे और दर्द रहित मौत को गले लगा सकते थे. इसलिए उनकी मौत पर भी सवाल उठ रहे हैं. इसी तरह ग्वालियर में रामेंद्र सिंह भदौरिया का शव उन्हीं के घर में फंदे से लटका हुआ मिला. उनकी मौत को असफल प्रेम संबध से जोड़ दिया गया. ग्वालियर के ही ललित कुमार गोलारिया ने मुरैना के निकट सांक नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली. उनकी जेब से सुसाइड नोट बरामद हुआ, लेकिन इन सभी मामलों को समग्र और एकीकृत रूप से जोड़कर नहीं देखा गया. ऐसे में जांच प्रकिया ही सवालों के घेरे में आ जाती है. यदि इस मामले की जांच राज्य सरकार वाकई में करना चाहती है, तो उसे इसकी जांच सीबीआई को सौंपने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, लेकिन सुशासन का दावा करने वाली शिवराज सरकार सीबीआई जांच से भाग रही है.
व्यापमं घोटाले से जुड़े लोग, जो अब नहीं रहे
1. अंशुल सचान,
2. अनुज पांडेय
3. विक्रम सिंह
4. अरविंद शाक्य
5. कुलदीप मारावी
6. अनंत राम टैगोर
7. आशुतोष तिवारी
8. ज्ञान सिंह(भिंड)
9. प्रमोद शर्मा(भिंड)
10. विकास पांडेय(इलाहाबाद)
11. विकास ठाकुर(बड़वानी)
12. श्यामवीर सिंह यादव
13. आदित्य चौधरी
14. दीपक जैन(शिवपुरी)
15. ज्ञान सिंह(ग्वालियर)
16. बृजेश राजपूत(बड़वानी)
17. नरेंद्र सिंह राजपूत(झांसी)
18. आनंद सिंह यादव(फतेहपुर)
19. अनुरुद्ध उइके (मंडला)
20. ललित कुमार पशुपतिनाथ जायसवाल
21. राघवेंद्र सिंह(सिंगरौली)
22. आनंद सिंह( बड़वानी)
23. मनीष कुमार समाधिया(झांसी)
24. दिनेश जाटव
25. ज्ञान सिंह( सागर)
26. शैलेश यादव( लखनऊ) (पोस्टमॉर्टम में जहर पाया
गया), 25 मार्च 2015
27. विजय सिंह पटेल ( छत्तीसगढ़ में काकेर में एक लॉज
में मृत पाया गया) 28 अप्रैल 2015
28. नम्रता दामोर (इंदौर) (रेल की पटरियों पर मृत पाई
गई, बलात्कार की पुष्टि)
29. रामेंद्र सिंह भदौरिया का शव उन्हीं के घर में फंदे से
लटका हुआ मिला . 8 जनवरी 2015
30. बंटी सिंह सिकरवार
31. ललित कुमार गोलारिया ( मुरैना के सांक नदी में
कूदकर आत्महत्या की). जेब से सुसाइड़ नोट बरामद. 15 जनवरी 2015
32. डॉक्टर डीके सांकले (जबलपुर में मेडिकल कॉलेज के
डीन) संदिग्ध हालत में जलकर मौत.4 जुलाई 2014