शैलेन्द्र शैली
बड़े पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा थोपे गए किसी भी जन विरोधी फैसले का अंततः सारे देश पर दुष्प्रभाव पड़ता है ।किसान विरोधी कानून से सारे देश के छोटे किसानों ,ग़रीब मेहनतकश जनता का संकट बढ़ेगा। इसलिए प्रत्येक जन विरोधी फैसले का व्यापक प्रतिरोध होना चाहिए ।
यह संकट का समय सारे देश की अमन पसंद ,सामाजिक न्याय और मानव अधिकारों की पक्षधर जनता के सामने एक बड़ी चुनौती लेकर आया है ।जब सत्ता का चरित्र जन विरोधी ,प्रतिगामी ,फासीवादी हो तब इसके प्रतिरोध हेतु व्यापक एकजुटता बेहद जरूरी है ।
केन्द्र सरकार द्वारा शिक्षा ,चिकित्सा ,सार्वजनिक क्षेत्र,मेहनतकश जनता,मजदूरों, किसानों के हितों को पूंजीवादी शोषण के शिकंजे में फंसाया गया है। जनता को भ्रमित करने के लिए धर्म और नफ़रत की राजनीति जारी है ।मानवीय मूल्यों ,न्याय और भारत की एकता की रक्षा के लिए व्यापक मोर्चा बनाकर प्रतिरोध और संघर्ष हेतु एकजुट होना ही होगा ।
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