औरंगाबाद: महाराष्ट्र के जिला औरंगाबाद में भयंकर सूखे की वजह ग्रामीणों को पीने के पानी की काफी दिक्कतें हो रही है। गांव के कुएं भी सूख गए हैं ग्रामीणों को पीने का पानी नहीं है। सरकारी पानी के टैंकर भी दो-तीन दिन के बाद एक बार आते हैं। जानवरों को पीने के लिए पानी और चारा नहीं है। इसी को देखते हुए अन्नदाता शेतकरी संघटना के बैनर तले किसानों ने औरंगाबाद के क्रांति चौक से मोर्चा निकाला है।
- गोदावरी नदी में पानी नही छोड़ा तो किसान लेंगे जल समाधि
- इस साल मराठवाडा में 1972 से भी भयानक सूखा पड़ा हुआ है
- पीने के पानी की किल्लत से मर रहे हैं पशु, इंसानों का भी वही हाल
- 2 किमी दूर से मिलता है मटका भर पानी
- 3 दिन में एकबार आता है पीने के पानी का टैंकर
यह मोर्चा क्रांति चौक और पुराने औरंगाबाद से गुजरता हुआ औरंगाबाद कलेक्टर ऑफिस पहुंचा है. इस मोर्चे में महिलाओं ने पानी के बर्तन लेकर मोर्चा में शिरकत की और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। किसान नेता जया जी राव सूर्यवंशी का दावा है कि मराठवाडा में 1972 से भी भयानक सूखा पड़ा हुआ है। लेकिन सरकार ने सूखे के लिए कुछ इंतजाम नहीं किया।
भयंकर सूखे की वजह से गांव में रहने वाले किसान और मजदूरों के हाथ में काम नहीं है। किसानों ने रबी और खरीफ के लिए जो फसल लगाई थी वह भी पानी नहीं होने के कारण पूरी तरह जल गई है। किसानों और मजदूरों के घरों में अनाज नहीं है। सरकार की बेरुखी इन ग्रामीण किसानों के लिए भुखमरी का सबब बनती जा रही है।
गोदावरी नदी में पानी नही छोड़ा तो किसान लेंगे जल समाधि
किसान नेता ने कहा कि जायकवाड़ी डैम के करीब होने के बावजूद हम पीने के पानी को तरस रहे हैं। गोदावरी नदी में पानी छोड़ा जाए। राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने सूखा ग्रस्त लाखे के किसानों की मदद करे, अगर सरकार किसानों की मदद नहीं करती है आने वाली 13 तारीख को गोदावरी नदी में किसान जल समाधि देंगे।
महेश साखरे नाम के किसान ने बताया कि पिछले 3 सालों से इस गांव में सूखा पड़ा हुआ है और गांव के लोग खेती पर ही निर्भर है। लेकिन बारिश नहीं होने के कारण किसानों की फसल जल गई है जो किसानों ने फसल बीमा करवाया था उसमें भी 10% रहम किसानों के अकाउंट में आई है फिलहाल किसानों पर आत्महत्या करने की परिस्थिति आ गई है।
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