नाेटबंदी के बाद बिहार-झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थित बैंक की शाखाओं के जनधन खातों में अचानक जमा हुई करोड़ों की राशि की जांच में पुलिस महकमे और इनकम टैक्स अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं. इसका कारण है कि अधिकतर खाते प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी तथा इसके विरोधी नक्सली गूट ततीय प्रस्तुति कमेटी (टीपीसी) के हैं.
बिहार के नक्सल प्रभावित गया, औरंगाबाद, नवादा और झारखंड के रांची, चाईबासा, खूंटी, लातेहार, लोहरदागा, गुमला, पलामू आदि जिलों के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थित बैंक की शाखाओं में स्थानीय ग्रामीणों द्वारा खोले गये जनधन खातों में नोटबंदी के बाद करोड़ों की राशि जमा की गई है. इन जनधन खातों में अचानक जमा हुई करोड़ों की राशि के मामले की जांच की गई, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. इनमें से अधिकतर खाते नक्सली संगठनों के सदस्यों और नक्सली समर्थकों के बताए जाते हैं.
बिहार और झारखंड पुलिस के उच्चाधिकारियों से मिली सूचना के बाद इनकम टैक्स के अधिकारियों ने जांच शुरू की पता चला कि 100 खातों में ही करीब 15 करोड़ रुपए जमा किए गए हैं. ये सभी बैंक खाते जनधन योजना के तहत खोले गए थे. ऐसे एक-एक खाते में कम से कम 50-50 हजार रुपए जमा हैं. पुलिस और संबंधित अधिकारियों से मिली सूचना के बाद इनकम टैक्स के अधिकारियों ने ऐसे सारे खातों का पूरा ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा है.
अगर इन खातों में नोटबंदी के बाद बड़ी राशि जमा की गई है, तो इनकम टैक्स ऐसे खाताधारकों को नोटिस देगा और उचित जवाब नहीं मिलने पर बैंक में जमा राशि को जब्त करेगा. बिहार इनकम टैक्स निर्देशालय के अंतर्गत आने वाले झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की बैंक शाखाओं में जमा करोड़ों की राशि की जांच के लिए केन्द्रीय राजस्व बोर्ड ने खातेधारकों की सूची भेजी है.
जिनमें नोटबंदी के बाद करोड़ों की राशि जमा की गई है. सूची में 972 खातों की जांच का जिम्मा इनकम टैक्स के अधिकारियों को दिया गया है. जानकारी के अनुसार इनकम टैक्स ने अभी तक इनमें से करीब 100 खातों की जांच की है. जांच किए गए खातों में दो ऐसे खाते मिले, जिनमें नोटबंदी के बाद करोड़ों रुपये जमा किए गए हैं.
सूत्रों ने बताया कि नक्सलियों ने अपने समर्थकों में ऐलान कर रखा है कि आपके खाते में जमा राशि को लेकर कोई भी सरकारी पदाधिकारी किसी तरह की कार्रवाई करता है, तो उसे टारगेट में लेकर हमारी तरफ से भी कार्रवाई की जाएगी.
नक्सलियों के इस दहशत भरे ऐलान से खातों की जांच करने वाले अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है. इस मुद्दे पर नक्सलियों के सारे गुट एकमत हो गए हैं. कारण है कि बिहार-झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से लेवी के रूप में विभिन्न नक्सल संगठन नगद राशि वसूल कर जमा करते थे. इस राशि में अधिकतर 1000-500 के हुआ करते थे. नोटबंदी के बाद लेवी के रूप में वसूले गए इन पुराने जमा नोटों को लेकर नक्सली संगठनों में हड़कंप मच गया.
इन करोड़ों के 1000-500 के नोटों को खपाने के लिए नक्सलियों ने अपने आधार क्षेत्र के ग्रामीणों द्वारा खोले गए जनधन खातों का सहारा लिया. लेकिन जब जांच शुरू हुई और उन जनधन खाताधारकों से अधिकारी पुछताछ करने लगे, तब यह मामला सामने आया कि विभिन्न नक्सली संगठन लेवी के रूप में वसूले गए 1000-500 के नोटों को जनधन खातों के सहारे ठिकाने लगा रहे हैं.
लेकिन झारखंड और बिहार के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जाने से इनकम टैक्स के अधिकारियों समेत अन्य जांच एजेंसी के लोगों के पसीने छूट रहे हैं. उधर ग्रामीण खाताधारक एक तरफ नक्सलियों तो दूसरी ओर सरकारी अधिकारियों के बीच में पीसने को मजबूर हैं. नक्सलियों की यह कोशिश एक तरह से सरकार के नोटबंदी के कदम को चुनौती भी है. क्योंकि नोटबंदी फायदों में नक्सलियों को आर्थिक रूप से कमजोर किया जाना भी प्रमुख था.