पटना: कभी सूरी पार्टियोंसे उम्मीदवार मांग मांग कर चुनाव लड़वाने वाली कांग्रेस अजीब मुश्किल में फंस गई है। भूतिया कोठी की तरह कभी सुनसान रहने वाला कांग्रेस दफ्तर सदाक़त आश्रम आज भीड़ से गुलज़ार है। लेकिन वहां जैसे जैसे भीड़ बढ़ रही पार्टी नेता अपना सिर पीट रहे हैं। क्यूंकि पार्टी सीटों के फेर में फंसी है और उन्हें ये समझ नहीं आज रहा है किसे इंट्री दें किसे बैठाएं।
कई सालों से नेताओं और कार्यकर्ताओं के आभाव में मृत पड़ी कांग्रेस बिहार में इस बार कुछ हद तक प्रभावी भूमिका में है। पार्टी में पहले से इस बार हालात कई मायने में जुदा हैं। मुश्किल ये है की ये अब तक साफ़ नहीं है की महागठबंधन में उन्हें कितनी सीटें मिलेगी ? डिक्कट ये है की उन्हें पार्टी में नए लोगों को शामिल कराने में दिक्कत हो रही है। असल में जो आना चाहते हैं, उनमें कई जाने माने नाम हैं और वो टिकट की गारंटी चाहते हैं।
बिहार में महागठबंधन में सीट बंटवारे पर अभी फैसला नहीं हुआ है। कांग्रेस के हिस्से जो सीटें आने की उम्मीद है, उसके हिसाब से पार्टी के पास प्रत्याशी भी मौजूद हैं। 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में 12 सीटें आई थीं। तब पार्टी के लिए दर्जनभर मजबूत प्रत्याशी जुटा पाना भी मुश्किल हो रहा था। लेकिन इस बार पार्टी के पास करीब डेढ़ दर्जन ऐसे नाम हैं, जिन्हें चुनावी दृष्टि से दमदार कहा जा सकता है। पर दिक्कत यह है कि महागठबंधन में कांग्रेस को सीटें दस-ग्यारह से ज्यादा नहीं मिलने जा रही हैं।
अब पार्टी इन लोगों की इंट्री कराये कैसे जो जीताऊ उम्मीदवार भी है, लेकिन टिकट की गारंटी चाहते हैं। उन्होंने साफ़ कर दिया है की टिकट मिले तो ‘हाथ’ के साथ आने को तैयार हैं।
इन सब में सबसे बड़ा नाम बॉलीवुड अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा, उनके बाद भूमिहारों के बड़े नेता सांसद अरुण कुमार और मधेपुरा से सांसद पप्पू यादव एवं पूर्व सांसद पप्पू सिंह हैं। कीर्ति आजाद तो पहले ही कांग्रेसी हो चुके हैं। कटिहार से तारिक की राह तो टिकट के लिए आसान दिखती है लेकिन दरभंगा में अभी पेच फंसा है।
सांसद पप्पू यादव अपनी प-अतनी की तरह कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं लेकिन राजद उनका विरोध कर रही है। पूर्व सांसद पप्पू सिंह भाजपा को अलविदा कह चुके हैं। कांग्रेस के टिकट पर पूर्णिया सीट पर लड़ना चाहते हैं किंतु सीट किसके खाते में जाएगी, इस असमंजस के कारण अब तक कांग्रेस में शामिल नहीं हुए हैं।