राजधानी भोपाल की प्राइम लोकेशन हमीदिया रोड। यहां से वहां तक फैली आधा दर्जन एकड़ बेशकीमती जमीन। हर रोज होने वाली हजारों रुपए की वसूली। लेकिन होने वाली आमदनी पर इसके असल मालिक मप्र वक्फ बोर्ड की बजाए डंका नगर निगम का गड़ा हुआ है। हालात बरसों से जारी हैं। तमाम कानूनी मामलात सुलझने के बावजूद निगम अवैध वसूली से बाज आता नजर नहीं आ रहा है।वक्फ प्रबंधन कमेटी ने मप्र वक्फ बोर्ड को इन हालात से आगाह कर कार्यवाही करने का निवेदन किया है।
कमेटी ने लिखा है कि वक्फ कब्रिस्तान का मप्र वक्फ बोर्ड में पंजीयन है। करीब साढ़े छह एकड़ भूमि पर २३८ किरायदारों की सूची कमेटी ने बोर्ड को सौंपी है। कमेटी ने लिखा है कि नगर निगम की हठधर्मिता से इन दुकानों का किराया बोर्ड की बजाए निगम के झोन कार्यालय द्वारा वसूल किया जा रहा है। बरसों से चली आ रही इस स्थिति के चलते बोर्ड को अब तक करोड़ों रुपए का नुकसान हो चुका है।
हो सकते हैं कई काम
शहर के हॉट कामर्शियल इलाके में स्थित इस जमीन से वक्फ बोर्ड को किराए के रूप में बड़ी आमदनी हो सकती है। लेकिन सियासी और प्रशासनिक दखल के चलते बोर्ड इस आय से वंचित है। जबकि इस रकम से बड़ी संख्या में भलाई के कामों को अंजाम दिया जा सकता है।
आमदनी में पिछड़ा बोर्ड
प्रदेश भर में मप्र वक्फ बोर्ड की अरबों रुपए की जायदाद मौजूद हैं। लेकिन अवैध कब्जों की वजह से इससे होने वाली आमदनी शून्य जैसी है। भलाई के कामों की मंशा और गरीब जरूरतमंद लोगों की मदद के इरादे से किए गए दान का मकसद भी पूरा नहीं हो पा रहा है। बोर्ड में पदाधिकारियों की गैर मौजूदगी और स्थाई अफसरों की कमी की वजह से भी हालात बिगड़े हुए हैं।
खान आशु
भोपाल