बिहार की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मंजू वर्मा ने सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद उन्होंने इस्तीफा सौपा है। बताया जा रहा है कि मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा का नाम मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में आ रहा था। जिसके चलते विपक्ष के नेता कई दिनों से मंजू वर्मा से इस्तीफे की मांग कर रहे थे।
इस केस की जांच कर रही सीबीआई ने ये खुलाशा किया था कि 34 नाबालिग बच्चियों के यौन उत्पीडऩ के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के साथ मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा लगातार संपर्क में रहे हैं। जिससे बाद से विपक्ष के नेता लगाता मंजू वर्मा से इस्तीफे की मांग कर रहे थे। वहीं मंत्री मंजू वर्मा के इस्तीफे के बाद उनके घर पर सन्नाटा पसरा गया है। जदयू एमएलसी रामेश्वर महतो मंजू वर्मा के आवास पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ मंजू वर्मा को टारगेट क्यों किया जा रहा, ब्रजेश ठाकुर के फोन रिकार्ड की सीडीआर सार्वजनिक हो ताकि वह जिससे बातचीत करता हो सभी के नाम सामने आए।
तो आइए जानते हैं मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले का अब तक का पूरा घटनाक्रम
8 अगस्त 2018:
समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दिया।
जेल से कोर्ट में पेशी के दौरान मुजफ्फरपुर कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के मुंह पर कालिख पोती गई।
7 अगस्त 2018:
CBI ने सेवा संकल्प एवं विकास समिति की फाइल खंगाली और इस मामले से जुड़े 11 अभियुक्तों के मोबाइल कॉल रिकॉर्ड भी मांगे
समाज कल्याण विभाग ने पांच साल के दौरान तैनात रहे अफसरों की रिपोर्ट तलब की।
5 अगस्त 2018:
समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक समेत 13 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया।
4 अगस्त 2018:
मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड के विरोध में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इस धरना प्रदर्शन में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गंधी भी मौजूद थे।
2 अगस्त 2018:
मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले को लेकर सीबीआई की टीम अचानक समाज कल्याण विभाग के सचिवालय स्थित कार्यालय पहुंची। समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद ने सीबीआई को सभी संबंधित कागजात सौंपे।
31 जुलाई 2018:
मुजफ्फरपुर से मधुबनी व पटना शिफ्ट हुईं लड़कियों से सीबीआई ने की पूछताछ।
30 जुलाई 2018:
सीबीआई की टीम ने पुलिस से यौन उत्पीड़न के केस का चार्ज लेने के बाद सोमवार की शाम बालिका गृह परिसर की जांच की।
29 जुलाई 2018:
मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले में CBI ने आरोपी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
28 जुलाई 2018:
मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले में 42 में से 34 बच्चियों से रेप की पुष्टि हुई।
26 जुलाई 2018:
बिहार सरकार ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले में लड़कियों के यौन उत्पीड़न मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की।
25 जुलाई 2018:
तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेता मुज़फ्फ़रपुर आए और सीबीआई जांच की मांग।
24 जुलाई 2018:
लोकसभा में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर बिहार सरकार चाहे तो हम सीबीआाई जांच के लिए तैयार हैं।
23 जुलाई 2018:
मुजफ्फरपुर बालिका गृह के परिसर में ज़मीन की खुदाई हुई, मगर शव का कोई अवशेष नहीं मिला।
20 जुलाई 2018:
पॉक्सो कोर्ट ने बालिका गृह में मृत बच्ची के शव की खोज के लिए ज़मीन खोदने का आदेश दिया। इसके अलावा मेडिकल रिपोर्ट में भी बलात्कार की पुष्टि हुई।
19 जुलाई 2018:
पटना में एक बच्ची ने बयान दिया कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में एक बच्ची से बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई।
09 जुलाई 2018:
मुजफ्फरपुर बालिका गृह में बच्चियों के साथ बलात्कार मामले में पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार से जवाब मांगा था।
03 जुलाई 2018:
सीबीआई जांच के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
27 जून 2018:
पुलिस ने मुजफ्फरपुर बाल संरक्षण अधिकारी रवि रोशन को गिरफ्तार किया।
25 जून 2018:
बालिका गृह की 22 बच्चियों के बयान कोर्ट में दर्ज कराए गए। बच्चियों ने कोर्ट के समक्ष बताया कि उसे नशे की दवा खिला कर उसके साथ गलत काम किया जाता था।
15 जून 2018:
मुजफ्फऱपुर जिले में तैनात समाज कल्याण के दो अधिकारी को निलंबित किया गया।
03 जून 2018:
बालिका गृह के संरक्षक और मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत आठ लोगों को गिरफ़्तार किया गया।
02 जून 2018:
पुलिस ने मुख्य आरोपी और बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर समेत एनजीओ से जुड़े करीब 8 लोगों को थाने में बुलाकर पूछताछ शुरू की और बालिका गृह को सील किया गया।
31 मई 2018:
टिस की रिपोर्ट के मद्देनजर मुजफ्फरपुर बालिका गृह को खाली कराया गया और वहां की बच्चियों को पटना, मोकामा अन्य बालिका गृह में शिफ्ट किया गया। साथ ही पहली प्राथमिकी दर्ज की गई।
26 मई 2018:
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की रिपोर्ट समाज कल्याण विभाग के निर्देशक तक पहुंची।
फरवरी 2018:
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस यानी कि टिस टीम ने बिहार के बालिका आश्रय गृह पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट समाज कल्याण विभाग को सौंपी। इस टीम ने अनपी ऑडिट में पाया था कि बालिका गृह का रख रखाव सही नहीं है और रिपोर्ट में बच्चियों के साथ दुर्रव्यवहार की शिकायतें भी मिली थीं।