आजही के दिन पंद्रह साल पहले मालेगांव बमब्लास्ट को अंजाम दिया गया था ! जिसकी प्राथमिक जांच मैंने की थी ! और उसके बाद सबसे आखिर में मैने डंके की चोट पर, एसपी राजवर्धन को कहा था ! “कि मालेगांव ब्लास्ट के बाद आपने सभी अपराधियों में सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोगों को ही पकड़ा है ! क्या बात है ? कि सभी चालिस मारे गए लोगों में भी मुस्लिम समुदाय के लोग ! और आरोपियों में भी सभी मुस्लिम समुदाय के लोगों को गिरफ्तार करने की आपकी क्या राजनीतिक मजबुरी है ? मुझे मालूम नहीं !
लेकिन आप खुद हैदराबाद के सरदार पटेल पुलिस अकादमी के ट्रेनिंग लेकर पुलिस अफसर बने हो ! और किसी भी घटना के पिछे सबसे पहले मोटिव्ह के उपर लक्ष केंद्रित करना ही , जांच करने वाले लोगों की सब से पहली जिम्मेदारी होती है ! तो आपको थोड़ी देर के लिए भी और लोगों के बारे में संशय क्यो नही आया ? ज्यादा तर मामलों में इसी तरह की कोताही बरतने की वजह से मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया है !


इसलिए मालेगांव बमब्लास्ट करने वाले लोगों का मोटिव्ह क्या होगा ? यह प्राथमिक बात को नजरअंदाज करके सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोगों को ही आनन- फानन में गिरफ्तार कर लिया ! क्योंकि जिस जगह पर बमब्लास्ट किया गया था ! वह मुस्लिम समुदाय का कब्रिस्तान है ! और उस दिन ‘शबे बारात’ के लिए, मालेगांव के लगभग हर घर के मुस्लिम, लाखों की संख्या में अपने पुरखों के लिए प्रार्थना करने के लिए इकठ्ठा हुए थे ! तो मैंने एस पी राजवर्धन को कहा कि “आपको एक बार भी नहीं लगा कि इस घटना को अंजाम देने वाले कोई और भी हो सकते हैं ? आपने 115 लोगों को गिरफ्तार किया है ! और सभी मुस्लिम समुदाय के है !” तो राजवर्धन चुप्पी साधे बैठे थे ! और पुलिस बंदोबस्त कैसे किया था जैसे ! शेखी बधारने की बातें बता रहे थे ! और उनसे विदा होने के पहले मैंने साफ – साफ कहा कि ” मुझे आपकी मजबुरी क्या है ? मालूम नहीं लेकिन आप अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं निभा रहे हो ! “इतनी बात पक्की है !
बाद में महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे को बनाया गया ! और उन्होंने अपनी जांच में प्रज्ञा सिंह ठाकुर की मोटर साइकिल ढूंढकर निकालने के बाद ! आगे के एक – एक सुराग मिलते गए ! सबसे अहम बात, अभिनव भारत नामक संघटना जो कभी आजादी के पहले बैरिस्टर सावरकर ने स्थापित कि थी ! लेकिन अपनी मृत्यु के पहले ही ( 26 फरवरी 1966 ) उन्होंने इसे बर्खास्त कर दिया था ! लेकिन कर्नल पुरोहित ने और मेजर उपाध्याय ने मिलकर हिमानी सावरकर ( बैरिस्टर सावरकर की पतेहू ! और गोपाल गोडसे की बेटी ! ) को अध्यक्ष बनाकर इस संघठन को पुनर्जीवित किया था ! और हेमंत करकरे की जांच मे इस संघठन की बैठकों के रिपोर्ट जो मालेगांव बमब्लास्ट के केस में कोर्ट में पेश किए गए हैं ! उसमे इस संघठन की बैठकों जो कभी भोपाल और उज्जैन तथा पचमढ़ी में प्रज्ञा सिंह ठाकुर तथा कभी-कभी संघ के पदाधिकारियों में से मुस्लिम और कश्मीर इकाई के प्रमुख इंद्रेश कुमार ! और एकाध बार मोहन भागवत, शिवराज सिंह चौहान, तथा राजनाथ सिंह के भी शामिल होने के भोपाल के अखबारों में प्रथम पृष्ठों पर छपी खबरों के साथ फोटो भी है !

लेकिन अभिनव भारत का पुनर्जिवन करने का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम आतंकवाद के जवाब में हिंदू आतंकवाद से जवाब देना ! और उसके लिए इन लोगों ने नेपाल के तत्कालीन राजा देवेद्र (राजा महेंद्र और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या कर के गद्दी पर आया हुआ ! ) तथा इस्राइल की सरकारों को पत्र लिखकर, उन्हें अपने इस गतिविधि को मदद करने के लिए, और एक्साईल गवर्नर्मेंट बनाने के लिए उन देशों में जगह देने के पत्र ! कोर्ट की केस में एटीएस ने दाखिल किए हैं ! और दयानंद पांडे जो अपने आप को शंकराचार्य भी कहा करता है ! उसके तीन लॅपटॉप जो हेमंत करकरे ने जप्त कर के उनमें से अभिनव भारत की बैठकों के ऑडियो – विडियो रिपोर्टों के ट्रांसक्रिप्ट करके ! कोर्ट में जमा किए गए हैं ! और मैं भी यह सभी जानकारी उसी केस की फाइल जो मालेगाँव बमब्लास्ट के नाम से अॉन लाईन उपलब्ध है ! उसीसे लिख रहा हूँ ! कोई भी व्यक्ति उसे डाउनलोड कर सकते हैं ! और देख सकते हो ! की मालेगांव बमब्लास्ट केस क्या है ?
अभिनव भारत की बैठकों में भारतीय संविधान को नकारते हुए ! हमारे राष्ट्रध्वज तिरंगा झंडा की आलोचना करते हुए ! उसके जगह पर केसरिया झंडा होना चाहिए ! जैसी आपत्तिजनक टिप्पणीया की गई है ! और गत नौ सालों से लगातार झंडा फहराने का पाखंड क्यों करना पड रहा है ? यह समझ में आना चाहिए !


वैसे भी महात्मा गाँधी की हत्या से लेकर डॉ. नरेंद्र दाभोलकर, कॉम्रेड पानसरे, प्रोफेसर एम. एस. कलबुर्गि तथा गौरी लंकेश के हत्यारों से लेकर, नांदेड़ बमब्लास्ट 6 अप्रैल 2006, और नागपुर संघ मुख्यालय के तथाकथित फिदायीन हमला ! जो नांदेड़ से ध्यान हटाने के लिए किया गया था ! (1-6-2006) क्योंकि मैंने नांदेड़ और नागपुर की घटनाओं की भी जांच की है ! इसलिए इतने आत्मविश्वास के साथ लिख रहा हूँ ! लाख संघ के लोग बोलते हैं, कि सभी आतंकवादियों में मुस्लिम ही होते हैं ! लेकिन स्वतंत्र रूप से सभी आतंकवादी घटनाओं की जांच – पडताल करेंगे तो पता चल जाएगा कि एकाध घटना में कोई हताशा का शिकार जिसने अपनी पत्नी या बहन मां को बेईज्जत होते हुए देखा होगा या अपने परिवार के सभी सदस्यों को दंगों में मरने पर शायद बदले की भावना में एखाद कांड कर सकता होने की संभावना को नकार नहीं रहा हूँ ! लेकिन नांदेड, मालेगाव, हैदराबाद, नागपुर के संघ मुख्यालय का तथाकथित फिदायीन हमला और बटला हाऊस, आझमगढ, अजमेर शरिफ, समझौता एक्सप्रेस में किए गए बमब्लास्ट और संसद भवन तथा अहमदाबाद के अक्षरधाम के उपर किए गए सभी घटनाओं के बारे में मेरा बार – बार का आग्रह रहा है कि इन सभी घटनाओं की क्लब करते हुए स्वतंत्र रूप से जांच करने से दुध का दुध और पानी का पानी का पता चल जाएगा !
सभी मुस्लिम आतंकवाद की घटनाओं में ! यह बात नब्बे के दशक में पाकिस्तान में जनरल जिया के रहते हुए ! पाकिस्तानी मदरसों में, अमेरिका की शहपर ! दुनियाभर के लोगों को इकट्ठा करके आतंकवाद के ट्रेनिंग विभिन्न मदरसाओ में सी आई ए की मदद से, काफी पैसा लेकर, पाकिस्तान में देने का काम हुआ है ! और यह सब जनरल मुशर्रफ ने अपनी किताब में विस्तार से लिखा है ! और वह बात फैलने की वजह से !
और उसीका फायदा उठाकर अभिनव भारत के गठन का अध्ययन करने के बाद दिखाई देता है ! कि इन लोगों ने, भी अपने आप को, मुस्लिम आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए स्थापित किया था ! और मुस्लिम तालिबान का मुकाबला करने के लिए हिंदू तालिबान बनाने की कोशिश में लगे थे ! और उन्होंने नांदेड़, मालेगांव तथा समझौता एक्सप्रेस तथा हैदराबाद के लुंबिनी पार्क से लेकर मक्का मस्जिद, गोकुल चाट तथा तेनकाशी, मदुराई, बनारस तथा और भी कई जगहों पर बमब्लास्ट किए हैं ! अगर 26/11 के हमले में हेमंत करकरे नही मारे गए होते तो भारत में आतंकवाद फैलाने वाले लोगों का पूरा पर्दाफाश किया होता ! और इसिलिये उनके मृत्यु के बारे में हमारे मित्र और महाराष्ट्र पुलिस की नौकरी से खुद होकर डी. आई. जी. के पद से इस्तीफा दे दिया है ! और उनके द्वारा लिखित किताब में उन्होंने हेमंत करकरे की मृत्यु को लेकर महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं ! ( Hoo Killd करकरे ? )


जिसमें मैंने नांदेड़ बमब्लास्ट की जांच में पाया ! कि राजकोंडावार परिवार के सदस्यों में से नरेश राजकोंडावार, हिमांशु पानसे और विवेक देशपांडे नरेश और हिमांशू 6 अप्रेल के बमब्लास्ट में ‘नृसिंहनिवास’ नाम के घर जो राजकोंडावार लोगों का पाटबंधारे नगर नांदेड मे का घर मे ही, बम बनाने की फैक्ट्री चला रहे थी ! और यह बमब्लास्ट बम बनाने के समय कुछ तकनीकी गलती की वजह से हुआ ! और जगह पर ही नरेश और हिमांशु की मौत हो गई ! और उनके शरीर की स्थिति से कौन सा हिमांशु है ? और कौन नरेश ? यह कहना मुश्किल था ! क्योंकि दोनों के शरीर के चिथड़े – चिथड़े होने की वजह से पहचानना मुश्किल था ! और उनके अंतिम संस्कार के समय समस्त नांदेड़ के संघ के सदस्य और पदाधिकारियों की उपस्थिति थी ! और राजकोंडावार लोगों के घर के सामने के मैदान में राजकोंडावार परीवार रोज संघ की शाखा चलाया करते थे !
और नांदेड़ पुलिस हमें बार – बार कह रही थी ! “कि वहाँ पर कोई बमबनाने की बात नहीं है ! नरेश राजकोंडावार फटाका की दुकान चलाया करता था ! तो वह फटाको में आग लगने से यह सब कुछ हुआ है !” तो मैंने कहा “कि आप लोग नरेश राजकोंडावार फॅमिली संघ से संबंधित होने के वजह से अंडरएस्टिमेट कर रहे हो ! अगर यही ब्लास्ट किसी मुस्लिम फटाको की दुकानदार का होता ! तो आप लोगों ने एटम बमबनाने का आरोप लगाते हुए ! उसे और उसके पूरे परिवार के सदस्यों को गिरफ्तार करते हुए, देशद्रोही के आरोप में जेल में डाल दिया होता ! ब्लास्ट की तिव्रता देखकर और नरेश और हिमांशु के शरिर पहचानना मुश्किल है ! तो यह फटाको के ब्लास्ट की वजह से नहीं हुआ है ! जरुर कुछ और ही वजह है !” तो उसके बाद पुलिस ने राजकोंडावार परिवार के ‘नृसिंहनिवास’ पर छापा मारकर तफ्तीश में पाया ! कि वहाँ पर बमबनाने की फैक्ट्री थी ! और उसमें कुछ तकनीकी गड़बड़ी की वजह से बमब्लास्ट हो गया ! क्योंकि कुछ जिवित पाईपबम भी मिले ! जो ब्लास्ट से सुरक्षित जगह-जगह छुपाएं हुए थे ! और उसके साथ नकली दाढीयां ! तथा पठानी ड्रेस! ! और उर्दू अखबारों की रद्दी के ढेर ! मतलब दाढीयां लगाकर, और पठानी ड्रेस पहनकर, और उर्दू अखबारों में बमों को लपेट कर, पुलिस को लगेगा कि यह बमब्लास्ट मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ही किया है ! यह सब नांदेड़ बमब्लास्ट के 6 अप्रैल 2006 के केस में कोर्ट में दर्ज है ! और यह भी अॉन लाईन चेक करने से पता चल जाएगा ! कि नांदेड़ बमब्लास्ट की केस क्या है ?
1 जून 2006 की रात को तीन बजे के आसपास चार फिदायीन पाकिस्तानसे जम्मू के तरफ से, पटना से होते हुए एक्शन शू की खरीदारी करने के लिए पटना से होकर ! नागपुर में एक जून को रात में तीन बजे एक सफेद एंबेसडर गाडी में आकर ! साथ मे साडेतीनसौ किलोग्राम आर डी एक्स लेकर ! और एके- 45 गनो के साथ ! संघ मुख्यालय पर हमला करने के लिए आए थे ! लेकिन नागपुर पुलिस ने कुछ मिटर की दूरी पर उन्हें रोककर, मुठभेड में चारों फिदायीन को मौत के घाट उतार दिया ! ऐसा 2 जून 2006 के अखबारों में नागपुर पुलिस के कमिश्नर ने कहने की वजह से! ! अखबारों के प्रथम पृष्ठों पर फोटो ! और विस्तार से टीवी चैनल पर रिपोर्ट देखते हुए पता चला ! तो सबसे पहले मैंने उत्स्फुर्ततासे कहा कि “यह तो मुसलमानों की अपनी खुद की आत्महत्याओं की तैयारी चल रही है ! इससे तो भारत में रहने वाले हर मुस्लिम की जान खतरे में डाल रहे हैं!
लेकिन ‘लोकसत्ता’ नाम के एक्सप्रेस ग्रुप का मराठी भाषी अखबार में छोटी सी खबर में एक वाक्य था “कि संशयाचे धुके” ( मतलब संशय का कोहरा ! ) तो मैंने मुख्य संपादक जो मेरे पुराने मित्र भी है ! जो आजकल राज्यसभा के सदस्य हैं ! श्री. कुमार केतकर को फोन कर के संशय के कोहरे के बारे में पूछा ! तो उन्होनें कहा कि तुम नागपुर एडिशन के संपादक प्रविण बर्दापूरकर से बात करो ! तो मैंने उन्हें फोन कर के संशय के कोहरे के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि “मुझे सबसे पहले भाजपा नेता गोपीनाथ मुंढे ने फोन करके पुछा !” की “प्रविण यह मामला क्या है ? और मेरी नागपुर आने की जरूरत है क्या ? ” और उमा भारती ने कहा कि इतने तंग गलियों में इतनी बड़ी जंग ? और वह भी आतंकियों के पास साडेतीनसौ कीलोग्राम आर डी एक्स का जखिरा होते हुए ! वह चारों के चारों मारें जाने की बात देखने के बाद बड़ा ही आश्चर्यजनक मामला लगता है !” इन बातों को देखते हुए ‘संशय का कोहरा’ यह वाक्य मैंने खुद ही डाला है ! तो मैंने कहा कि ” अब मैं इस घटना की जांच करने के लिए एक कमेटी बनाकर जांच करने जा रहा हूँ ! तो आपके अखबार को कोट करते हुए हम जांच करने के लिए प्रेरित हूए है ! और आप अपनी बात से पिछे नही जाओगे ऐसी उम्मीद करते हैं ! तो उन्होेंने कहा कि हम अपनी बात पर डटे रहेंगे ! और आप जरूर जांच किजिए ! हालांकि मुझे कमेटी बनाने के लिए कुछ सेक्युलर और वामपंथी दलों के लोगों ने मना किया ! और कहा कि “भारत के इतने बड़े संघटना के मुख्यालय को उडाने के लिए कुछ पाकिस्तानी आतंकवादी हमला करने आए ! और तुम क्या कर रहे हो ?” तो मैंने कहा “कि इसिलिये जांच कर रहे हैं ! कि ऐसा कौन सा मुस्लिम संघठन है ? जो गोधरा कांड की इतनी बड़ी किमत मुस्लिम समुदाय चुका कर, सिर्फ चार साल हो रहे हैं ! और 1925 में स्थापित भारत के कोने कोने में फैला हुआ ! राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जो आज भारत का सबसे बड़ा संघटन है ! और उसके मुख्यालय को उडाने का षडयंत्र मेरे पल्ले नही पड रहा है !


क्योंकि सचमुच ही इस तरह की बात सच होती ! तो संघ ने इस मौके का फायदा उठाकर भारत भर मुसलमानों का कत्लेआम शुरू किया होता ! और जो लोग बटवारे के बाद बचे हैं ! उन्हें एक तो खत्म कर दिया होता या, 1946 – 47 के बटवारे के समय जैसे पाकिस्तान भारत सिमाओ पर समस्त मुस्लिम निकलने के लिए चल पडते ! उल्टा संघ ने दुसरे दिन 2 जून को अपने बैंडपथक के साथ महल इलाके से गणवेश के साथ मार्च निकाला ! और कहा कि हमारे उपर इस घटना का कोई भी असर नहीं हुआ ! और हमारे काम रोजमर्रा के चल रहे हैं ! मुझे लगा कि जो लोग मामुली सी बात पर दंगा करने के लिए उतारू हो जाते हैं ! और उनके मुख्यालय को उडाने हेतु चार पाकिस्तानी फिदायीन चलते हुए आते हैं ! और वहीं पर तथाकथित मुठभेड़ में ढेर हो जाते हैं ! और संघ अपने बैंडपथक के साथ गणवेश पहनकर मार्च निकाल कर कह रहा हैं ! और कह रहा है “कि हमारे उपर इस घटना का कोई असर नहीं हुआ !” यह तो “मैंने केला – केला नही खाया जैसी बात हो गई !” ऐसे मेरे मन में आया !
और जांच में अगर सचमुच ही निकला ! कि पाकिस्तानी फिदायीन का हमला था ! तो हम उसे और जोरों से उजागर करने की कोशिश करेंगे ! इसलिए जांच के लिए तो हम लोगों ने मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति श्री. बी. बी. कोलसेपाटील की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन करने के, और मै संयोजक बना ! सबसे पहले मुठभेड वाले जगह पर जाकर और वहां के लोगों से बातचीत की ! और उसके बाद संघ के मुख्यालय में पहुंचे थे ! और वहां जो भी पदाधिकारी मौजूद थे ! उनसे बात की, तो उन्होंने कहा कि “सुबह के चार बजे के आसपास पुलिस ने आकर कहा कि सब कुछ ठीक हैं ! कोई घबराने की बात नहीं है ! हम लोगो ने सब कुछ ठीक कर दिया है ! आप निश्चित होकर सो जाईए !”
उसके बाद उस क्षेत्र के पुलिस स्टेशन ‘सीटी कोतवाली’ में लगभग दो घंटों से अधिक समय तक रहे ! क्योंकि स्टेशन इनचार्ज कोर्ट से अभि आ रहे ! तभी आ रहे ! के चक्कर में, वहां बैठे – बैठे हम लोगों ने पुलिस की फाइल से एफआईआर तथा स्पॉट पंचनामा देखा ! और पुलिस स्टेशन में ही सामने दो गाड़ियों को ढककर रखा था ! तो पुछा की “क्या यही गाडिय़ां मुठभेड में इनवॉल्ह थी !” तो उन्होंने कहा कि “हां टाटा सुमो हमारी मतलब पुलिस की गाड़ी है ! और सफेद एंबेसडर गाड़ी आतंकवादियों की गाड़ी है !”
. तो स्टेशन इनचार्ज के इंतजार में बैठे थे ! तो हमने जाकर दोनों गाड़ियों के कवर निकाल कर, उन्हें गौर से देखने पर लगा कि, दोनों गाड़ियों के टायर सुरक्षित है ! और कांच भी सिर्फ कांच को टेककर पिस्टल से गोली चलाने से जितना छेद हो सकता है ! उतने ही छेद, अलग – अलग दिशाओ से दिखाई दिए ! टाटा सुमो के सामने के कांच से बिल्कुल ड्राइवर की सिट पर, और वह भी पेशाब की जगह पर ! पुलिस की टाटा सुमो में गोली का छेद था ! तो मैंने पुछा की सुमो में ड्राइवर के बगैर मुठभेड हुई ? और कितने पुलिसकर्मियों को चोट या मौत हो गई ! तो उन्होंने कहा कि ” एक भी पुलिस वालों को कुछ भी नहीं हुआ ! मामुली खरोंच है ! दोनों गाड़ियों का मुआयना करने के बाद तो बिल्कुल भी नहीं लगा, कि यह सचमुच ही मुठभेड के छेद है ! एकदम किसी नाटक के लिए मुठभेड का सीन स्टेज के लिए मतलब स्टेजमॅनेज शो लगा ! और एंबेसडर के रंग रूप से लगा कि यह कबाड़ी से उठाया हुआ ताजा माल है उसका रंग भी गिला दिखाई दे रहा था !
और जिस जगह पर यह मुठभेड हुई ! वहां के लोगों ने कहा था कि ! ” पुलिस बार – बार कोई भी व्यक्ति अपने घर के दरवाजे खिलाड़ियों को खोलेगा नही ऐसा धमकी भरे शब्दों में चिल्ला – चिल्ला कर बोले जा रहा था ! तो हम लोगों ने डर के मारे सारे दरवाजे खिलाड़ियों को बंद करके घरों में दुबककर बैठे हुए थे ! और कुछ समय बाद खुद पुलिस ने कहा कि अभी आप लोग खोल सकते ! तो देखा कि कुछ खुन जैसा फैला हुआ था ! और वह दोनों गाडिय़ां खडी थी ! जो बाद में टो करके ले गए ! लेकिन हमें कुछ भी दिखाई नहीं दिया था ! ” लेकिन एक पंद्रह – सोलह साल का लड़का तैश में आकर बोला कि “सब कुछ नाटक था ! पहले से ही कुछ मारे हुए चार लोगों की लाशों को देखा है ! और खून की बोतलों से खून चारों तरफ फेंक रहे थे ! और पुलिस खुद ही इधर- उधर गोलियां चला कर कुछ ही समय में निकल गए !” तो उसके पैरंट्स ने उसे डांट-फटकार लगाते हुए घर के अंदर जाने के लिए कहने के बाद वह घर के बाहर दोबारा निकला नही ! संघ के पुराने भिडभरे नागपुर के बनारस की जैसी छोटी- छोटी गलियों में घटित हुई मुठभेड़ का यह सब नाटक है ! 1925 में स्थापित जगह पर पुराने संघ के कार्यालय के हमले की योजना ! बनाने वाले फिदायीन लोगों ने इस जगह को क्यों चुना होगा ? क्योंकि संघ का नया मुख्यालय रेशम बाग में है ! जहां उन्ही दिनों में संघ का आखिल भारतीय प्रशिक्षण शिबीर जिसे संघ ओटीसी कैंप बोलता है ! जिसमें हजार से अधिक संख्या में संघ के संपूर्ण देश के विभिन्न पदाधिकारी शामिल होते हैं ! और वहीं पर संघ के ज्यादा से ज्यादा लोग रहते हैं ! यह पुराना मुख्यालय जो नागपुर के महाल नामके इलाके में सिर्फ मेमोरियल के जैसे रखा गया है ! और गत कुछ समय से नागपुर के बाहरी इलाके में जिसे रेशम बाग बोलते हैं ! और संघ ने वहां पर हजारों की संख्या में लोग ठहर सकेंगे इस तरह की व्यवस्था बनाई हैं ! और मैदान में संघ के प्रशिक्षण शिविर, जिसमें परेड तथा विभिन्न मैदानी कार्यक्रम होते हैं ! और मई के अंतिम सप्ताह से जून के प्रथम सप्ताह तक मतलब तथाकथित फिदायीन हमला करने की तारीख के समय ही ! रेशम बाग के मुख्यालय पर आयोजित ओटीसी कैम्प को छोडकर ! महल के मुख्यालय पर रेकी करने वाले ! फिदायीन लोगों के आतंकवाद में एक्सपर्ट होने को लेकर ! भी मेरे मन में शंका पैदा होने की वजह से भी ! मैंने संघ के तथाकथित फिदायीन हमले की जांच करने का मन बनाया था ! और सबसे महत्वपूर्ण बात हम लोग नागपुर मेडिकल कॉलेज में, पुलिस मुठभेड़ में मारे गए चारों फिदायीन के पोस्टमार्टम रिपोर्ट को मांगने के लिए भी गए थे ! तो देखा कि कोई महिला डिन थी ! उन्हें मिलने पर उन्होंने कहा कि “मुझे नागपुर पुलिस ने कहा है ! कि यह क्लासिफाइड डाक्यूमेंट है ! इसलिए इसे किसी को भी नहीं देना ! इसलिए आपको नही दे सकती !” क्लासिफाइड डाक्यूमेंट यह वाक्य मुझे बार बार सता रहा है ! मेरे अपने शहर में कोई आतंकवाद के लिए आये ! और उसे अगर पुलिस ने मुठभेड़ में मार डाला ! तो यह कहा का क्लासिफाइड मामला हो गया ? यह बात आज भी मुझे बेचैन करती है ! और उपरसे नागपुर पुलिस कमिश्नर ने हमारे जांच टीम के बारे में सवाल उठाए ! की हमारी योग्यताओं से लेकर पैसे कहा से आये ? तो यही सब बताने के लिए कमिश्नर के ऑफिस गए ! तो उनके सहयोगियों ने कहा कि “साहब घर पर है !” तो घर ऑफिस के बगल में स्थित होने की वजह से हम लोग घर पर चलते हुए गए ! तो गेटपर के गार्ड ने कहा कि “साहब ने आप लोगों को आने की मनाही की है !” फिर हमने उनके आरोपो का लिखित रूप से उनके ऑफिस में जाकर जवाब दे दिया ! लेकिन मिडिया ने हमारे जवाब की जगह कमिश्नर के आरोप ही प्रमुखता से प्रकाशित किए ! मिडिया के चरित्र को हमने पंद्रह साल पहले ही देखा कि यह हिंदू – मुस्लिम मसले पर कितने बायस है !
और हमारे इस जांच को लेकर संघ के मराठी भाषी अखबार तरूण भारत में हमारे खिलाफ तीन संपादकीय लेख लिखे गए हैं ! एक का शीर्षक है ‘असत्यांचे सत्यशोधन’ ( झुठो का सत्यशोधन ! ) दुसरे का है तुकाराम महाराज के अभंग की पंक्ती ‘नाठाळाचे माथी देऊ काठी’ ( बिगडे हुए के माथे पर लाठी का प्रहार!) और तिसरे का है, महाराष्ट्र राज्य के गृहमंत्री श्री. आर. आर. पाटील ने तक सज्ञान लिया ! और दुसरे तरफ से पाठकों के पत्रों के नाम पर ! जानबूझकर बहुजन दलित सरनेम से, हमारे खिलाफ अनर्गल भाषा में पत्रों की झड़ी लगा दी थी ! जो कि उस नाम का कोई भी पत्रलेखक दुनिया में मौजूद नहीं था ! सभी पत्र तरुण भारत और अंग्रेजी के हितवाद (वर्तमान पंजाब के राज्यपाल श्री. बनवारीलाल पुरोहित का अखबार ! ) मैं तो बनवारीलाल पुरोहित को जाकर हितवाद के दफ्तर में दो घंटों से भी अधिक समय उनके साथ माथापच्ची करते हुए मिला भी ! और उन्हें पत्र लेखक के नाम से, आपके अखबार में खत लिखने वाले आपके अपने ही संघी पत्रकारों के होने का आरोप किया ! और प्रेस कौन्सिल अॉफ इंडिया के पास तक्रार करने का कहने के बाद कही उन्होंने कहा कि “अभी हम यह सब बंद कर रहे हैं ! और आप भी हमारे खिलाफ कोई तकरार मत किजिए !” और खुद ही काफी वादविवाद के बाद कबुल कर बैठे कि ” हां यह सब कुछ स्टेज मॅनेज किया गया था ! और चारों बॉडिया पहले से ही मरी हुई लाकर ! यह फिदायीन हमला बताया गया है !” लेकिन लगे हाथ बोल गए कि ” आप इसे लिखोगे या बोलोगे तो ! मैं आपको दुनिया का एक नंबर का झुठा आदमी कहुंगा !” वह यह भुल गए कि साथमे दो और साथी है ! और वह यह सब वार्तालाप के साक्षी हैं !
इसी मुद्दे पर मोमिनपूरा के एक कार्यक्रम में ! मेरी उन चारों फिदायीन के शवों को दफनाने वाले मौलाना साहब के साथ मुलाकात हुई ! और उन्होेंने कहा कि” रात के दो बजे सिविल ड्रेस में ! और सिविल टाटा सुमो बैठकर, पुलिस हमारे घर पर आकर हमें निंद से उठाकर ले गए ! और चार अलग- अलग अलग दुकानदारों को दुकानों को खोलने लगाया ! और चार कफन और अतिंम विधि के सामान को लेकर, मुझे उन शवों को नहलाने और अन्य विधि करने के लिए कहा ! तो मैंने जैसे ही बॉडी को हाथ लगाया ! तो मेरा हाथ मृतक के शरीर में धस गया ! तो मै समझ गया कि यह काफी पुराना शव है ! और अन्य तीन भी वैसा ही सडे – गले थे !
वैसे ही तथाकथित एंबेसडर को पेंटिंग करने वाले पेंटर से भी मुलाकात हुई ! और उसने कहा कि “यह गाड़ी जम्मू से नहीं नागपुर के ही किसी पुलिस स्टेशन में पडी हुई को उठाकर लाए थे ! और उन्होंने इसे मुझे पेंटिंग – डेटिंग करने के लिए कह दिया था ! और हमने भी कोतवाली थाने में उसे देखते हुए लगा कि यह तो दस बीस किलोमीटर की दूरी बडी मुश्किल से चल सकती ! और पेंट का ताजापन स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था !
और सबसे हैरत की बात नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नागपुर पुलिस को इस फिदायीन हमले में की गई बहादुरी के लिए दस पुलिसकर्मियों को दस – दस लाख ! हरेक पुलिस को देने की घोषणा की थी ! जिसका वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने हैदराबाद के डेक्कन हेराल्ड में लेख लिखकर नरेंद्र मोदी की इस कृति को दुसरे राज्य के कामकाज में हस्तक्षेप के लिए आडे हाथ लिया है ! वह लेख उन्होंने मुझे खुद स्पिड पोस्ट से भेजा है और उसे मैंने अपने पास सम्हाल कर रखा है !
नागपुर की घटना के पहले अहमदाबाद में भी इशरत जहाँ एंकाऊंटर हूबहू नागपुर के जैसे ही रात के तीन बजे ! और उसे भी देखने वाले कोई नहीं था ! क्योंकि वह एंकाऊंटर अहमदाबाद के बाहरी रिंग रोड (! मुंबई से दिल्ली ) पर रात को तीन बजे किया गया था ! जिसे कोर्ट ने कहा कि यह फर्जी एंकाऊंटर है ! और वह करने वाले पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने का फैसला दिया है !
हमारे हिसाब से नागपुर संघ मुख्यालय के तथाकथित फिदायीन हमला हूबहू अहमदाबाद के इशरत जहाँ एंकाऊंटर की कार्बन कॉपी है ! गुजरात के दंगों के बाद, संघ ने एक योजना के तहत तथाकथित आतंकवाद का हौव्वा बनाने की कोशिश शुरू की है ! जिसमें सुरत, अहमदाबाद, वडोदरा में पेड़ों से लेकर होर्डिंग्स के उपर पर बम लटका दिए गए ! और अक्षरधाम तथा संसद के हमले करने वाले मे कोई भी व्यक्ति को जिवित नही रखा ! सभी के सभी मार डालने की वजह क्या है ? तफ्तीश के लिए किसी एखाध को तो जिंदा पकड़ा होता !


मुंबई के 26 /11 के घटना पर मेरे मित्र श्री. एस. एम. मुश्रीफ ने ‘हूँ किल्ड करकरे’ शिर्षक से अंग्रेजी में किताब लिखी है ! जिसका विमोचन करने वाले लोगों में एक मै भी किताब पर बोलने के लिए ! वक्ताओं दिल्ली के कांस्टिट्युशन कल्ब के हॉल में मौजूद था ! और मैने कहा कि ” इस लेखक ने, इस किताब में, हमारे देश की सबसे महत्वपूर्ण जांच एजेंसियों के उपर इसमें मुंबई के 26 /11 के हमले को लेकर बहुत ही संगीन आरोप किए हैं ! इसलिए मैं मांग कर रहा हूँ ! कि” इनके उपर कारवाई की जाने की आवश्यकता है ! अन्यथा हमारे देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी आई बी, सीबीआई की विस्वसनियता पर लोगों में गलतफहमी फैल सकती है !” और यह बात आजसे बारह वर्ष पहले की है ! और मुश्रीफ साहब को अभितक कोई नोटिस या मामुली पत्र तक नहीं मिला है ! हालांकि उनकी किताब के अनुवाद भारत की सभी भाषाओं में हो चुके है ! और धड़ल्ले से बिक्री हो रही है !
मैंने 26 /11 के एक वर्ष के उपलक्ष्य में ! मुंबई मराठी पत्रकार संघके आझाद मैदान के हॉल में ! इसी किताब के मराठी अनुवाद के विमोचन समारोह में भी ! मेरी बात को दोहराया कि “अभी तक इस लेखक के उपर कोई कार्रवाई नहीं हुई ! इसका मतलब यह सब कुछ सही है !” उसी दिन हेमंत करकरे की शहादत वाली जगह पर दुसरे शहिद पुलिस अफसर अशोक कामटे की पत्नी विनिता कामटे की किताब ‘लास्ट बुलेट’ का भी विमोचन गुजरात तथा पंजाब के पूर्व डीजीपी और विदेशों में एंबेसडर रहे हुए जे. एफ. रिबेरो के हाथों किया गया है ! और विनिता कामटे ने उस किताब में बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल, तत्कालीन मुंबई पुलिस के क्राइम ब्रांच के मुखिया राकेश मारिया के उपर उठाये हैं ! जिसका जवाब अभितक किसी ने भी नहीं दिया है ! विनिता कामटे ने सूचना के अधिकार का प्रयोग कर के 26 /11 के रात के ग्यारह बजे से हेमंत करकरे और अशोक कामटे तथा साळसकर और एक पुलिसकर्मी की मौत तक के 100 नंबर पर आए और गए पुलिस को फोन के रेकॉर्ड लेकर बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल उठाए ! जिसका जवाब तत्कालीन मुंबई क्राइम ब्रांच के प्रमुख राकेश मारिया को पुछे है ! राकेश मारिया बादमें मुंबई के पुलिस कमिश्नर के पद पर पदोन्नति और महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख पदों पर रहे हैं !


वैसे ही संसद के हमले के एक आरोपी अफजल गुरू की वकील नंदिता हक्सर ने भी अपने कीताब (The Many Faces of Kashmiri Nationalism) मे काफी महत्वपूर्ण सवाल अफजल गुरु के संसद हमले के शामिल होने के बारे में उठायें है ! लेकिन अफजल गुरु को आनन-फानन मे फांसी देने की वजह से कई रहस्य उसीके साथ दफनाए गए हैं !


वैसेही मेरे मित्र सुभाष गाताडे ने लिखि हुई ‘गोडसेज चिल्ड्रेन’ किताब के भी विमोचन के लिए मुझे दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान के सभागार में आयोजित विमोचन कार्यक्रम में ! मैं भी एक वक्ताओं में से एक था ! और सुभाष गाताडे के किताब के लिए मैंने ही कीए हुए सभी जांच रिपोर्ट ! जिसमें मालेगांव के दोनों बमब्लास्ट, नांदेड़ के बमब्लास्ट तथा नागपुर संघ के मुख्यालय पर आयोजित फिदायीन हमला करने वाले ! जांच के सभी दस्तावेजों को सुभाष गाताडे को किताब छपने के पहले दे दिए थे ! और उन्होंने, अपनी किताब में वह सभी दस्तावेजों को कोट भी किया है ! और ‘गोडसेज चिल्ड्रेन’ के विमोचन के समय भी मैंने भारत में गत कुछ दिनों से चल रहे तथाकथित आतंकवादी गतिविधियों की जांच हमारे देश के एकसे बढकर एक रिटायर्ड पुलिस अफसर तथा न्यायमूर्ति जिन्होंने अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए अपने जीवन को दाव पर लगा दिया है ! और आज तक किसी भी तरह का समझौता नहीं किया ! और अपने देश के प्रति अपनी वफादारी का पालन कर रहे हैं ! ऐसे लोगों के द्वारा सभी आतंकवाद की घटनाओं को क्लब करके, उनकी जांच करने से पता चल जाएगा कि, उन आतंकी हमलों के पिछे कौन लोग हैं ?
जैसे आजकल पुलवामा हमले को लेकर सतपाल मलिक तथा मेरे अजिज मित्र फिरोज मिठिबोरवाला ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने की शुरुआत की है ! और मेरा भी मानना है कि, भारत के ज्यादातर आतंकवाद की घटनाओं को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के लिए अंजाम दिया गया है ! जिसकी स्वतंत्र रूप से जांच होनी चाहिए ! और यह मांग मै मेरे हर जांच रिपोर्ट के अंत में एक पैराग्राफ़ लिखकर हर बार की है !


हालांकि मुझे तिस्ता सेटलवाड ने बार – बार आग्रह किया था ! कि उस लड़के को मै मुंबई लेकर आऊ ! लेकिन मुझे इतने छोटे लडके की जिंदगी को दाव पर लगाना ठीक नहीं लगा ! और बड़ोदरा की बेस्ट बेकरी कांड की एकमात्र बची हुई लड़की जिसने बाद में भाजपा के लोगों के दबाव में कैसे पल्टि मारी यह मामला भी मालूम था ! लेकिन मुझे सबसे ज्यादा इतने छोटे बच्चे की जिंदगी दाव पर लगाना उचित नहीं लगा ! इसलिए तिस्ता नाराज भी हुई थी ! लेकिन मेरे काम करने के तरीकों में ! मै सभी बातों का ध्यान रखना, मेरी प्राथमिकता रहती है ! मुझे भागलपुर दंगों के गुनाहगारों के साथ भी, बातचीत करने का अवसर मिला है ! लेकिन मैंने कभी भी उसका दुरूपयोग नहीं किया ! क्योंकि लोगों को ऐसा करने के पिछले कारणों की अनदेखी करते हुए ! सिर्फ उन लोगों को जिन्होंने एक हवा में बहते हुए हिस्सा लिया था ! और अब वह पछता रहे हैं ! तो उनकी जिंदगी दाव पर लगाना कहाँ तक उचित है ? इसलिए मैं जिंदगी में एक भी गुनाहगारों को शिक्षा दिलाने के लिए कभी भी कुछ नहीं किया हूँ ! इसपर कोई मुझे भला-बुरा कह सकते ! लेकिन मुझे उसकी परवाह नहीं है ! क्योंकि मेरा मुख्य मकसद ‘एनॉटॉमि अॉफ ह्यूमन डिस्ट्रक्टिव्हनेस’ की खोज करना है ! व्यक्तिगत तौर पर किसी को सजा दिलाने से मुल समस्या का समाधान नहीं हो सकता है ! कारणों की जांच कर के उस परिस्थिति को समझकर दोबारा नहीं हो ! उसके लिए कोशिश करना मेरे काम के तरीके में आता है ! और सबसे महत्वपूर्ण बात मै एनिमि कॉन्सेप्ट को ही नहीं मानता हूँ ! इसलिए व्यक्तिगत रूप से बदला लेने जैसे फिल्मि तरीके मुझे बेहद नापसंद है !
आतंकवाद विश्व की सबसे बड़ी समस्या है ! और सभी आतंकवादी मुसलमान ही क्यों होते हैं ? यह भ्रांति संघ लगातार फैला रहा है ! विधूड़ी का भरी संसद में यह बोलना उसका ताजा उदाहरण है !
आज 29 सितंबर 2008 के दिन हुए, मालेगांव बमब्लास्ट को 15 साल हो रहे हैं ! लेकिन उन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई होने की जगह ! उनमें से एक को, हमारे देश सबसे बडे सभागृह की सदस्या बनाकर, भाजपा और उसके मातृ संघठन संघने देश और दुनिया को दिखा दिया कि, वह आतंकवाद के बारे में कितने इमानदार है ! नथूराम गोडसे को प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने, सब से बड़ा देशभक्त बोलते हुए ! भोपाल के चुनाव प्रचार में अपनी भूमिका स्पष्ट कर दी थी ! और हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीजीने “उसे मै कभी भी माफ नहीं करुंगा”! जैसा बयान देने के बावजूद संघ के कैडर ने भोपाल के घर – घर जाकर उसे जिताने के लिए ऐडीचोटी एक कर दी थी ! और भारत के कानून – व्यवस्था की जिम्मेदारी सम्हालने वाले गृहमंत्री अमित शाह ने भोपाल में जबरदस्त रोड शो करते हुए ! इस महिला को 3 लाख से अधिक वोट से भोपाल जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र से चुनाव जिताकर संसद में पहुंचाना ! और उसके बाद उसे रक्षा मंत्रालय जैसे संवेदनशील विभाग की संसदीय समिति में शामिल करने का मतलब क्या है ? क्या हमारे देश के प्रधानमंत्री सचमुच हमारे देश की सुरक्षा के बारे में गंभीर है ?


प्रज्ञा सिंह ठाकुर को सांसद बनाकर हमारे देश के कानून बनाने का अधिकार दे दिया है ! और वह मोहतरमा उसी संसद भवन में बैठी हुई ! और उसी संसद भवन में विधूड़ी ने बीएसपी के सांसद दानिश अलि को संबोधित करते हुए , उन्हें बार- बार आतंकी बोल रहे थे ! क्योंकि संसद की छत के नीचे सभी सदस्यों को विशेषाधिकार होने की वजह से ! विधूड़ी के उपर कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती ! और इसी विशेषाधिकार का फायदा उठाकर विधूड़ी गैरजिम्मेदाराना बयान दिए जा रहे थे ! मतलब मुस्लिम नाम होने से ही वह भाजपा की नजर में आतंकी है ! और हिंदू महात्‍मा गांधी की हत्या करने से लेकर मालेगांव ब्लास्ट,नांदेड बमब्लास्ट , हैदराबाद की मक्का मस्जिद से लेकर अजमेर शरिफ, समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट करने के बाद, सिर्फ सव्वासौ लोग ही मरने पर ! नाराजगी जताने वाली प्रज्ञा सिंह ठाकुर ! भारत के सबसे उच्च सदन की सदस्या है ! और उस कारण आज कुछ संवेदनशील संसदीय समितियों की सदस्या हैं ! और दानीशअलि का नाम मुस्लिम है ! इतनी सी बात पर विधूड़ी भरी संसद में दानिश अलि को , आतंकवादी बोलने वाले विधूड़ी के उपर कारवाई करना तो दूर की बात है !
उसे राजस्थान के टोंक नामके जिले का प्रभारी बनाया गया है ! टोंक में हिंदू – मुस्लीम भाईचारा काबिलेतारीफ है ! और यही भाजपा की आंखों की किरकिरी बना है ! तो विधूड़ी जैसे घोर सांप्रदायिक सांसद को सजा देने की जगह, उसे पुरस्कृत किया गया है ! और यही भाजपा की राष्ट्रीयता की व्याख्या है ?
दक्षिण बंगलुरु से लोकसभा सदस्य तेजस्वी सूर्या, उमा भारती, विनय कटियार, प्रमोद मुतालिक, संभाजी भिडे, मिलिंद एकबोटे और कुछ गेरुए कपड़े और दाढी बढाएं हुए तथाकथित साधू और कुछ साध्विया जिसमें प्रज्ञा सिंह ठाकुर तथा रुतांबरा किस तरह की सांप्रदायिकता फैलानी वाली बातें करते हैं ? लेकिन इनके उपर कोई कार्रवाई होने की जगह इन्हें राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण संविधानिक पदों पर बैठाया जा रहा है !


और शायद यही देखकर और भी लोगों को लगता है ! कि घोर सांप्रदायिक आचरण या व्यवहार करने से, अपना राजनीतिक करियर बनाया जाता है ! तो विधूड़ी जैसे लोग अपनी जबान पर जहर का फाया लगाकर बोल रहे है ! और पार्टी उसे रोकने की जगह उसे और प्रमोट कर रही है ! और भाजपा आतंकवाद विरोधी होने का दावा भी किया करते हैं ! यह बहुत बडा पाखंड है ! और यही आलम जारी रहा तो भारत की एकता और अखंडता को जबरदस्त खतरा पैदा करने की गलती भाजपा और संघ परिवार टुच्ची सत्ता के लिए देशद्रोही कृति किए जा रहे हैं ! और इसे हरहालत में रोकना हमारे देश के हर नागरिक का सब से बड़ा कर्तव्य है ! जिसे मै पिछले पचास वर्षों से अधिक समय से निभाने की कोशिश कर रहा हूँ ! ‘जयभारत’ ‘भारत माता की जय ‘

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