jharझारखण्ड में भाजपा के विरुद्ध बन विपक्षी दलों के महागठबंधन के शुरुआत चरण में ही सीटों के बंटवारे को लेकर आपसी खींचातानी शुरू हो गई है. फिलहाल हर घटक दल चाहता है कि उसे अधिक से अधिक सीटें कैसे मिल जाएं. लेकिन सभी दलों को यह अहसास भी है कि अलग अलग चुनाव लड़ने पर उसका सीधा फायदा भाजपा को होगा.

दरअसल राज्य की सियासत में सक्रिय कांग्रेस जहां दिल्ली में सत्ता हासिल करने का ख्वाब देख रही है, तो वहीं झामुमो को भी यह आहट मिल रही है कि इस बार झारखंड की गद्दी पर बैठने का सबसे उपयुक्त समय है. झामुमो को पता है कि रघुवर दास के बड़बोलोपन और उनकी कार्यप्रणाली ने भाजपा के अधिकांश कार्यकर्ता नाराज को तो नाराज़ किया ही चल रहे हैं, राज्य की जनता भी विकास के खोखले दावे और सरकार द्वारा किए गए झूठे वादों से नाराज है और इसका सीधा फायदा झामुमो को मिलेगा.

झामुमो नेता हेमंत सोरेन इस बार ताज पहनने को बेताब भी दिख रहे हैं और महागठबंधन में अगर सब ठीक-ठाक रहा तो जाहिर है कि वोटों का बंटवारा रुकेगा और महागठबंधन एक नयी ताकत के रूप में उभरेगी. लेकिन झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने यह कहकर विपक्षी दलों को मुश्किल में डाल दिया कि इनकी पार्टी अकेले अपने दम पर ही चुनाव लड़ेगी.

इसके बाद सभी दल सकते में आ गए हैं. वैसे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने कहा है कि महागठबंधन में न कोई मतभेद है और न कोई रार, झामुमो नेता हेमंत सोरेन की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से बात हो चुकी है और नवंबर में महागठबंधन का खाका बनकर तैयार हो जाएगा. विपक्ष के महागठबंधन को लेकर दिल्ली में बात तो बढ़ी है, पर यह कितनी बार टूटेगी और कितनी बनेगी यह तो वक्त ही बताएगा.

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