3नीतीश कुमार की काल्पनिक चिट्ठी
मित्रों,
मैंने 17 मई को अपना इस्तीफा महामहिम राज्यपाल को दिया. यह फैसला मैने काफी सोच समझ और जिम्मेदारी के साथ ली. मैंने इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि बिहार में जनता दल युनाइटेड के चुनाव दल का नेतृत्व मैं कर रहा था और जो चुनाव नतीजे आए हैं उसकी जिम्मेदावारी मैंने ली हूं और मुझे लेना भी चाहिए था.
इस चुनाव के दौरान मैंने अपनी सरकार के कामों पर बिहार की जनता का समर्थन मांगा था. राजनीति मेरे लिए कोई सत्ता या कुर्सी की चीज नहीं है. मेरे लिए राजनीति मुल्यों पर आधारित समाजिक परिवर्तन का जरिया है. मुल्यों पर समझौता नहीं किया जाता. विचारधारा और अपने मुल्यों के लिए मैं हमेशा बलिदान देने के लिए तैयार हूं. जब मैं मुख्यमंत्री बना था तब बिहार की हालत क्या थी वो किसी से छुपी नहीं है. बिहार में सड़क नहीं थे और जहां थे वहां गड़्ढा था. मैंने प्रयास किया तो सुधार हुई. बेहतर सड़क बनाए गए. मेरी सरकार के पहले सरकार नाम की चीज नहीं थी. कानून व्यवस्था की स्थिति शर्मनाक थी. दिन दहाड़े लूट और अपहरण की घटनाएं होती थी. अपराधी खुले आम घूमते थे. हमने इसे भी बदलने की कोशिश की, हमें काफी सफलता मिली. भय और खौफ का महौल बदला. बिहार में शांति लौटी. कानून व व्यवस्था का राज लौटा. बिहार के अस्पताल बंद पड़े थे. डाक्टर नहीं थे. दवाइयां नहीं थी. सुविधाएं नहीं थी. मैने इस बदलने की कोशिश की और माहौल बदल गया. मैं ये नहीं कहता कि मैंने कोई चमत्कार किया, लेकिन मैंने इतना तो जरूर किया कि लोगों से अपने काम पर समर्थन मांग सकूं. मैंने बिहार के विकास के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. मुझे इस बात का गर्व है कि मेरी सरकार ने विकास के मापदंडों पर बिहार को पहली पंक्ति का राज्य बना दिया.
मैंने अपने शासनकाल में सांप्रदायिकता को फैलने नहीं दिया. भागलपुर के दंगों के दोषियों को हमने सजा दिलवाने का काम कराया. दंगा पीड़ितों को मुआवजा से लेकर सभी तरह की सुविधाएं मुहैय्या कराई. समाज में सदभाव और सहयोग का महौल बनाने की कोशिश की. यह मैंने वोट के लिए नहीं किया और न ही मेरे लिए यह कोई राजनीतिक काम है. ये मेरे मुल्य हैं. मैं जहां रहूं जैसा रहूं इन मूल्यों को छोड़ नहीं सकता. जब मुझे आभास हुआ कि नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार होगें और इस फैसले को टाला नहीं जा सकता तो मैंने भारतीय जनता पार्टी से 17 साल पुराने रिश्ते तोड़े. चुनाव के दौरान सांप्रदायिक ध्रुवीकरण न हो इस वजह से मैने कभी नरेंद्र मोदी को बिहार में प्रचार करने की अनुमति नहीं दी. यह राजनीतिक फैसला नहीं था. यह मुल्यों की राजनीति थी. हमें पता था कि हम बिना गठबंधन के कमजोर हो जाएंगे. यह तो साफ था कि मेरी सरकार अल्पमत में आ जाएगी. फिर भी मैंने ये फैसला लिया. क्योंकि मुझे भरोसा था अपने कामों पर और अपने मुल्यों पर. हमें खुशी है कि हमारा फैसला सही था. जिन वजहों से मैंने भारतीय जनता पार्टी से रिश्ता तोड़े वो सारी बातें सही साबित हुई. जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल हो रहा है और जो राजनीतिक संस्कृति का निर्माण हो रहा है वह अटल बिहारी वाजपेयी के जमाने से बिल्कुल विपरीत है.
चुनाव के दौरान हमने सारी मर्यादा को रखी. मैं नीतियों पर बात करता रहा. हमारी सरकार ने जो किया उसी के बदौलत मैं वोट मांग रहा था बाकि सारे लोग आरोप प्रत्यारोप लगा रहे थे. मेरे उपर व्यक्तिगत टिप्पणियां हुई. इसके बावजूद मैंने मार्यदा को नहीं भूला. मैने चुनाव अभियान मुद्दों पर रखा. हमने जो काम किए उसी पर वोट मांगे. लेकिन चुनाव में जिस तरह से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हुआ वह देश के लिए ठीक नहीं है. मैं धर्म के नाम पर राजनीति नहीं कर सकता. मैं तो सिर्फ समाजिक समरसता की राजनीति जानता हूं. इसके लिए ही मैंने अपनी पार्टी और सरकार को दांव पर लगा दिया. मैं राजनीति में सत्ता के लिए नहीं आया. न ही मैं किसी पद या कुर्सी के लिए राजनीति में आया. अगर मूल्यों की राजनीति नहीं करनी होती तो मैं भारतीय जनता पार्टी से कभी अलग नहीं होता.
हमने मर्यादित तरीके से कैंपेन किया. हमने जो काम किया उसी पर वोट मांगे. हमें उम्मीद थी कि बिहार की जनता पिछले साढ़े सात सालों के कामों को याद रखेगी. बच्चियों और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए जो कुछ मैंने किया उसको सराहा जाएगा. भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए मेरी सरकार ने जो कदम उठाए और देश में सबसे पहले सिटीजन चार्टर कानून बनाया उसे लोग याद रखेंगे. मैंने ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं की न ही कर सकता हूं. गांवों को ज्यादा पावर मिले, गांवों को केंद्र में रखकर योजनाएं बनाई जाए इस बात पर वोट मांग रहा था. वो सारी बातें जिसके लिए अन्ना हजारे ने देश में आंदोलन किया मैं वही करना चाहता था. जो काम मैं नहीं तकर पाया और जिन्हें मैं करना चाहता हूं उसमें गांव को केंद्र मान कर स्थानीय उपज के आधार पर छोटे छोटे उद्यागों का जाल बिछाना चाहता हूं. हर गांव में दो मेगावाट के विद्युत केंद्र स्थापित करना चाहता हूं ताकि अगले 25 सालों तक बिजली की कमी न रहे. मैं ये भी चाहता था कि हाइ स्कूल और कॉलेज को उद्योग से जोड़ें ताकि युवाओं को नौकरी के लिए इधर उधर भटकना न पड़े और वो अपना व्यवसाय स्वयं शुरु कर सके. मुझे यकीन था कि लोग मेरे वादों पर भरोसा करेंगे. इस यकीन के पीछे मेरा साढ़े सात साल का काम था. मुझे यह पूरा भरोसा था कि जिन मूल्यों की वजह से मैंने बीजेपी से रिश्ता तोड़ा उसका समर्थन करेंगे. समाज के हर वर्ग के लोग जो धार्मिक और समाजिक समरसता को महत्व देते वो हमारे साथ खड़े होंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
हमें अपेक्षित समर्थन नहीं मिला इसलिए उसकी जिम्मेदारी लेते हुए मैने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया. हमने विधानसभा को डिसोल्व करने की मांग नहीं की. जनादेश का सम्मान होना चाहिए इसिलए जनादेश का सम्मान भी किया है और जो जनादेश है वो भारतीय जनता पार्टी के लिए है. अब उन्हें सरकार चलाना है. युवा पीढ़ी को जो सपने दिखाए गए हैं. रोजगार और जो दूसरे वादे किए गए हैं वो पूरे किए जाएं और हम भी यही उम्मीद करेंगे कि अच्छे दिन आ गए हैं और अच्छे दिन का अनुभव सबलोग करेंगे. हमारी पूरी शुभकामना है.

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here