श्याम सुन्दर सिंह धीरज जीतन राम मांझी
महागठबंधन में सीट बंटवारे की पेंच हर बीतते दिन के साथ सुलझती कम फंसती ज्यादा चली जा रही है. लालू प्रसाद से उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश सहनी क्या मिले, कांग्रेस और जीतन राम मांझी को मिर्ची लग गयी. अब इन दलों के नेता सीधे सीटों पर तो कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन इन मुद्दों को उठाकर दबाब की राजनीति ज़रूर कर रहे हैं.
पहला हमला कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष श्याम सुन्दर सिंह धीरज ने बोला. उन्होंने साफ कहा कि पूरे देश समेत बिहार में भी कांग्रेस बड़े भाई की भूमिका में रहेगी. धीरज का मानना है कि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है और इस लिहाज से बड़े भाई की भूमिका तो कांग्रेस की ही बनती है. उनका कहना है कि जहां तक सीटों की संख्या का सवाल है, तो इसका फैसला तो आलाकमान को ही लेना है.
इसके तुरंत बाद जीतन राम मांझी ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि अगर 70 से 75 दलित या दलित समर्थक सोच वाले विधायक जीतकर आते हैं तो इस बिरादरी से सीएम हो सकता है.
जानकार कहते हैं कि सीट बंटवारे में दबाब बनाने के लिए कांग्रेस और मांझी इस तरह की भाषा बोल रहे हैं. राजद सांसद जयप्रकाश यादव ने मांझी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें इस तरह के बयानों से बचना चाहिए और सारा ध्यान नरेन्द्र मोदी को देश की सत्ता से बाहर करने में लगाना चाहिए.