magadhमगध को भारत के गौरवशाली इतिहास का प्रमुख हिस्सा माना जाता है और इसी मगध की अपनी भाषा है मगही. मगही बिहार के करीब दर्जन भर जिलों जैसे गया, पटना, नांलदा, औरंगाबाद, जहानाबाद, नवादा, अरवल, शेखपुरा, लखीसराय आदि की मातृभाषा मगही है. झारखंड के भी कई जिलों जैसे पलामू, हजारीबाग, चतरा, कोडरमा, गिरीडीह आदि जिलों में मगही बोली जाती है. वहीं पश्चिम बंगाल के मालदा में भी मगही भाषी लोगों की बड़ी तदाद है. आज की तारीख में मगही बोलने वाले की संख्या करीब डेढ़ करोड़ है.

प्रसिद्ध अंग्रेज प्रशासक और पुरातत्वविद जार्ज ग्रिर्यसन ने 19वीं सदी के प्रारंभ में अपने सर्वेक्षण में मगही बोलने वालों की संख्या 65,04,817 बताई थी. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि मगध क्षेत्र में ही मगही भाषा की उपेक्षा हो रही है. मगही बोलने वाले या लोकसभा-विधानसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधि ही मगही भाषा के विकास के लिए आवाज नहीं उठा रहे हैं. यही कारण है कि मगध विश्वविद्यालय में भी मगही भाषा की पढ़ाई के लिए कोई पहल नहीं हो रही है. जबकि मिथिला क्षेत्र में स्थित विश्वविद्यालय में मैथिली और भोजपुरी क्षेत्र में स्थित विश्वविद्यालय में भोजपुरी की पढ़ाई बहुत पहले से होती आ रही है.

मगध विश्वविद्यालय में पीजी में मगही की पढ़ाई कराने को लेकर राजभवन से करीब एक दशक बाद मंजूरी मिल पाई. इसके लिए मगध विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर मगही विभाग के प्रभारी डॉ. भरत सिंह के एकल प्रयास को ही महत्पवूर्ण माना जा सकता है. राजभवन की तत्परता के बाद वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2017-19 से दाखिले की अनुमति प्रदान की गई. इस संबंध में विभागाध्यक्ष डॉ. भरत सिंह ने बताया कि उपेक्षा के कारण शैक्षणिक सत्र 2016-18 में छात्रों का दाखिला नहीं हो सका है. स्व-वित्त पोषित विभाग के रूप में 10 सिंतबर 2010 को इस विभाग का उद्घाटन हुआ था. अनुमति की प्रत्याशा में अबतक छात्रों का दाखिला हो रहा था, लेकिन संशय की स्थिती के कारण 2016-18 सत्र में दाखिला नही हो सका. वर्तमान में 30 सीटों के विरूद्ध मात्र 15 छात्र सत्र 2015-17 के हैं. प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ भरत सिंह के अलावा संविदा पर तीन शिक्षक कार्यरत हैं. गया मगही की भूमी है.

यहां से इसके कई मुर्धन्य विद्वान हुए हैं, जिन्होंने इसके साहित्य को समृद्ध किया है. मगध विवि के 36 कॉलेजों में इसके शिक्षण की व्यवस्था है. बीडी कॉलेज पटना, एसपीएन कॉलेज दरहेटा लारी, डीएन कॉलेज मसौढ़ी, संजय गांधी महिला कॉलेज गया, महाबोधि कॉलेज बेलागंज, महिला कॉलेज टिकारी, केपीएस कॉलेज नदवां, विजय शंकर राय महिला कॉलेज शेरघाटी, महिला कॉलेज वारिसलीगंज, वर्द्धमान कॉलेज पावापुरी, नांलदा शोध संस्थान बिहारशरीफ सहित अन्य कॉलेजों में स्नातक स्तर तक मगही की पढ़ाई की व्यवस्था है. मगध विवि के स्नातकोत्तर मगही विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ भरत सिंह ने बताया कि राजभवन के प्रयास से विभाग को सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत अनुमति मिली.

इसके ऑर्डिनेंस व रेगुलेशन को राजभवन ने स्वीकृत किया. अब दाखिले की प्रकिया चल रही है. डॉ सिंह ने बताया कि स्नातकोत्तर स्तर पर मगही विभाग शुरू करने की पहल 2007 में हुई थी. एकेडमिक काउंसिल, सिंडिकेट व सीनेट ने भी इसे पारित किया. तत्कालीन कुलपति प्रो बीएन पांडेय ने प्रस्ताव राजभवन व सरकार को भी भेजा. 2012 में सरकार के पास आठ पदों के सृजन का भी प्रस्ताव भेजा गया था. इससे पहले 1986 में एकेडमिक काउंसिल व सिंडिकेट और सीनेट की पहल पर मगही में प्रतिष्ठा व सामान्य पाठ्‌यक्रम शुरू किया गया था. लेकिन इस सब के बावजूद मगध में ही मगही उपेक्षित है.

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