डेनिस के तेवरों से जीम यह बात अच्छी तरह समझ चुके थे कि जिम्मेदारियों को निभाने में डेनिस का कोई सानी नहीं होगा. डेनिस को लियोन में जासूसी एजेंट बनने की ट्रेनिंग दी गई. उन्होंने जर्मनी के विरोध के लिए बनाई गई फ्रेंच रेजिस्टेंस आर्मी के लिए काम करना शुरू किया. और वे के लिए तब तक काम करती रहीं, जब तक कि उन्हें जर्मन सैनिकों द्वारा गिरफ्तार नहीं कर लिया गया.
डेनिस मैडेलिन ब्लोच एक फ्रांसीसी खुफिया एजेंट थीं जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश स्पेशल ऑपरेशन एक्जीक्यूटिव के साथ काम करती थीं. उनका जन्म 1916 में एक यहूदी परिवार में हुआ था. ब्लोच के तीन भाई थे. द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत से पहले उन्होंने पेरिस में ही कुछ दूसरी जगहों पर नौकरी की. इस तरह की एक कंपनी सीट्रोइन, जिसमें वह लेफ्टिनेंट जीन मैक्सिम एरोन की सेक्रेटरी थीं.
जीन मैक्सिम एरोन की सेक्रटरी बनने की कहानी भी दिलचस्प है. डेनिस पेरिस में ही एक प्राइवेट कंपनी रिसेप्शनिस्ट काम किया करती थीं. वहां जीन मैक्सिम किसी काम से आए थे. उन्होंने रिसेप्शनिस्ट डेनिस से बातचीत कर कंपनी के एक अधिकारी से मिलवाने के लिए कहा. डेनिस ने उस अधिकारी की अप्वाइंटमेंट लिस्ट देखी, जिसमें जीन मैक्सिम का नाम नहीं था. डेनिस ने जीन मैक्सिम से कहा कि आपका तो आज का अप्वाइंटमेंट ही नहीं है, मैं कैसे आपको उस अधिकारी से मिलवा सकती हूं. जीन को अपने वीआईपी होने का एहसास था. उन्होंने डेनिस पर इस बात का दबाव डाला कि उन्हें अधिकारी से मिलने दें लेकिन डेनिस लगातार इस बात डटी रहीं कि जब तक अप्वाइंटमेंट न हो, वह उन्हें उस अधिकारी से मिलने नहीं दे सकतीं. जीम वहां से वापस लौट गए, लेकिन उन्हें डेनिस के व्यवहार ने काफी प्रभावित किया था. उन्होंने डेनिस से एक बार फिर मुलाकात की और कहा कि मैं तुम्हे देश सेवा का मौका देना चाहता हूं. ऐसा कहा जाता है कि डेनिस को मौका दिए जाने के पीछे एक और भी कारण मौजूद था. वह कारण था डेनिस का यहूदी होना. दरअसल, जीन भी एक यहूदी ही थे और उस समय हिटलर की सेनाएं यहूदियों का नरसंहार चरम पर जाकर कर रही थीं. जर्मनी और आसपास के इलाकों में यहूदियों की निर्मम हत्याएं की जा रही थीं. पूरी दुनिया में इसकी निंदा हो रही थी. शायद यह भी एक वजह थी कि जीम चाहते थे कि डेनिस उनके साथ काम करें और यहूदियों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध एक आवाज बन सकें.
डेनिस के तेवरों से जीम यह बात अच्छी तरह समझ चुके थे कि जिम्मेदारियों को निभाने में डेनिस का कोई सानी नहीं होगा. डेनिस को लियोन में जासूसी एजेंट बनने की ट्रेनिंग दी गई. उन्होंने जर्मनी के विरोध के लिए बनाई गई फ्रेंच रेजिस्टेंस आर्मी के लिए काम करना शुरू किया. और वे फे्रंच रेजिस्टेंस के लिए तब तक काम करती रहीं, जब तक कि उन्हें जर्मन सैनिकों द्वारा गिरफ्तार नहीं कर लिया गया.
गिरफ्तार किए जाने के बाद वे दो ब्रिटिश अधिकारियों से संपर्क में रहती थीं. उन्होंने दक्षिण फ्रांस जासूसी के ब्रिटिश नेटवर्क को संचालित करना शुरू कर दिया. उन्हें भले ही जर्मन सैनिकों ने नजरबंद कर रखा था, लेकिन वो इस दौरान भी सभी ब्रिटिश एजेंटों के साथ कॉर्डिनेशन का काम करती थीं. नजरबंद रहने के दौरान ही एक दिन नाजी सैनिकों की सुरक्षा में चूक का फायदा उठाते हुए डेनिस भागने में कामयाब हो गईं. कई स्रोतों से यह जानकारी मिलती है कि डेनिस ने करीब 400 किलोमीटर तक की यात्रा पैदल ही की थी. इस यात्रा के बाद वह दक्षिणी फ्रांस पहुंचीं, जहां फ्रेंच रेजिस्टेंस आर्मी के सैनिकों ने उनके ब्रिटेन जाने का प्रबंध किया. अपनी सेना का बेस मिलते ही डेनिस ने कुछ महत्वपूर्ण गुप्त सुचनाएं सेना को दीं और अधिकारियों को यह बताया कि कई जगहों पर जर्मन सैनिक हमला करने वाले हैं, इसलिए ब्रिटिश सेनाओं को सतर्क हो जाने की जरूरत है. डेनिस की इस जानकारी की वजह न सिर्फ कई ब्रिटिश सैनिकों की जान बचाने में कामयाबी मिली थी, बल्कि फ्रांस में काम कर रहे एसओई के कई जासूसों को बचाया जा सका था. इसके तुरंत बाद डेनिस को लंदन वापस भेज दिया गया, जहां पर स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के अधिकारियों द्वारा उन्हें रेडियो ऑपरेटर की ट्रेनिंग दी जाने लगी. जब वे रेडियो ऑपरेटर के काम में पूरी तरह निपुण हो गईं और ब्रिटिश अधिकारियों को इस बात का पूरा विश्वास हो गया कि डेनिस अब आसानी से फ्रांस में एक रेडियो ऑपरेटर के तौर पर काम कर सकती हैं तो उन्हें एक बार फिर जर्मनी अधिकृत फ्रांस भेज दिया गया.
डेनिस ने एक बार फिर नये तरीके से काम करना शुरू किया. पेरिस के कई इलाकों में जर्मन अधिकारियों के साथ घुल मिल कर डेनिस ने जानकारियां निकालनी शुरू कर दीं. इन जानकारियों के जरिये ब्रिटिश अधिकारी जर्मन सैनिकों को काफी परेशान किया करते थे. रेडियो ऑपरेटर के तौर पर काम करते हुए डेनिस से एक चूक हो गई. वे एक जानकारी ब्रिटिश अधिकारियों को दे रही थीं, जिसकी भनक जर्मन सैनिकों को लग गई. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. जर्मनी के प्रताड़ना गृह ले जाकर उन्हेंे तरह-तरह से प्रताड़ना दी गई. जर्मन अधिकारियों ने उन्हें गोली मार दी. इस तरह मानवता के लिए काम करने वाली एक महिला की बेरहम मौत हो गई. डेनिस की भले ही मौत हो गई हो, लेकिन वे दुनियाभर में अपने साहसिक कार्यों के लिए याद की जाएंगी.