जल्द ही देश में ‘मेड इन इंडिया’ डॉर्नियर यात्री सेवाओं के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. जी हां, डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के विमान Dornier-228 को यात्री सेवाओं के लिए इस्तेमाल किए जाने की इजाज़त दे दी है. बता दें कि हाल में कानपुर हवाई अड्डे पर Dornier-228 का सफल परीक्षण किया गया है.
जानकारी के लिए बता दे कि कानपुर स्थित एचएएल का 1960 से ही ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट डिवीजन है. एचएएल ने इस विमान का निर्माण किया है. डॉर्नियर को अभी तक भारतीय सेनाएं इस्तेमाल कर रहीं थीं और इसे दुनिया भर की कई सेनाएं इस्तेमाल करती हैं. यह पहला अवसर है जब किसी घरेलू कंपनी द्वारा निर्मित विमान को डीजीसीए ने कमर्शियल उड़ान की मंजूरी मिली है.
डॉर्नियर 19 सीटों वाला विमान है जो बेहद उन्नत इंजन से लैस है. ये विमान 448 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ सकता है और एक टैंक फुल होने पर 700 किमी की दूरी तय कर सकता है. बता दें कि डॉर्नियर- 228 विषम मौसम और रात में उड़ने में भी सक्षम है. डॉर्नियर-228 का एयर टैक्सी और टोही विमान के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. तटरक्षक बल भी इस 19 सीटों वाले विमान का प्रयोग कर सकते हैं.
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डीजीसीए की अनुमति मिलने के बाद एचएएल अब भारत में एयरलाइंस कंपनियों को भी विमान बेच सकेगी. ऐसे में घरेलू उद्देश्यों के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. अधिकारियों ने बताया, डॉर्नियर-228 का इस्तेमाल करने वाली एयरलाइंस को कुछ छूट भी दी जा सकती है ताकि स्वदेश निर्मित विमान का उपयोग बढ़े.