लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि, केंद्र की मौजूदा सरकार को अपने चुनावी घोषणा पत्र में अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों को बरकरार रखने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, ताकि किसी को राष्ट्रवाद साबित करने की जरूरत ना पड़े।
कैथोलिक चर्च से जुड़े फैसले लेने वाली CBCI ने अपने पत्र में ये भी कहा है कि, राष्ट्रवाद हर भारतीय के खून में है। फिर चाहे वो भारतीय बहुसंख्यक समाज से संबंध रखता हो या फिर अल्पसंख्यक समाज से। किसी को भी इस तरह की बात पर या किसी पर संदेह नहीं करना चाहिए। किसी को राष्ट्रवाद साबित करने की जरूरत नहीं है। और इसके लिए खुद प्रधामनट्री को कोई बड़ा कदम जुटाने कि ज़रुरत है।
CBCI ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भेजे संकल्प पत्र में यह बात ही है। देश की स्वतंत्रता, विकास, प्रगति और कल्याण की दिशा में हम सभी ने योगदान दिया है। धार्मिक व्यवहार में अंतर के नाम पर मीडिया की लापरवाही, भोजन की आदत और सांस्कृतिक भिन्नता ने सरकार की विश्वसनीयता को काफी प्रभावित किया है और अल्पसंख्यकों को असुरक्षित महसूस कराया है।
पत्र में आगे लिखा गया कि अल्पसंख्यक समुदाय को देश में सुरक्षित महसूस करना चाहिए। अल्पसंख्यक अधिकार भारतीय संविधान के लिए बुनियादी हैं और उन्हें संरक्षित और बढ़ावा देना होगा।
Biggest democracy in the world. But Dalits in Minority communities ( Christian and Muslim Dalits) are treated unequal . Today 12th March 2019 there is a demonstration at Jantar Mantar Nee Delhi to demand Scheduled Caste right to Dalit Christians and Dalit Muslims.
— Dalit Christians (@DalitChristian3) March 12, 2019
पत्र में आगे लिखा गया कि सरकार को सभी धर्मों के पवित्र दिनों और समारोहों का सम्मान करना चाहिए, इस तरह के आयोजनों में भाग लेना और बढ़ावा देना चाहिए। विभिन्न धर्म देश की संपत्ति हैं और देश में ये आध्यात्मिक और नैतिकता को बनाए रखते हैं।
जानना चाहिए कि CBCI ने यह भी कहा कि यूजीसी, सीबीएसई, एनसीईआरटी, आईआईटी, आईआईएम, सीबीआई, ईडी और न्यायपालिका जैसे राष्ट्रीय संस्थानों और स्वायत्त निकायों को अवरोध के बिना कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए और उन्हें दबाया या प्रतिस्थापित नहीं किया जाना चाहिए।