जनता की जरूरतें जब प्रशासन पूरी नहीं करता और जब जनप्रतिनिधि भी जनता की जरूरतों के प्रति उपेक्षा बरतने लगता है, तो इन्हीं परिस्थितियों में समाज में दंडनायक उभर कर सामने आता है. त्राहिमाम कर रही रायबरेली की जनता को भी एक दंडनायक का सहारा मिल गया है. रायबरेली के मशहूर होम्योपैथिक चिकित्सक और भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. राजीव सिंह जितने अपने मरीजों के प्रति संजीदा रहते हैं, उतनी ही सहृदयता आम लोगों के प्रति भी रहती है. आम गरीब लोगों की समस्याओं को सुलझाने, उत्पीड़न करने वाले या भ्रष्टाचारियों को दंड दिलवाने में डॉ. राजीव सक्रिय भूमिका अदा कर रहे हैं. दर्जनों ऐसे सरकारी अधिकारी या कर्मचारी हैं, जिन्हें अपनी गैरजिम्मेदारी का दंडभोगना पड़ा है.
डॉ. राजीव सिंह से जब उनके पेशे और उनकी सामाजिक प्रतिबद्धता के संतुलन पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा किचिकित्सा के लिए मैं पूरा समय देता हूं. शेष समय मेरा व्यक्तिगत है. उसमें मैं सोने के बजाय समाज सेवा करना अधिक सार्थक समझता हूं. ग्राम पंचायत कम्युनिकेशन प्लान के तहत लोगों की समस्याओं के बारे में व्यक्तिगत रूप से, इंटरनेट के जरिए, फोन या अखबार के माध्यम से जानकारी मिलती है. फिर उस पर कार्रवाई के लिए प्रशासन के संबंधित जिम्मेदार अधिकारी को अवगत कराकर लोगों की समस्याओं को दूर कराने का प्रयास करता हूं. इसके साथ-साथ लोगों को भी जागरूक करके समस्याओं से लड़ने के लिए प्रेरित करता हूं. आम लोगों को उनके अधिकार के बारे में जानकारी देता हूं. इसके लिए मैंने रायबरेली में अपने खर्च पर एक प्रॉब्लम कलेक्टर रखा है, जो गांव-गांव जाकर लोगों की समस्याएं इकट्ठा करके मुझे उसकी जानकारी देता है. तत्पश्चात कार्रवाई आगे बढ़ती है.
ग्राम पंचायत कम्युनिकेशन प्लान के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि सभी वर्तमान व पूर्व प्रधानों की लिस्ट निकलवाकर उनसे टेलीफोन पर या उनसे व्यक्तिगत मुलाकात करके वहां की समस्याओं को लिस्टिंग करना ही ग्राम पंचायत कम्युनिकेशन प्लान है. डॉ. सिंह कहते हैं कि आम लोगों से जुड़ी मूलभूत समस्याओं पर उनका अधिक जोर रहता है. मसलन, सड़क, पीएमजीएसवाई, सिंचाई, पुलिस से जुड़े मामले, आवास, पेंशन वगैरह. आम लोगों की समस्याओं के निपटारे के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी देते हुए डॉ सिंह कहते हैं कि विभिन्न विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों की उपस्थिति में जन-सुनवाई सबसे कारगर जरिया है. इसके अलावा शासन के अधिकारियों से व्यक्तिगत संवाद, ई-मेल, आरटीआई भी बेहतर माध्यम है. डॉ. राजीव कहते हैं कि जूझने से काम होता है. आमतौर पर लोग लड़ने से पहले ही थक जाते हैं. यदि कुछ लोग लड़ते भी हैं, तो जल्द ही निराश हो जाते हैं. आम आदमी को जन प्रतिनिधियों का साथ नहीं मिल पाता, इसलिए भी जनता की लड़ाई कमजोर पड़ जाती है. जनप्रतिनिधि ईमानदारी से अपना काम करे, तो निश्चित ही जनता की समस्याओं को आसानी से दूर किया जा सकता है.