अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजर झारखंड पर है, आदिवासी चेहरा बाबूलाल मरांडी को आगे कर नीतीश ने यहां पैर जमाना शुरू कर दिया है. वैसे शराबबंदी के बहाने जनता दल युनाइटेड सुप्रीमो ने झारखंड की ओर रुख किया है पर इनकी नजर अगले विधानसभा चुनाव पर है. नीतीश ने अपना अभियान झारखंड के धनबाद से शुरू किया और अपनी पहली ही सभा में लोगों की भीड़ देख गदगद हो गए. झारखंड में अगंद की तरह पांव जमाने के लिए झारखंड की क्षेत्रीय पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का दामन थामा है और झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी भी लक्ष्मण की भूमिका निभा रहे हैं.
बाबूलाल भी मजबूत जमीन की तलाश में हैं और नीतीश का समर्थन पाकर उत्साहित हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाबूलाल को झारखंड का अगला सीएम भी घोषित कर दिया है. बाबूलाल की पहचान झारखंड में एक ईमानदार और कर्मठ नेता के रूप में है. भाजपा से अलग होने के बाद इन्होंने एक नई पार्टी का गठन किया और विधानसभा चुनाव में आठ सीटों पर कब्जा भी किया पर भाजपा नेताओं ने इनकी पार्टी में सेंधमारी कर इनके छह विधायकों को अपने पक्ष में कर लिया.
अगर बाबूलाल और जदयू एक हुए तो अगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने होंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बाबूलाल के साथ अभी लगातार मंच साझा कर रहे हैं. झारखंड विकास मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की हुई बैठक में भी नीतीश मुख्य अतिथि के हैसियत से आए हुए थे और इस बैठक में ही बाबूलाल को मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया गया.
नीतीश ने यह भविष्यवाणी की कि झारखंड के लोग बाबूलाल के तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे हैं और पार्टी को जो समर्थन मिल रहा है उससे यह लग रहा है कि अगला चुनाव में जनता भाजपा को सबक सिखाने वाली है और यहां बाबूलाल एवं गठबंधन दलों की ही सरकार बनेगी. नीतीश कुमार की इस घोषणा के बाद बाबूलाल कहां पीछे रहने वाले थे. उन्होंने भी नीतीश को देश के अगले प्रधानमंत्री के रूप में पेश करते हुए कहा कि साम्प्रादायिक ताकतों को जनता उखाड़ फेंकेगी और नीतीश के हाथों में ही भारत का नेतृत्व होगा.
झारखंड में जदयू के बढ़ते जनाधार का देख भाजपा खेमे में हडकंप है. भाजपा को यह अहसास है कि नीतीश अगर बाबूलाल का आदिवासी चेहरा आगे कर गठबंधन बनाने में सफल रहे तो भाजपा को लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है. इस गठबंधन में कांग्रेस एवं राष्ट्रीय जनता दल का भी आना तय है. राजद की जहां झारखंड के सीमावर्ती विधानसभा क्षेत्रों पर अच्छी पकड़ है, वहीं कांग्रेस के भी इस गठबंधन में आ जाने से अल्पसंख्यक मतदाताओं का रुझान इस ओर बढ़ेगा और अगर एकमुश्त वोट इस गठबंधन को मिल गया तो अगले चुनाव में इस गठबंधन को बहुमत मिलने से कोई नहीं रोक सकता.
भाजपा चुनाव में अलग-थलग पड़ जाएगी, क्योंकि संथाल परगना सहित अन्य क्षेत्रों में झारखंड मुक्ति मोर्चा भी भाजपा के सामने एक मजबूत खंभे के रूप में सामने खड़ी है. झामुमो की संथाल परगना सहित कोल्हान प्रमंडल में अपने वोटरों पर अच्छी पकड़ है. झारखंड विकास मोर्चा भी पिछले विधानसभा चुनाव में आधे से ज्यादा सीटों पर दूसरे स्थान पर रहा था और इसबार गठबंधन के साथ आने पर उसे पूरा लाभ मिल सकेगा.
इसी से बौखला कर भाजपा ने नीतीश पर ताबड़तोड़ प्रहार शुरू कर दिया है. भाजपा नीतीश को सबसे कमजोर मुख्यमंत्री साबित करने में लगी हुई है. राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार में नीतीश ने पहले शराब की नदियां बहाकर लोगों को नशेड़ी बना दिया और अब शराबबंदी लागू कर वाहवाही लूटने में लगे हैं. बिना तैयारी के बिहार में शराबबंदी किए जाने का दुष्परिणाम सामने दिख रहा है. शराब की तस्करी बढ़ी है और लोग अवैध शराब के सेवन से मर रहे हैं.
अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन नीतीश कुमार इस बात को हवा देने में लगे हुए हैं कि बिहार में शराबबंदी के कारण अपराध में कमी आई है. जबकि रोज हत्याएं, अपहरण, बलात्कार की घटनाएं घटित हो रही हैं पर इसकी चिंता नीतीश को नहीं है और वे शराबबंदी को लेकर दूसरे राज्यों में राजनीति करने में व्यस्त हैं. नीतीश सत्ता के नशे में चूर हैं और प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं. रघुवर दास ने कहा कि नीतीश का यह सपना कभी पूरा नहीं होगा, वे सपना देखना छोड़ कर बिहार को संवारें अन्यथा जनता अगले चुनाव में मजा चखा देगी.
दरअसल, नीतीश चाणक्य की तरह झारखंड की सीमाओं पर अपना जनाधार मजबूत कर झारखंड की राजनीति पर कब्जा की कोशिश में लगे हैं. उन्हें यह पता है कि झारखंड में भाजपा अन्तरकलह से गुजर रही है. गैरआदिवासी मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से भाजपा के आदिवासी विधायकों ने अपना अलग खेमा बना लिया है. इस खेमे का नेतृत्व पर्दे के पीछे से पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ही कर रहे हैं, जिनका शुरू से ही रघुवर दास के साथ छत्तीस का रिश्ता रहा है.
मुंडा के साथ 28 आदिवासी विधायकों का कुनबा है और रघुवर को भी इस बात का अच्छी तरह से अहसास है कि मुंडा कभी भी उनकी सरकार गिरा सकते हैं. रघुवर को अपनी ही पार्टी के विधायकों पर विश्वास नहीं है और यही कारण है कि भाजपा को विधानसभा में बहुमत मिलने के बाद भी आलाकमान सहित खुद रघुवर आश्वस्त नहीं थे. भाजपा ने झारखंड विकास मोर्चा के विधायकों को तोड़ अपनी पार्टी में शामिल करा लिया. झाविमो के आठ में से छह विधायकों को भाजपा ने अपने पक्ष में कर लिया. इसके बाद भी भाजपाइयों की नजर कांग्रेस के विधायकों पर थी, पर कांग्रेस को तोड़ने में भाजपा असफल रही.
कांग्रेस को नहीं तोड़ पाने के बाद भविष्य में अगर सरकार पर कोई संकट नजर आए तो सरकार कैसे बचे, इस रणनीति के तहत मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन का आशीर्वाद लेना ठीक समझा. हर किसी विशेष मौके पर वे शिबू सोरेन से आशीर्वाद लेना नहीं भूलते. रघुवर को गुरु जी पर पूरा भरोसा है कि अगर अर्जुन मुंडा ने कभी सरकार गिराने का प्रयास किया तो ऐसी स्थिति में झामुमो का समर्थन लेकर सरकार बचाई जा सकती है. दरअसल, मुख्यमंत्री भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तर्ज पर ही काम कर रहे हैं और किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ उनकी दूरियां बढ़ती ही जा रही हैं.
हाल ही में राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सरयू राय के साथ हुए टकराव की कहानी समाचारपत्रों में सुर्खियां बटोर चुकी हैं. राय झारखंड राजनीति के चाणक्य माने जाते हैं और बाबूलाल की सरकार गिराने में राय ने अर्जुन मुंडा के साथ अहम भूमिका निभाई थी. ऐसी चर्चा है कि जल्दी ही फिर सरकार गिरेगी और मुंडा की ताजपोशी होगी. यही स्थिति झारखंड में बनती दिख रही है और रघुवर सरकार पर संकट के बादल गहराने लगे हैं. नीतीश कुमार भाजपा के इसी अन्तरकलह का फायदा उठाने में लगे हुए हैं. अब देखना है कि वे इस रणनीति में कितना सफल रहते हैं.
झारखंड में सोच-समझकर निर्णय लिया जाएगाः सिंह
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की झारखंड में पैर जमाने की कोशिश से प्रदेश भाजपा के नेताओं में बेचैनी है. बौखलाए भाजपा नेता नीतीश पर जमकर निशाना साध रहे हैं. राज्य के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि नीतीश ने दस साल तक बिहार में शराब की नदियां बहाकर बिहारियों को शराबी बनाया और अब शराबबंदी की राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शराबंबदी के बहाने नीतीश झारखंड में राजनीति कर रहे हैं. नगर विकास मंत्री कहते हैं कि झारखंड में अवैध शराब के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है. वे कहते हैं कि बिहार में अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं लेकिन नीतीश को इसकी कोई चिंता नहीं है, उन्हें राजनीति की पड़ी है. मंत्री ने स्पष्ट कहा कि झारखंड में शराबबंदी के मसले पर हड़बड़ी में कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा. इस संबंध में लोगों को पहले जागरूक किया जाएगा, साथ ही पड़ोसी राज्यों से यहां शराब आने पर कैसे रोक लगे, यह सब सोचकर और उसका उपाय करने के बाद ही इस बारे में सरकार कुछ निर्णय लेगी. सिंह तल्खी से कहते हैं कि नीतीश की नजर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर है, पर उनका मंसूबा कभी पूरा नहीं होने वाला.
कई सवालों पर बेबाकी से बोले बिहार के मुख्यमंत्री – हर हाल में जाएगी भाजपा सरकारः नीतीश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी को लेकर पूरे देश में अभियान चलाने की बात कहते हैं. उन्होंने कहा कि शराब ने न जाने कितने परिवारों को बर्बाद किया है. बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान जब ग्रामीण महिलाओं की स्थिति देखी और जब उन्होंने इस संबंध में जानकारी ली तो यह जानकर हम हतप्रभ हो गए कि परिवार की बर्बादी का मुख्य कारण शराब है. मैंने उसी दिन प्रण किया था कि अगर मैं सत्ता में दुबारा आया तो पूर्ण शराबबंदी लागू करूंगा और जनता से जो मैंने वादा किया था उसे पूरा किया. झारखंड में आपकी सरकार नहीं है, फिर यहां आप शराबबंदी कैसे लागू कराएंगे? इस सवाल पर नीतीश ने कहा कि इस अभियान में मुझे झारखंड की जनता का पूरा समर्थन मिल रहा है. धनबाद से मैंने जब इस अभियान की शुरुआत की तो वहां उमड़े जनसैलाब को देख कर आश्चर्यचकित हो गया.
मुझे यह अहसास हुआ कि झारखंड के लोग शराब से ज्यादा परेशान हैं, खासकर आदिवासी समुदाय. मैंने झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास से अनुरोध किया है कि वे झारखंड में भी पूर्ण शराबबंदी लागू करें. नीतीश ने कहा कि अगर झारखंड के मुख्यमंत्री को बिहार से चिढ़ है तो वे गुजरात मॉडल को ही लागू करें. गुजरात में तो भाजपा की ही सरकार है और ऐसे भी महात्मा गांधी की ही इच्छा थी कि देश में शराब का सेवन न हो. नीतीश कुमार यह भी दावा करते हैं कि इस सरकार ने अगर इसे लागू नहीं किया तो जनता अगले चुनाव में भाजपा को सबक सिखाएगी, इसके बाद सूबे में जब बाबूलाल मरांडी की सरकार बनेगी तो इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा. क्या आप इस बात से आश्वस्त हैं कि अगली सरकार बाबूलाल की ही बनेगी?
इस सवाल पर नीतीश ने कहा कि झारखंड की जनता यह जान गई है कि यह सरकार पूंजीपतियों की सरकार है और इस सरकार से उनलोगों का भला नहीं होने वाला है, ऐसे में निश्चित तौर पर अगली सरकार गैर भाजपाइयों की नहीं होगी. झारखंड मुक्ति मोर्चा को भी इस गठबंधन में शामिल करेंगे? इस सवाल पर नीतीश बोले कि भाजपा को छोड़ कर सभी दलों से बातचीत की जाएगी और सबको एक मंच पर लाने का प्रयास किया जाएगा, ताकि साम्प्रादायिक ताकतों से आम लोगों को मुक्ति मिल सके और लोग चैन से रह सकें. मुख्यमंत्री का यह दावा है कि शराब से अपराध घटता है, और बिहार में अपराध का ग्राफ तीन माह में ही कम हो गया है. क्या बाबूलाल मरांडी को गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में पेश करेंगे? नीतीश ने कहा कि यह सभी दलों की राय से ही होगा, वैसे बाबूलाल मरांडी की छवि एक ईमानदार और कर्मठ नेता की है और इसका लाभ गठबंधन को मिलेगा.
झारखंड में शराबबंदी लागू करनी ही होगी : मरांडी
झारखंड में नीतीश कुमार के शराबबंदी अभियान का साथ दे रहे झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड में हर हाल में शराबबंदी लागू करनी होगी. मरांडी का कहना है कि जिस तरह से महिलाएं शराब के खिलाफ आगे आई हैं, उसे देखते हुए झारखंड सरकार अब इस मुद्दे को बहुत दिनों तक नहीं टाल सकती. यहां शराब को आदिवासियों की संस्कृति से जोड़कर बदनाम किया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि सबसे पहले झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने ही टुंडी से शराब के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था. उस वक्त इसे लेकर शिबू सोरेन को व्यापक समर्थन मिला था. बाद में भी उन्होंने कई बार यह अभियान चलाया. इसलिए आदिवासियों को बदनाम करने की साजिश बंद करनी चाहिए. शराब के कारण सबसे ज्यादा आदिवासी दलित परिवार ही प्रभावित हो रहे हैं.
आदिवासी शराब के ज्यादा सेवन के कारण ही 40 – 42 वर्ष की उम्र में ही बूढ़े हो जा रहे हैं और अकाल मौत का शिकार हो जाते हैं. क्या शराबबंदी अभियान के सहारे सत्ता पाने की ललक तो नहीं? इस सवाल पर मरांडी ने कहा कि शराबबंदी लोगों के हित में है. मैं जनता के लिए ही काम करता हूं न कि पूजीपतियों के लिए. जनता मुझे प्यार दे रही है और भाजपा को सबक सिखाना चाह रही है. क्या आपकी पार्टी का जदयू में विलय हो जाएगा? इस पर उन्होंने कहा कि इसका फैसला पार्टी की कार्यसमिति करेगी. नीतीश के समर्थन के सवाल पर उन्होंने कहा कि जदयू का पूरा समर्थन उन्हें मिल रहा है. उनकी पार्टी जदयू के साथ मिलकर पूरे राज्य में भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने की रणनीति बना रही है. इसका लाभ अगामी चुनावों में गठबंधन को मिल सकता है.