बिहार-झारखंड की सीमा से लगे बिहार के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों का कारोबार फल-फूल रहा है. गया जिलेे के जीटी रोड से लगे बाराचट्‌टी, आमस, नवादा जिले के कौवाकोल तथा जमुई  जिले के जंगली क्षेत्रों के हजारों एकड़ वन में सरकारी तथा रैयती भूमि पर अफीम की खेती होती है. इस खेती को नक्सली संगठनों द्वारा संरक्षण दिया जा रहा है. साथ ही इन क्षेत्रों में पुलिस, सुरक्षा बलों और वन विभाग के कर्मियों को भी संदेह के घेरे में देखा जा रहा है. जब काफी हो-हल्ला मचता है तो पुलिस महज दिखावे के लिए दस-बीस एकड़ में लगी अफीम की खेती नष्ट कर देती है. इसके बावजूद इन क्षेत्रों में अफीम की खेती दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है. जीटी रोड बगल में होने के कारण इस नशीले पदार्थ की तस्करी पंजाब, हरियाणा, यूपी, झारखंड आदि राज्यों में बड़ी आसानी से होती है.

21 मार्च 2016 को गुप्त सूचना के आधार पर नारकोटिक्स अधिकारियों ने बाराचट्‌टी थाना के 71 माइल स्थित एक लाइन होटल से बिरजू यादव को डेढ़ किलो अफीम और करीब सवा क्विंटल डोडा के साथ गिरफ्तार किया था. उसी दौरान जानकारी मिली कि अफीम की खेती कराने में नक्सलियों का हाथ है. नक्सली अफीम का पौधा लगाने से लेकर अफीम तैयार होने तक विभिन्न स्तर पर लेवी वसूलते हैं. इस मामले में स्थानीय पुलिस और सुरक्षा बलों की स्थिति भी संदिग्ध है. नारकोटिक्स के अधिकारियों ने बताया कि हर गांव में पुलिस के चौकीदार तैनात रहते हैं. इसके बाद भी इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती हो रही है.

ऐसे में पुलिस बल व वन विभाग के अधिकारी भी संदेह के घेरे में हैं. वन विभाग के बड़े भू-भाग में अफीम की फसल लहलहा रही है और अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं है. यह बात समझ से परे है. एक दशक पूर्व गया जिले के बाराचट्‌टी के जंगली क्षेत्रों में एक-दो कट्‌ठे में चोरी-छिपे अफीम की खेती होती थी. ये खेती करने वाले जब अंधाधुंध लाभ कमाने लगे, तो अन्य ग्रामीण भी चोरी-छिपे अफीम की खेती करने लगे. धीरे- धीरे सरकारी भूमि तथा वन विभाग की भूमि पर भी अफीम की खेती होने लगी. अब स्थिति यह है कि क्षेत्र में सक्रिय नक्सलियों ने अफीम की खेती करने वालों से लेवी वसूलना शुरू कर दिया है.

नक्सली संगठनों का संरक्षण मिलने के बाद ग्रामीण भी बेखौफ हो गए और उन्होंने हजारों एकड़ में अफीम की खेती शुरू कर दी. 2016 में सुरक्षा बलों ने गया जिले के बाराचट्‌टी तथा आमस थाना के दो दर्जन गांवों के 373 एकड़ मे लगे अफीम की खेती को नष्ट कर दिया था. इस प्रकार नवादा जिले के कौवाकोल थाना क्षेत्र के महुलियाटांड़ गांव में लगे अफीम की फसल को नष्ट किया था. इसी से लगे जमुई जिले के जंगली क्षेत्रों में अफीम की खेती हो रही है. एक अनुमान के अनुसार जीटी रोड से प्रतिदिन लाखों रुपए के अफीम की तस्करी होती है. बिहार में पड़ने वाला करीब सवा दो सौ किलोमीटर लंबा जीटी रोड आज नशीले पदार्थों की तस्करी का प्रमुख स्थल बन गया है.

एक सिंडिकेट बनाकर अफीम की तस्करी की जाती है, जिसमें नक्सली, वनकर्मी से लेकर स्थानीय पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों की संलिप्तता से भी इंकार नहीं किया जा सकता है. जीटी रोड से लगे बाराचट्‌टी के जंगली क्षेत्रों में नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्थाई रूप से कोबरा बटालियन का कैम्प है. साथ ही गांव-गांव में पुलिस के चौकीदार और एसपीओ कार्यरत हैं. वन विभाग के कई कर्मी भी तैनात हैं. इसके बावजूद अफीम की खेती होने की भनक तक इन्हें नहीं मिलती, तो इसे भला क्या समझा जाए?

गया के डीएम कुमार रवि ने संबंधित सरकारी पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर अफीम की खेती की रोकथाम के लिए समन्वय बनाकर कार्रवाई करने की बात कही. 10 फरवरी 2016 को गया के समाहरणालय कक्ष में हुई बैठक में डीएम ने प्रभावित क्षेत्र के आठ पंचायतों के मुखिया समेत अन्य जनप्रतिनिधियों से कहा था कि बुआई के समय इसकी तत्काल सूचना दें और पुलिस सुरक्षा बल इन खेतों को नष्ट कर दोषी व्यक्तियों पर कार्रवाई करें. इसके लिए उन्होंने गांवों में जागरूकता अभियान चलाने पर भी जोर दिया गया था. इसके बावजूद आज की तारीख में इन क्षेत्रों में हजारों एकड़ में अफीम की खेती लहलहा रही है.

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