सेवानिवृत्त लेफिटनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने सर्जिकल स्टाइक को लेकर अपना बयान जारी कर कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक पर हम सभी का खुश होना व अत्याधिक उत्साहित होना तो स्वाभाविक ही था, लेकिन मुझे लगता है कि हमारे राजनेताओं ने इसका कुछ ज्यादा ही राजनीतिकरण किया.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बिल्कुल ये हमारे लिए बहुत जरूरी बन गया था कि हम दुश्मन को करारा जबाव दें क्योंकि उसने हमारे 19 जवानों को मारा था और बाद में हमने उसका करारा जवाब देते हुए सर्जिकल स्ट्राइक किया और हमारा इस सर्जिकल स्ट्राईक पर खुश होना तो स्वाभाविक ही था, लेकिन जहां तक मुझे लगता है कि इसका सियासी फायदा राजनेताओं ने खुब उठाया.
बता दें हुड्डा ने चंडीगढ़ में सैन्य समारोह में शिरकत करने के दौरान उक्त बातें कही. गौरतलब है कि 29 सितंबर को भारतीय सैनिकों ने अपने पराक्रम का परिचय देते हुए पाक की मूंहतोड़ जबाव देते हुए अपने सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीति को कामयाब बनाया था.
दरअसल, 2016 में पाकिस्तान ने अपने नापाक करतूत को अंजाम देते हुए भारत की सीमा पर आतंकी हमला किया था कि जिसमें भारत के 19 जवान शहीद हो गए थें, जिसके एवज में भारत ने 29 सितंबर 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीति को अंजाम दिया था.
हालांकि, इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से भारत में सियासत काफी गर्मा गई थी. इतना ही नहीं, केंद्र की सत्ता पर काबिज सरकार से विपक्षी दलों ने सर्जिकल स्ट्राइक के साक्ष्य भी मांगने लग गए गए थें, लेकिन उस दौरान सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए विपक्षी दलों को सबूत देने से इन्कार कर दिया था.
अब जब केंद्र सरकार ने विपक्षी दलों की इस मांग को ठुकरा दिया था और उनसे साफ-साफ कह दिया था कि सरकार उन्हें सर्जिकल स्ट्राइक से संबंधित किसी भी प्रकार की साक्ष्य नहीं दे सकती है तो विपक्षी दल अब सर्जिकल स्ट्राइक की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने लग गए.