उत्तर प्रदेश के तीन दर्जन से अधिक जिलों में आईएसआई का नेटवर्क फैला हुआ है. बसपा के शासनकाल में विधानसभा में एक प्रश्न के दौरान तत्कालीन सरकार की ओर से यह रिपोर्ट सदन में रखी गई थी. रिपोर्ट बताती है कि खास तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आईएसआई का नेटवर्क तेजी से मजबूत हो रहा है. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के एजेंट वॉट्सएप ग्रुप से लड़कों को जोड़कर उन्हें सूचनाएं संकलित करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. सुरक्षा एजेंसी को ऐसे चार संदिग्ध पाकिस्तानियों के नम्बर मिले, जो लगातार बरेली के छात्रों के संपर्क में थे.
छात्रों के पास कुछ संदिग्धों की कॉल सऊदी अरब से भी आ रही थी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बरेली, मुरादाबाद, पीलीभीत, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, अलीगढ़, आगरा, सहारनपुर, अमरोहा, गाजियाबाद और संभल जैसे जिलों में आईएसआई की गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं. बरेली के दीवानखाना इलाके में मामूली फोटोग्राफर बनकर पाकिस्तान के लिए जासूसी का काम करने वाले एजाज की गिरफ्तारी से खुफिया एजेंसियां चौकस हुईं. यह बात और पुख्ता हो गई कि पश्चिमी यूपी में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के गुर्गे बड़ी तादाद में छिपे हुए हैं. बरेली में वायुसेना एयरबेस के नजदीक रिठौरा के पास पकड़े गए दो कश्मीरी युवकों से भी पुलिस को इस बारे में कई अहम सुराग मिले थे.
आतंकियों के द्वारा पश्चिमी यूपी के जिलों में अड्डा बना कर दूसरे राज्यों में ऑपरेट करने का खुलासा कई बार हो चुका है. भोपाल में मारा गया सिमी आतंकी अमजद अपने साथी एजाज के साथ ही मध्य प्रदेश की खंडवा जेल से फरार हुआ था. इसके बाद उसने बिजनौर में अड्डा बनाया था. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आईएसआई की गतिविधियों का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पिछले एक दशक में ही तकरीबन ढाई सौ आतंकी पकड़े जा चुके हैं. यूपी के अन्य जिलों को मिला कर पांच सौ से अधिक आतंकी और जासूस पकड़े जा चुके हैं. इनमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तय्यबा, आईएसआईएस और इंडियन मुजाहिद्दीन से जुड़े आतंकी शामिल हैं. खुफिया एजेंसियों का कहना है कि आजमगढ़, मऊ, वाराणसी, देवरिया, महराजगंज, बलिया, श्रावस्ती जैसे पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिले भी आईएसआई और आतंकी गतिविधियों से आक्रांत हैं. आजमगढ़ का सरायमीर, संजरपुर, बीनापारा और कुछ अन्य इलाके आतंकी गतिविधियों के लिए कुख्यात हैं.