आखिरकार आज उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा महागठबंधन का हिस्सा बन ही गई. एनडीए छोड़ने के दिन उपेंद्र कुशवाहा ने ऐलान किया था कि उनके पास बहुत सारे राजनीतिक विकल्प हैं, जिनमें एक महागठबंधन में शामिल होना भी है.
गौरतलब है कि उपेंद्र कुशवाहा को महागठबंधन में शामिल कराने में कांग्रेस की बहुत ही अहम भूमिका रही. कांग्रेस हर हाल में कुशवाहा वोट बैंक को अपने खेमे में करना चाहती थी. राहुल गांधी के स्तर पर भी यह फैसला हुआ था कि एनडीए से उपेंद्र कुशवाहा बाहर आते हैं तो उन्हें अपने साथ करना है. यही वजह थी कि खुद अहमद पटेल और अखिलेश सिंह उपेंद्र कुशवाहा के घर गए और उन्हें महागठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया.
महागठबंधन का वजन बढ़ा
माना जाता है कि बिहार में कुशवाहा वोटरों की संख्या आठ फीसदी के आस पास है. इन वोटरों पर उपेंद्र कुशवाहा का अच्छा खासा प्रभाव है. MY समीकरण के चलते पहले से ही मजबूत महागठबंधन के लिए यह बोनस की तरह है. शायद यही वजह है कि उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए छोड़ते ही ऐलान किया था कि जदयू और भाजपा का खाता नहीं खुलने देंगे. रालोसपा प्रमुख का मानना है कि कुशवाहा समाज अपने आप को इन घटनाओं से अपमानित महसूस कर रहा है और इसका बदला आगामी चुनावों में जरूर लेगा.
उपेंद्र ने शुक्रिया अदा किया
महागठबंधन में शामिल होने के मौके पर उपेंद्र कुशवाहा ने एलांयस के सभी बड़े नेताओं का नाम लेकर शुक्रिया अदा किया. उन्होंने साफ किया कि वह खुले दिल से इस ओर आए हैं और इनका साथ लेकर बिहार की हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे. देश में आरएसएस का ऐजेंड़ा किसी हाल में लागू नहीं होने देंगे. नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार का पतन अब तय है.