प्रयागराज का महा-कुम्भ आयोजन से पहले ही घोटालों और अनियमितताओं को लेकर चर्चा में आ गया है. कुम्भ की तैयारियों की शुरुआत ही वाहनों और उपकरणों की खरीद में घोटाले के साथ हुई. इलाहाबाद नगर निगम ने कूड़ा उठाने वाले वाहनों की खरीद में घोटाले किए. इलाहाबाद की महापौर योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता नंदी हैं. वाहनों की खरीद के लिए टेंडर प्रक्रिया में शामिल महेंद्रा एंड महेंद्रा कंपनी के रिजनल मैनेजर ने इलाहाबाद के कमिश्नर को पत्र लिखकर घपले की जांच कराने की मांग कर दी.
रिजनल मैनेजर ने उस पत्र की प्रति मुख्यमंत्री, नगर विकास मंत्री और शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव को भी भेज दी. शिकायत में कहा गया कि टेंडर प्रक्रिया में महेंद्रा एंड महेंद्रा गाड़ियों की कीमत सबसे कम दी गई थी, लेकिन कम दर देने के बावजूद नगर निगम ने टाटा कंपनी के वाहन खरीदने को मंजूरी दे दी. केवल इस एक फैसले से इलाहाबाद नगर निगम को दो करोड़ 37 लाख 26 हजार 658 रुपए का नुकसान हुआ.
इसी तरह कुम्भ के लिए पीडब्लूडी के ठेकों में भी खूब अनियमितताएं हुईं. साल की लकड़ी के स्लीपरों की खरीद में नियमों की अनदेखी कर अत्यंत महंगे दाम पर खरीद की गई. इसकी शिकायत अदालत तक पहुंची. कुम्भ के लिए संगम पर बनाए जाने वाले पैन्टून पुलों के लिए साल की लकड़ी के स्लीपरों की खरीद में हुए घोटाले के खिलाफ लखनऊ के एक एनजीओ ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल कर के सीबीआई जांच की मांग की.
कुम्भ में पैन्टून पुलों के लिए अरुणाचल प्रदेश वन निगम के जरिए कोलकाता की दो निजी फर्मों से लकड़ी खरीदी जा रही है. गुवाहाटी हाईकोर्ट तक मामला ले गई गैर सरकारी संस्था ‘नेशनल एसोसिएशन फॉर वेलफेयर ऑफ यूथ’ का कहना है कि दोनों फर्मों को 88 करोड़ की खरीद का ठेका बिना किसी टेंडर के ही दे दिया गया.
दूसरे राज्यों की तुलना में प्रति घन मीटर 250 रुपए अधिक कीमत देकर अरुणाचल से यह लकड़ी खरीदी गई. पंजाब ने साल के स्लीपर के लिए प्रति घन मीटर 1,57,964 रुपए का रेट दिया था, लेकिन पीडब्लूडी के अफसरों ने अरुणाचल से 1,58,250 रुपए पर स्लीपर खरीदने का निर्णय कर लिया.
एडवांस के तौर पर बिना बैंक गारंटी के 20 करोड़ रुपए अरुणाचल को दे भी दिए. संस्था का कहना है कि अब तक 50 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं. जबकि महज 25 करोड़ की लकड़ी की आपूर्ति हो सकी है. 15 अक्टूबर तक सारे स्लीपरों की सप्लाई हो जानी थी, लेकिन नहीं हुई.
कुम्भ मेले में सड़क सुरक्षा संकेतकों की खरीद के लिए दिए गए ठेके में भी एक अमेरिकी कंपनी को भरपूर फायदा पहुंचाने का आरोप है. कुम्भ की तैयारी के तहत सड़कों पर लगाए जाने वाले सुरक्षा संकेतकों की प्री-बिड में अमेरिकी कंपनी को खूब फायदा पहुंचाया गया. प्री-बिड में आधा दर्जन विभिन्न कंपनियों ने हिस्सा लिया था.
अमेरिकी कंपनी के आगे अधिकारियों के ‘नतमस्तक’ होने के बारे में मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव समेत कई अन्य अधिकारियों को बताया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.