सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा कि याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कई महत्वपूर्ण बातें कहीं.
क्या-क्या कहा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने…
- चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने सीवीसी को ये आदेश दिया है कि वो दो 10 दिन में अपनी जांच पूरी करें.
- वहीं चीफ जस्टिस के इस फैसले को सुनने के बाद सीवीसी की तरफ से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि दो 10 दिन का समय बहुत कम है.
- इसी के साथ मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमें राकेश अस्थाना से कोई फर्क नहीं पड़ता.
- मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सीबीआई के अंतरिम निदेशक कोई नीतिगत फैसला नहीं देंगे, जब तक कि सीवीसी की जांच पूरी नहीं हो जाती है.
- इसी के साथ अब अगली सुनवाई की तारीख 12 नवबंर की मुकर्रर की गई है.
- वहीं आलोक वर्मा की तरफ से पैरवी कर रहे है वरिष्ठ अधिवक्ता आर एफ नरीमन ने कहा कि क्या सीबीआई के निदेशक का कार्यकाल कम किया जा सकता है.
क्या होगा सरकार का तर्क?
सीबीआई के निदेशक को पदमुक्त नहीं किया गया केवल छुट्टी पर भेजा गया है.
सीबीआई की संस्थानिक अखंडता को बचाने के लिए सरकार ने ऐसा कदम उठाया है.
वहीं सरकार के इस फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी ने विरोध प्रदर्शन का एलान किया है, जिसको लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए है, जगह-जगह पुलिस को तैनात किया गया है ताकि कोई अप्रिय घटना को रोका जा सके.
क्या है मामला?
सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के ऊपर हैदराबाद के व्यापारी सतीश बाबू सना ने ये आरोप लगाया है कि राकेश अस्थाना ने उनसे दिसंबर 2017 में सीबीआई जांच से बचने के लिए 2 करोड़ रुपए रिश्वत लिए थे. मालूम हो कि राकेश अस्थाना सतीश बाबू सना से जुड़े मामले की जांच कर रहे थें.