बेगूसराय की सीट पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है. 2019 के चुनाव के लिए भाजपाइयों का तर्क है कि स्थानीय प्रत्याशी का होना जरूरी है. इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव में बेगूसराय संसदीय सीट से स्थानीय प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर भाजपाइयों ने कमर कस ली है. हालांकि बेगूसराय में अभी नाम बाहरी प्रत्याशी के ही उभरे हैं, इसलिए स्थानीय कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर बेगूसराय के भाजपाइयों ने मुहिम तेज कर दी है.
पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं में से प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं का तर्क है कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व जिले के बाहरी व्यक्तियों के सांसद बनने से बेगूसराय के विकास की गति थम सी गई थी, जिसे भाजपा के वर्तमान स्थानीय सांसद डॉ. भोला सिंह ने काफी परिश्रम से गतिशील बनाया है. इसे न सिर्फ यथावत रखने के लिए बल्कि जिले के विकास के लिए और अधिक गति प्रदान करने के लिए स्थानीय नेता को अगामी लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए.
भाजपा के वर्तमान सांसद डॉ. भोला सिंह की अधिक आयु होने एवं अस्वस्थ रहने के कारण यह कयास लगाया जा रहा है कि अगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी उन्हें प्रत्याशी नहीं बना सकती है. इसी कयास के बीच जिले के भाजपाइयों की यह मांग जोर पकड़ने लगी है कि स्थानीय जमीनी कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाया जाए.
जिले के मतदाता चाहते हैं कि स्थानीय नेता को लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया जाए. स्थानीय नेता के सांसद बनने पर जिलेवासी समस्याओं एवं विकास को लेकर सीधे उनसे मिलकर अपनी बातें रख पाएंगे और उसके निदान के लिए वे पैरवी करा सकेंगे. आमजनों की चाहत होती है कि स्थानीय प्रतिनिधि होने पर वे उनके सुख-दु:ख, विवाह, श्राद्ध प्राकृतिक विपदा आदि में आसानी से उपलब्ध हो सकें. हर प्रकार से जनप्रतिनिधियों के साथ सीधा संवाद की उनकी अपेक्षा रहती है. स्थानीय जनप्रतिनिधि ऐसे कार्यों के लिए आसानी से सुलभ हो जाते हैं.
यदि भाजपा स्थानीय प्रत्याशी नहीं देती है, तो दूसरे स्थानीय प्रत्याशी को जाति एवं पार्टी से ऊपर उठकर स्थानीय का लाभ मिल सकता है. भाजपा के वरिष्ठ नेता, पार्टी के प्रदेश मंत्री राम लखन सिंह का भी मानना है कि स्थानीय नेताओं की उपेक्षा करने पर पार्टीजनों में गलत संदेश जाएगा. मतदाता चाहते हैं कि जनप्रतिनिधि से उनका सीधा सम्पर्क एवं संवाद हो, जो स्थानीय जनप्रतिनिधि के साथ ही संभव है.