नई दिल्ली (ब्यूरो, चौथी दुनिया)। उत्तर प्रदेश के चुनावी गदर में इन दिनों में गधा दौड़ता दिखाई दे रहा है। गधे का जन्म बयानबाजी के दौरान हुआ। अखिलेश की रैली में गुजरात के गधों का जिक्र होते ही गुगल से लेकर तमाम सर्चिंग इंजनों पर इस गधे की खासियतों के बारे में खंगाले जाना शुरू हुआ। आप भी तलाश रहे हैं कुछ जानकारी, तो हम आपको इसकी खासियत के बारे में बताते हैं।
पहले तो आपको ये बता दें कि ये सिर्फ गधा नहीं है बल्कि घोड़ा भी है, मतलब ये घोड़े और गधे का हाइब्रिड क्रॉस प्रोडक्ट है जिसे घुड़खर के नाम से जाना जाता है। भारत के कई इलाकों में इसे अलग अलग नामों से जाना जाता है। जैसे कि खच्चर, गधेरा और जंगली गधा।
धुड़खर गुजरात के अभ्यारण में सबसे ज्यादा तादात में पाए जाते हैं। जिस अभ्यारण में पाए जाते हैं वो कोई छोटी सेंचुरी नहीं बल्कि भारत की सबसे बड़ी सेंचुरी है। गुजरात के इस सेंचुरी में पैदा होने वाली घास की वजह से घुड़खर सबसे ज्यादा यहां पाए जाते हैं। साल 2015 में एक सर्वे के मुताबिक गुजरात के इस अभ्यारण में करीब 4500 गधे हैं जिनमे 3000 घुड़खर हैं।
घुड़खर अपने गति के लिए जाने जाते हैं। कहा जाता है कि ये 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं क्योकि इनकी छलांगे काफी लंबी होती हैं। इनकी खासियत ये भी है कि ये महीनों बिना नहाए रहकर भी चमकदार ही दिखते हैं। एशियाई शेरों की तरह एशियाई गधे भी सिर्फ भारत में ही पाए जाते हैं।
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने इस प्रजाति को विलुप्त प्राय में रखा है। भारत सरकार ने वन्य पशु सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत पहली सूची में रखा है। शायद आप जानकर चौंक जाएं कि कच्छ के घुड़खर और इसी तरह की प्रजाति जिसे लद्दाख में किआंग के नाम से जाना जाता है कि उनके नाम पर डाक टिकट भी जारी किए जा चुके हैं।