इबादत के बिना किसी मुश्किल से कैसे पाई जा सकती है निजात : शहर काज़ी
भोपाल। बाजार खुल रहे हैं, फैक्ट्रियां और दफ्तरों में भी लोगों का आना-जाना जारी है। लोग यहां से वहां तक तफरीह करते भी नजर आ रहे हैं, लेकिन इन सबको दरकिनार कर पाबंदियां धर्मस्थलों पर लोगों जाने पर लगाई गई हैं। शासन-प्रशासन का यह फैसला ताज्जुबखेज है कि मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा और गिरजाघरों जैसे तमाम धार्मिक स्थलों पर लोगों को जाने से रोककर कोरोना को काबू करने की कोशिश की जा रही है।
शहर काज़ी सैयद मुश्ताक अली नदवी, मुफ्ती अबूल कलाम खान कासमी, नायब शहर काजी सैयद बाबर अली, नायब मुफ्ती जसीम दाद, मुफ्ती रईस अहमद खान कासमी, मसाजिद कमेटी के प्रभारी सचिव यासिर अराफात ने प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन को लिखी चि_ी में यह बात कही है। उन्होंने कहा कि किसी भी मुश्किल घड़ी में सबसे बड़ा सहारा ईश्वर-अल्लाह का होता है। वह अपनी गल्तियों की माफी मांगने और खैर के लिए दुआ करने के लिए धर्मस्थलों की तरफ ही बढ़ता है।
लेकिन कोरोना को नियंत्रित करने के लिए धर्मस्थलों में प्रवेश पर रोक लगाया जाना मुनासिब नहीं है। उलेमाओं ने मांग की है कि जारी किए गए आदेश को संशोधित कर धर्मस्थलों में जाकर पूजा-इबादत करने की इजाजत दी जाए। ताकि लोग दुआएं और प्रार्थना कर इस महामारी से निजात के लिए ईश्वर-अल्लाह के सामने अपनी बात रख सकें। उन्होंने कहा कि इस बीच लोगों से कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक सोशल डिस्टेंस, मॉस्क आदि की पाबंदी की शर्त रखी जा सकती है, जो हर धर्म के व्यक्ति स्वीकार करने को राजी हैं।
आरिफ मसूद ने भी की थी मांग
इससे पहले भोपाल मध्य विधायक आरिफ मसूद ने भी शुक्रवार को मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर धार्मिक स्थलों पर पाबंदी लगाने के निर्णय को गलत करार दिया था। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए धार्मिक स्थलों को बंद करने के निर्णय लोग सहमत नहीं हैं, क्योंकि धार्मिक स्थलों में ही ईश्वर से इस कोरोना जैसी बीमारी से मुक्ति के लिए प्रार्थना करने की आवश्यकता है। यदि धार्मिक स्थल बंद होंगे तो ईश्वर कैसे राजी होंगे। मसूद ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि धार्मिक स्थलों को बंद करने का निर्णय वापस लेना चाहिए, जिससे धार्मिकस्थलों में जाने वाले श्रद्धालु ईश्वर से इस गंभीर बीमारी को समाप्त करने की प्रार्थना कर सकें।
खान आशु